जिंदा है, लेकिन कागजों में मृत मिर्जापुर का ‘भोला’: सच के मुंह पर ताला है झूठ का!


उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर के अमोई गांव में 65 साल के भोला सिंह को मृत घोषित कर राजस्व अधिकारियों के साथ मिलकर उनके भाई ने उनकी खानदानी जमीन को हड़प लिया।


Ritesh Mishra Ritesh Mishra
उत्तर प्रदेश Updated On :

नई दिल्ली। यूपी के मिर्जापुर जिला के रहने वाले जिंदा लेकिन सरकारी कागजों में मृत भोला की कहानी सरकारी कागजी कार्रवाई की बानगी भर है। हिंदी फिल्म Jolly LLB-2 में भी ऐसा ही एक दृश्य है जिसमें सीताराम नाम का व्यक्ति सरकारी कागजों में मृत हो जाता है और अपने जिंदा होने का प्रमाण देने के लिए कोर्ट के चक्कर काटता है। एक ऐसा ही सीताराम मिर्जापुर जिले में हैं जो आजकल सरकारी मुलाजिमों के कारण मृत हैं।

यही नहीं भोला की यह कहानी काफी हद तक लाल बिहारी से मेल खाती है, जिन्होंने सरकारी कागजातों में खुद को मृत साबित कर दिए जाने के बाद लगभग 19 साल तक भारतीय नौकरशाही के साथ संघर्ष किया। उनकी जिंदगी की इसी असल घटना पर फिल्मकार सतीश कौशिक ने ‘कागज’ बनाई है।

मिर्जापुर जिले के सरकारी रिकार्ड में मृतक दर्ज भोला सिंह उर्फ श्यामनारायण का मुख्यमंत्री की पहल पर डीएनए जांच के लिए ब्लड सैंपल शनिवार को ले लिया गया। मीडिया में खबर आने के बाद प्रशासन ने भोला और उनके परिवार का DNA जांच का फैसला किया है।

भोलाराम को सरकारी रिकार्ड में मृतक दर्ज कराने वाले आरोपी भाई मंडलीय अस्पताल नहीं पहुंचे। ऐसे में माना जा रहा है कि जब तक उसके भाई का सैंपल लेकर जांच के लिए नहीं भेजा जाएगा तब तक भोला के जीवित होने और अमोई गांव निवासी होने का मामला लटका रहेगा। इस केस की शुरुआत करीब पांच साल पहले तब हुई थी, जब नवंबर 2016 में कोतवाली पुलिस स्टेशन में जालसाजी, धोखाधड़ी पर एक प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।

पिछले करीब 15 साल से अपने को जीवित साबित करने के लिए जिला मुख्यालय का चक्कर काट रहे अमोई निवासी भोला उर्फ श्याम नारायण के मामले को मुख्यमंत्री द्वारा संज्ञान लिए जाने के बाद जिला मजिस्ट्रेट प्रवीण कुमार लक्षकार ने भोला और उसके भाई राजनारायण के बीच स्थित रिश्ते का पता करने के लिए दोनों का डीएनए टेस्ट कराने निर्देश दिया था।

उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर के अमोई गांव में 65 साल के भोला सिंह को मृत घोषित कर राजस्व अधिकारियों के साथ मिलकर उनके भाई ने उनकी खानदानी जमीन को हड़प लिया। ये आदमी अब अमोई गांव में नहीं रहता है बल्कि किसी और गांव में रहता है, जब भोला सिंह को अमोई में ले जाया गया, तो कोई भी उन्हें नहीं पहचान सका।

जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय के बाहर 65 वर्षीय इस बुजुर्ग ने पत्रकारों को बताया, “मेरा नाम भोला है. मैं यहां इसलिए हूं क्योंकि मेरे पिता का निधन होने के बाद जमीन दो लोगों के नाम लिखी गई थी दोनों भाइयों के नाम पर थी। जमीन के कागजातों में मुझे मृत दिखाया गया है, जबकि मैं जिंदा हूं।



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