वैज्ञानिकों का मानना, कमजोर शीलापुंज के ढहने से उत्तराखंड में आया सैलाब

वैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में आई बाढ़ का कारण बर्फ की विशाल चट्टान के कमजोर पड़ने से वहां अचानक सैलाब आ गया।

नई दिल्ली। वैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में आई बाढ़ का कारण बर्फ की विशाल चट्टान के बरसों तक जमे रहने और पिघलने के कारण उसके कमजोर पड़ने से वहां शायद कमजोर जोन का निर्माण हुआ होगा जिससे अचानक सैलाब आ गया।

वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान (डब्ल्यूआईएचजी) के वैज्ञानिकों ने शुरुआती तौर पर यह अंदेशा जताया है।

उन्होंने कहा कि हिम चट्टान ढहने के दौरान अपने साथ मिट्टी और बर्फ के टीले भी लेकर आयी। इस घर्षण से संभवत: गर्मी उत्पन्न हुई जो बाढ़ आने की वजह बनी होगी।

संस्थान के वैज्ञानिकों ने विनाशकारी बाढ़ के कारणों का सुराग हासिल करने के लिए इलाके का हेलीकॉप्टर से सर्वेक्षण किया।

बता दें कि अचानक आई बाढ़ में अभी तक 28 लोगों की मौत हुई है और तकरीबन 170 लोग लापता हैं डब्ल्यूआईएचजी के निदेशक कलाचंद सैन ने कहा कि जहां घटना घटित हुई है वहां हिमखंड ऋषि गंगा नदी को पानी देते थे जो धौली गंगा में जा कर मिलती है।

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में सीधा ढाल है। उनका मानना है कि हिमखंड जमे रहने और हिमद्रवण के कारण कमजोर हो गया होगा। इस वजह से कभी-कभी कमजोर जोन का विकास होता है और घर्षण होता है।

उन्होंने कहा कि हिमखंड के कमजोर होने से, हिमखंड और बर्फ ढह कर नीचे आ गई जिस वजह से अचानक बाढ़ आ गई। जिस वजह से क्षेत्र के पर्वतों में सीधे ढलानों ने हिमखंड के गिरने की तीव्रता को बढ़ा दिया।

डब्ल्यूआईएचजी की दो टीमें सोमवार को जोशीमठ के लिए रवाना हुई थी ताकि घटना के कारणों का पता लगाया जा सके। इन टीमों में पांच हिमनद विज्ञानी हैं।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (डीएसटी) के तहत आने वाले संस्थान में हिमालयी पर्यावरण और भू विज्ञान पढ़ाया जाता है। सैन ने कहा कि शुरुआती रिपोर्ट डीएसटी को भेजी जाएगी।

First Published on: February 9, 2021 5:41 PM
Exit mobile version