राजनीति में हर कोई पढ़े-लिखे और अच्छे लोगों के आने की बात करता है। लेकिन देश में पढ़े-लिखे और प्रतिभावान युवक प्रशासनिक सेवा और डॉक्टर-इंजीनियर ही बनना चाहते हैं। सिविल सेवा और डॉक्टर-इंजीनियर न बन पाने वाले युवा भी राजनीति में स्वेच्छा से नहीं जाते हैं। ऐसे में विकल्प के अभाव में जनता को आपराधिक छवि के लोगों को अपना प्रतिनिधि चुनना पड़ता है।
गाजीपुर के मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट पर युवा मनोज राय विकल्प बनकर उभरे हैं। क्षेत्र में उनके नाम की चर्चा है। मोहम्मदाबाद उत्तर प्रदेश की चर्चित विधानसभा है। चर्चा का कारण यह नहीं है कि मोहम्मदाबाद प्रदेश के दूसरे विधानसभा क्षेत्रों से ज्यादा विकास कर गया है। चर्चा का कारण माफिया मुख्तार अंसारी और वर्चस्व की जंग है। मुख्तार और उसका परिवार इस विधानसभा से चुनाव लड़ता और जीतता रहा है। लेकिन अभी यहां से अलका राय विधायक हैं। अलका राय कृष्णानंद राय की विधवा हैं। कृष्णानंद राय की हत्या का आरोप मुख्तार अंसारी पर है।
मनोज राय विरासत की राजनीति नहीं बल्कि संघर्ष और सेवा का विकल्प बनकर क्षेत्र में अपनी दावेदारी पेश किए हैं। राजनीति में आने के पहले वह बिहार प्रशासनिक सेवा में अधिकारी थे। क्षेत्र की सेवा और राजनीति में साफ-सुथरे छवि के लोगों के प्रवेश को लेकर वह प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर मोहम्मदाबाद पहुंचे हैं। यह उनका गृह क्षेत्र है।
मनोज राय कहते हैं कि “मोहम्मदाबाद विकास में काफी पीछे छूट गया है। जनता के पास सहज और सर्वसुलभ प्रतिनिधि का अभाव है। मैं मोहम्मदाबाद के सहज और सुलभ प्रतिनिधि बनने की कोशिश करूंगा।”
बक्सर के बीडीओ रह चुके बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी मनोज कुमार राय ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया है। वे अब अपने गृह जनपद गाजीपुर की मोहम्मदाबाद सीट से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे।
बीते सितंबर माह में ही राय ने विभाग को सेवा मुक्त करने के लिए आवेदन दे दिया था, जिसे मंजूर कर लिया गया है। जान लें कि मनोज राय पड़ोसी जिले गाजीपुर के जोगा मुसाहिब गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता प्रो. विक्रमादित्य राय बनारस के डीएवी कॉलेज में समाजशास्त्र के विभागाध्यक्ष हैं। राय की पढ़ाई-लिखाई बीएचयू और दिल्ली में हुई।
वर्ष 2013 में बिहार प्रशासनिक सेवा के तहत चयन हो जाने के बाद उनकी पहली पोस्टिंग बक्सर में ही हुई थी, जिसके बाद उन्होंने बिहार के विभिन्न जिलों यथा-कैमूर, वैशाली, सिवान के विभिन्न प्रखंडों में बीडीओ के रूप में अपनी सेवा दी। बक्सर में पतंग महोत्सव और देव दीपावली जैसे आयोजनों को लेकर चर्चा में रहे राय की कैमूर जिले में स्वच्छता अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका को लेकर भी खूब सराहना हुई थी।
हालांकि राजनीति में उनकी दिलचस्पी छात्र जीवन से ही थी। यही वजह रही कि बीपीएससी की तैयारी के दौरान दिल्ली में रहते हुए भाजयुमो से जुड़ गए। इसके पहले बनारस में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से बाल स्वयंसेवक के रूप में जुड़े रहे। राय की दो बहने हैं, जिनमें से एक प्रियंका राय फिलहाल बक्सर की सीओ हैं। वहीं राय की पत्नी प्रियंका राय मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करती हैं।
एक सवाल के जवाब में मनोज ने बताया कि प्रशासनिक अधिकारी के रूप में लोगों की सेवा का सीमित अवसर मिल पाता था। एक दायरा था, जो बहुत कुछ करने से रोकता था। लिहाजा उन्होंने अपने गृह राज्य और गृह जिले के लोगों की सेवा के लिए नौकरी को लात मार राजनीति का रास्ता अख्तियार कर लिया। किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगे, इस सवाल पर उन्होंने बताया कि उनके पिता और उनका जुड़ाव शुरू से ही भारतीय जनता पार्टी से रहा है। इसी पार्टी के साथ अपना राजनीतिक भविष्य संवारेंगे।