उत्तराखंड के विद्यालय में जातिगत विवाद के बाद छात्रों ने पहली बार मध्याह्न भोजन खाया


उत्तराखंड के चंपावत जिले में एक माध्यमिक विद्यालय में जातिगत विवाद खड़ा होने के बाद सोमवार को पहली बार छठी से आठवीं कक्षा तक के सभी 66 विद्यार्थियों ने एक बावर्ची द्वारा बनाया गया मध्याह्न भोजन खा लिया।


भाषा भाषा
उत्तराखंड Updated On :

पिथौरागढ़। उत्तराखंड के चंपावत जिले में एक माध्यमिक विद्यालय में जातिगत विवाद खड़ा होने के बाद सोमवार को पहली बार छठी से आठवीं कक्षा तक के सभी 66 विद्यार्थियों ने एक बावर्ची द्वारा बनाया गया मध्याह्न भोजन खा लिया।

विवाद को सुलझाने के लिए जिला प्रशासन ने रविवार को सभी बच्चों के अभिभावकों के साथ बैठक कर आम सहमति बनाई थी।

चंपावत के जिलाधिकारी विनीत तोमर ने बताया कि विवाद शुरू होने के बाद पहली बार छठी से आठवीं तक की कक्षा में पढ़ने वाले विद्यालय के सभी 66 छात्रों ने एक साथ मध्याह्न भोजन किया। दो दिन की छुट्टी के बाद सोमवार को विद्यालय फिर से खुला।

यह विवाद तब शुरू हुआ था, जब अगड़ी जाति के छात्रों ने 13 दिसंबर को विद्यालय में एक दलित ‘भोजनमाता’ (बावर्ची) द्वारा पकाए गए मध्याह्न भोजन को लेने से इनकार कर दिया था। इस घटना के बाद दलित महिला की जगह अगड़ी जाति की महिला को काम पर रखा गया, लेकिन विद्यालय के दलित छात्रों ने इसके जवाब में 23 दिसंबर को अगड़ी जाति की महिला द्वारा बनाया गया भोजन खाने से इनकार दिया, जिसके बाद जिला प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा।

जिला शिक्षा अधिकारियों ने दलित ‘भोजनमाता’ को बर्खास्त करने के लिए प्रक्रियागत खामियों को आधार बनाया था। जिलाधिकारी ने कहा, ‘तीन सदस्यीय जांच कमेटी की जांच पूरी होने तक सभी अभिभावक अपने बच्चों को मध्याह्न भोजन देने पर राजी हो गए हैं।’ उन्होंने कहा कि सोमवार को छात्रों ने मध्याह्न भोजन किया।

पूर्णागिरि के उप संभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) हिमांशु कफल्टिया के अनुसार, चंपावत के मुख्य शिक्षा अधिकारी आरसी पुरोहित की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति केवल ‘भोजनमाता’ की नियुक्ति में प्रक्रियागत खामियों, यदि कोई हो, की जांच करेगी।

एसडीएम कफल्टिया ने कहा, ‘इस पद के लिए तीन महिला आवेदक थीं, पहले अगड़ी जाति की महिला पुष्पा भट्ट को नियुक्त किया गया था और जल्द ही शकुंतला देवी के सेवानिवृत्त होने के बाद उनकी जगह सुनीता देवी को नियुक्त किया गया था।

जांच समिति यह पता लगाएगी कि पहली बार नियुक्त महिला को क्यों हटाया गया और दूसरी यानी दलित महिला को क्यों नियुक्त किया गया और फिर कुछ दिनों के बाद उसे हटा दिया गया।’

विद्यालय का दौरा करने वाले और विवाद में शामिल लोगों से बात करने वाले कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा ने कहा कि सुनीता देवी को अधिकारियों द्वारा आज तक नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया था, जबकि उनका चयन मानदंडों के अनुसार था।

टम्टा ने कहा, ‘सभी उम्मीदवारों में से सुनीता देवी अकेली थीं, जो पद के लिए सभी शर्तों को पूरा करती थीं। उनका छोटा बच्चा उसी स्कूल में पढ़ता है, वह एससी श्रेणी से है और बीपीएल श्रेणी में आती है, जबकि अन्य उम्मीदवार इन शर्तों को पूरा नहीं करते। हालांकि, पद के लिए योग्य होने के बावजूद उन्हें नियुक्ति पत्र क्यों नहीं दिया गया?’ स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता पीसी जोशी के मुताबिक वास्तविक स्थिति तब सामने आएगी, जब जांच कमेटी अपनी रिपोर्ट देगी।



Related