प्रयागराज। स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निर्देशन पर ज्योतिर्मठ बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य के रूप में स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरानंद के कार्यभार संभालने संबंधी समाचार को गलत बताते हुए सोमवार को कहा कि यह उच्चतम न्यायलय द्वारा पारित आदेश का उल्लंघन है।
स्वामी वासुदेवानंद के प्रवक्ता के प्रवक्ता ओंकारनाथ त्रिपाठी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि ज्योतिर्मठ बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य के उत्तराधिकारी के विषय में विवाद न्यायालय में लंबित है। न्यायालय ने 27 अगस्त, 2020 को कहा था कि अंतरिम आदेश अपील के निपटारे तक जारी रहेगा।
त्रिपाठी ने कहा कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य के रूप में कभी स्थापित नहीं किया गया। ज्योतिर्मठ बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य के रूप में सात दिसंबर,1973 को स्थापित होने के उनके दावे को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 22 सितंबर, 2017 को खारिज कर दिया था।
उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति जिसे कभी ज्योतिर्मठ बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य के रूप में स्थापित नहीं किया गया, वह शंकराचार्य का प्रभार किसी अन्य को नहीं सौंप सकता।
उन्होंने कहा कि ज्योतिर्मठ बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य का दायित्व स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरानंद को सौंपकर, स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने न्यायालय के आदेश का उल्लंघन किया है।
त्रिपाठी ने कहा कि स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती और स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के बीच यह विवाद लम्बे समय से लंबित है और न्यायालय का अंतरिम आदेश स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को यह अधिकार नहीं देता है कि वह किसी को भी ज्योतिर्मठ बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य का पदभार संभालने का अधिकार दें।
उन्होंने कहा, “हम इस मामले में जल्द ही उचित कानूनी कदम उठाएंगे।”