Supertech Twin Towers Demolition : 2:30 बजे दबेगा विस्फोट का बटन


एडिफिस इंजीनियरिंग कंपनी के मालिक उत्कर्ष मेहता ने कहा कि ट्विन टाॅवर्स में वाइब्रेशन मॉनिटर मशीनें लगा दी गयी हैं। सीबीआरआई ने 10 ब्लैक बॉक्स लगाए हैं, जिनमें विस्फोट की पूरी घटना रिकॉर्ड होगी।


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उत्तर प्रदेश Updated On :

गौतमबुद्ध नगर। नोएडा सेक्टर-93ए स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के ट्विन टॉवर के ध्वस्तीकरण की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आज दोपहर 2:30 बजे ये दोनों टॉवर जमींदोज हो जाएंगे। मुंबई की कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग और दक्षिण अफ्रीकी सहयोगी जेट डिमोलिशन ने शनिवार को दोनों टॉवरों के ध्वस्तीकरण की पूरी तैयारी कर ली। 32 मंजिला एपेक्स (100 मीटर) व 29 मंजिला सियान (97 मीटर) टॉवर में 3700 किलोग्राम विस्फोटक लगाकर तारों से जोड़ दिया गया है। मुख्य तार को एक बटन से जोड़ दिया गया है, जिसे दूर से प्रेस करने के साथ ही ब्लास्ट होगा और ट्विन टॉवर 9-15 सेकेंड में जमींदोज हो जाएंगे। एहतियात के तौर पर आसपास की सड़कों को बंद रखा जाएगा। पूरे इलाके को नो फ्लाइंग जोन घोषित किया गया है।

 ट्विन टॉवर के आसपास के अपार्टमेंट्स को खाली करा लिया गया है एडिफिस इंजीनियरिंग और जेट डिमोलिशन की टीम ने शनिवार को टॉवरों में लगे विस्फोटकों व तारों को जांचा परखा ताकि कहीं कोई चूक की गुंजाइश न रह जाए जांच परख का यह सिलसिला आज दोपहर 12 बजे तक चलेगा इसके बाद दोनों टॉवरों को तारों से जोड़ने के बाद मुख्य तार को करीब 100 मीटर दूर ले जाया जाएगा यहीं से फाइनल ट्रिगर बटन दबेगी और ट्विन टॉवर में विस्फोट होगा इसके 9-15 सेंकेंड के भीतर दोनों इमारतें धराशायी हो जाएंगी फाइनल ट्रिगर बटन को मैनुअली चार्ज किया जाएगा चार्ज होने पर मशीन का लाल बटन जल उठेगा। यह संकेत होगा कि सब कुछ तैयार है फिर हरे रंग के बटन को दबाते ही चंद सेकेंड में जुड़वां इमारतें मलबे के ढेर में तब्दील हो जाएंगी

विस्फोट के लिए बटन दबाने से पहले क्या-क्या होगा? जानिए

एडिफिस इंजीनियरिंग के प्रोजेक्ट मैनेजर मयूर मेहता ने बताया कि आज आखिरी बार डिमोलिशन की तैयारियों की बारीकी से जांच की जाएगी। जब सभी टीमें इमारतों से नीचे उतर आएंगी तो दोनों इमारतों को आपस में जोड़ा जाएगा। उसके बाद ट्विन टाॅवरों से एक्सप्लोडर तक 100 मीटर लंबी केबल बिछाई जाएगी, जिससे इमारतों को ध्वस्त किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ध्वस्तीकरण से पहले हम एकबार पुलिस से कंफर्म करेंगे कि आसपास का एरिया पूरी तरह क्लियर है या नहीं। जैसे ही पुलिस की ओर से मैसेज मिलेगा, वैसे ही 2ः30 बजे हम बटन दबाएंगे। मेहता ने कहा कि इस दौरान उनके अलावा 3 विदेशी विशेषज्ञों, भारतीय ब्लास्टर चेतन दत्ता, एक पुलिस अधिकारी और 6 लोग बटन दबाने के लिए मौके पर मौजूद रहेंगे।

 9 नहीं 12 सेकेंड में जमींदोज होंगे ट्विन टॉवर्स, पहले 5 सेकेंड में विस्फोट, बाद के 7 सेकेंड तक जलेगी बारूद

