
उत्तराखंड सरकार ने राज्य में संचालित अवैध मदरसों पर सख्त रुख अपनाते हुए अब तक 170 से अधिक मदरसों को सील कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर यह कार्रवाई राज्य के विभिन्न जिलों में तेजी से की जा रही है। खासतौर पर देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, नैनीताल और बनभूलपूरा (हल्द्वानी) जैसे क्षेत्रों में बड़ी संख्या में ऐसे मदरसे चिह्नित किए गए हैं, जो या तो बिना पंजीकरण के संचालित हो रहे थे या जिनकी गतिविधियां संदिग्ध पाई गईं।
रविवार को नैनीताल जिले के हल्द्वानी क्षेत्र में प्रशासन ने 13 अवैध मदरसों को सील किया। इससे पहले भी राज्य सरकार ने विशेष सर्वे टीमों का गठन कर इन मदरसों की जांच कराई थी। रिपोर्ट के आधार पर जिला प्रशासन ने एक के बाद एक कार्रवाई करते हुए इन संस्थानों पर शिकंजा कसा। अधिकारियों के अनुसार, अधिकांश अवैध मदरसे बिना भवन निर्माण की अनुमति, शैक्षिक मान्यता और सुरक्षा मापदंडों के ही संचालित हो रहे थे।
मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट किया है कि प्रदेश में कोई भी शैक्षणिक संस्था अवैध रूप से नहीं चलने दी जाएगी। उन्होंने कहा, “हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि राज्य में हर प्रकार की शैक्षिक संस्था वैध रूप से पंजीकृत हो, उनके संचालन में पारदर्शिता हो और वे किसी भी प्रकार की उग्रवादी या कट्टरता फैलाने वाली गतिविधियों का केंद्र न बनें।
प्रदेश में अब तक सील किए गए अवैध मदरसों की जिलेवार संख्या में ऊधमसिंह नगर में 65, हरिद्वार में 43, देहरादून में 44, नैनीताल में 18, पौड़ी में 2 और अल्मोड़ा में 1 मदरसा सील किया गया है। यह संख्या आगे और बढ़ सकती है क्योंकि सर्वे कार्य अब भी जारी है।
सरकार की इस कार्रवाई को लेकर कई सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं। कुछ इसे कानून व्यवस्था और शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में उठाया गया कदम बता रहे हैं, तो कुछ इसे एक विशेष समुदाय को निशाना बनाने की कोशिश के रूप में भी देख रहे हैं। हालांकि, सरकार का कहना है कि यह कार्रवाई किसी समुदाय विशेष के खिलाफ नहीं, बल्कि अवैध गतिविधियों के विरुद्ध है। राज्य सरकार की इस सख्ती से साफ है कि अब उत्तराखंड में अवैध रूप से चल रही शैक्षिक संस्थाओं को बख्शा नहीं जाएगा। प्रशासन का कहना है कि आगे भी ऐसी संस्थाओं की पहचान कर आवश्यक कानूनी कार्रवाई जारी रहेगी।