नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को उत्तराखंड स्थित जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के उस निर्णय पर रोक लगा दी, जिसमें बाघ अभयारण्य के मुख्य भाग में निजी बसों को चलाए जाने की अनुमति दी गई थी।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रह्मयन की पीठ ने केंद्र, उत्तराखंड, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड और जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
याचिका दायर करने वाले वकील गौरव कुमार बंसल ने पीठ से कहा कि जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान का यह निर्णय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन है।
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य के वन अधिकारियों ने निजी क्षेत्र की एक कंपनी को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए बाघ अभयारण्य के मुख्य भाग में निजी बसों को चलाए जाने की अनुमति दी थी।
याचिका में कहा गया, ‘‘ जिम कॉर्बेट के निदेशक की ओर से 23 दिसंबर 2020 को जारी आदेश में उत्तराखंड के बाघ अभयारण्य के मुख्य भाग में एक निजी कंपनी की बसों को चलाए जाने की अनुमति दी थी। ’’
बंसल ने दावा किया कि इस मामले में निर्णय लेने से पहले वन अधिकारियों ने, ना ही राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से मंजूरी प्राप्त की और ना ही राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से कोई सलाह ली।
याचिकाकर्ता ने अदालत से जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक के इस आदेश को रद्द किए जाने का अनुरोध किया।