देहरादू। कोरोना वायरस के कहर के बीच उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित विश्व प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग केदारनाथ के कपाट छह माह के शीतकालीन अवकाश के बाद सोमवार को सुबह पांच बजे खुल गए जहां पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गई।
हालांकि, पिछले वर्ष की तरह इस बार भी कोविड-19 के कारण बाबा भोले के धाम के कपाट खोले जाने के दौरान श्रद्धालु उपस्थित नहीं थे और सीमित लोगों की मौजूदगी में ही समारोह हुआ।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने केदारनाथ धाम के कपाट खुलने पर प्रसन्नता जताई और जनकल्याण तथा आरोग्यता की कामना की।
मेष लग्न और पुनर्वसु नक्षत्र में पूरे विधि-विधान से वैदिक मंत्रोच्चार के बीच प्रात: पांच बजे केदारनाथ धाम के कपाट खोल दिए गए। मंदिर के कपाट खुलने की प्रक्रिया तड़के तीन बजे से शुरू हो गयी थी। रावल भीमाशंकर एवं मुख्य पुजारी बागेश लिंग, देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह एवं रूद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मनुज गोयल ने पूरब द्वार से मंदिर के मुख्य प्रांगण में प्रवेश किया तथा मुख्य द्वार पर पूजा-अर्चना के बाद भगवान शिव के द्वार भक्तों के लिए खोल दिए।
मंदिर के कपाट खुलने के पश्चात मुख्य पुजारी बागेश लिंग ने स्वयंभू शिवलिंग को समाधि से जागृत किया तथा निर्वाण दर्शनों के पश्चात श्रृंगार तथा रूद्राभिषेक पूजाएं की गयी।
केदारनाथ धाम में प्रथम रूद्राभिषेक पूजा प्रधानमंत्री की ओर से की गयी तथा जनकल्याण की कामना की गयी।
धाम में इस समय मौसम सर्द है। मंदिर के कुछ दूरी पर बर्फ मौजूद है तथा रास्ते में कहीं- कहीं हिमखंड नजर आ रहे है।
मुख्यमंत्री रावत ने धाम के कपाट खुलने पर श्रद्धालुओं को शुभकामनांए देते हुए सभी की आरोग्यता की कामना की। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण अस्थाई तौर पर यात्रा स्थगित है तथा सभी लोग डिजिटल तरीके से दर्शन करें तथा अपने घरों में पूजा-अर्चना करें।
प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि कोरोना महामारी समाप्त होने पर शीघ्र चारधाम यात्रा शुरू होगी। पर्यटन मंत्री महाराज की पहल पर प्रधानमंत्री के नाम से जनकल्याण की भावना के साथ सभी धामों में प्रथम पूजा संपन्न करवायी जा रही है।
धाम के कपाट खुलने के अवसर पर ऋषिकेश के दानीदाता सौरभ कालड़ा ग्रुप द्वारा केदारनाथ मंदिर को 11 क्विंटल फूलों से सजाया गया था।
कपाट खुलने के दौरान कोरोना से बचाव के लिए मास्क पहनने और सामाजिक दूरी रखने जैसे नियमों का पूरा पालन किया गया।
चमोली में स्थित भगवान बदरीनाथ के कपाट मंगलवार को सुबह सवा चार बजे ब्रहममुहूर्त में खुल जाएंगे। कोविड के कारण कपाट खुलने के दौरान यहां भी सीमित संख्या में ही लोग मौजूद रहेंगे और श्रद्धालुओं को आने की अनुमति नहीं होगी।
इससे पहले, 14 मई को यमुनोत्री के कपाट और 15 मई को गंगोत्री के कपाट खोले जाने के दौरान भी यही व्यवस्था लागू की गई थी।
उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में चारधामों के नाम से मशहूर बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट हर साल छह माह के शीतकालीन अवकाश के बाद अप्रैल-मई में श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं ।
गढ़वाल की आर्थिकी की रीढ माने जाने वाली चारधाम यात्रा पर भी कोविड-19 का साया पड़ गया है। पिछले साल नियत समय से देर से शुरू हुई चारधाम यात्रा को इस बार भी कोविड-19 के मामलों में उछाल आने के चलते फिलहाल स्थगित कर दिया गया है।
चारधाम यात्रा को स्थगित करने की घोषणा करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रावत ने पिछले महीने कहा था कि धामों के कपाट अपने नियत समय पर ही खुलेंगे लेकिन वहां केवल तीर्थ पुरोहित ही नियमित पूजा करेंगे।