प्रयागराज। जेल में बंद माफिया डॉन अतीक अहमद के दो लापता नाबालिग बेटों का पता लगाने की मांग वाली एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन ने याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि उमेश पाल की हत्या के बाद 24 फरवरी को पुलिस ने उनके दो नाबालिग बेटों अहजान और आबन को गिरफ्तार किया था और तब से उनका कोई ठिकाना नहीं है।
मामले में अतीक, शाइस्ता, उनके भाई अशरफ और दो बेटों को आरोपी बनाया गया है।
याचिकाकर्ता और राज्य सरकार के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस विवेक कुमार बिड़ला और जस्टिस सुरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दया शंकर मिश्रा ने दलील दी कि अतीक के दो नाबालिग बेटों की जान खतरे में है।
इसलिए, उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि एक निर्देश जारी किया जाए कि उन्हें (नाबालिगों को) अदालत में पेश किया जाए और रिहा किया जाए।
अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष गोयल, जिन्होंने राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व किया था, की ओर से आपत्ति जताई गई थी कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 97 के तहत एक आवेदन पहले से ही सीजेएम इलाहाबाद के समक्ष लंबित है, इसलिए बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।