एडिफिस इंजीनियरिंग कंपनी के मालिक उत्कर्ष मेहता ने कहा कि ट्विन टाॅवर्स में वाइब्रेशन मॉनिटर मशीनें लगा दी गयी हैं। सीबीआरआई ने 10 ब्लैक बॉक्स लगाए हैं, जिनमें विस्फोट की पूरी घटना रिकॉर्ड होगी। नर्वस हूं, आज इतना बड़ा ऑपरेशन होने जा रहा है। हम 8 महीने से इसकी तैयारी कर रहे थे। हमारा आत्मविश्वास कायम है। उन्होंने बताया कि 9 नहीं 12 सेकेंड में ट्विन टॉवर्स जमींदोज होंगे। पहले 5 सेकेंड में दोनों टॉवरों में विस्फोट होंगे। इसके बाद 7 सेकेंड तक बारूद जलेगी। इसी सात सेकेंड में ये बहुमंजिला टॉवर्स मलबे में तब्दील होंगे।

 560 पुलिस कर्मी, रिजर्व फोर्स के 100 जवान, 4 क्विक रिस्प़ॉन्स टीमें और NDRF की टीम तैनात

डीसीपी सेंट्रल राजेश एस ने कहा कि सुपरटेक ट्विन टाॅवर विध्वंस से पहले 560 पुलिस कर्मी, रिजर्व फोर्स के 100 जवान, 4 क्विक रिस्पाॅन्स टीमें और एनडीआरएफ की टीम तैनात कर दी गई है। ट्रैफिक डायवर्जन पाॅइंट सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि विस्फोट से ठीक पहले दोपहर करीब 2ः15 बजे एक्सप्रेस-वे को बंद किया जाएगा। ब्लास्ट के आधे घंटे बाद ही डस्ट सेटल होने के बाद इसे खोल दिया जाएगा। इंस्टेंट कमांड सेंटर में 7 सीसीटीवी कैमरे हैं। यातायात विशेषज्ञ हमारे साथ यहां सभी भीड़भाड़ वाले बिंदुओं पर निगरानी कर रहे हैं।

 ट्विन टॉवर को गिराने के लिए विस्फोटक का इस्तेमाल ही क्यों किया जा रहा?

ट्विन टॉवर को गिराने के लिए विस्फोटक का इस्तेमाल ही क्यों किया जा रहा? क्या किसी अन्य तरीके से इन इमारतों को नहीं ध्वस्त किया जा सकता था? ये सवाल आपके मन में भी उठ रहे होंगे। सुपरटेक ट्विन टॉवर को ध्वस्त करने की जिम्मेदारी जिस एडिफिस इंजीनियरिंग कंपनी को दी गई है, उसके मालिक उत्कर्ष मेहता ने बताया कि उनके पास किसी भी ढांचे को गिराने के लिए तीन विकल्प, डायमंड कटर, रोबोट का इस्तेमाल और इम्प्लोजन (ध्वस्त करना) है। उन्होंने कहा कि इन इमारतों को गिराने का तरीका 3 आधारों, लागत, समय और सुरक्षा को ध्यान में रखकर चुना गया। मेहता ने बताया कि डायमंड कटर तकनीक से इमारत को पूरी तरह से गिराने में करीब 2 साल का समय लगता और इम्प्लोजन तकनीक के मुकाबले 5 गुना ज्यादा लागत आती। इस तकनीक के तहत ऊपर से नीचे की ओर क्रेन की मदद से प्रत्येक खंभों, दीवारों और बीम को काट-काट कर अलग करना होता। वहीं, रोबोटिक्स तकनीक का इस्तेमाल करने पर करीब 1।5 से 2 साल का समय लगता और इस दौरान भारी शोर होता, जिसकी वजह से एमराॅल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज में रहने वालों को पेरशानी होती। इस तरीके से इमारत को गिराने पर डायमंड कटर के मुकाबले कम लेकिन इम्प्लोजन के मुकाबले अधिक लागत आती। चूंकी उच्चतम न्यायालय ने ट्विन टावर को वहां के निवासियों को बिना परेशान किए यथाशीघ्र गिराने का आदेश दिया था, इसलिए इम्प्लोजन तकनीक को इसके लिए चुना गया। उत्कर्ष मेहता ने कहा कि एडिफिस और हमारे दक्षिण अफ्रीकी विशेषज्ञ साझेदार जेट डेमोलिशंस को पूर्व में केरल के कोच्चि स्थित मराडू कॉप्लेक्स को ध्वस्त करने का अनुभव था, इसलिए ट्विन टाॅवर के ध्वस्तीकरण के लिए हमने यह तकनीक चुनी।

 खरीदारों को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ पूरी रकम वापस करने का आदेश

पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने 32 मंजिला टॉवरों को गिराने का आदेश दिया था। इन निर्माणाधीन फ्लैटों में निवेश करने वाले खरीदारों को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ पूरी रकम वापस करने का आदेश भी सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक बिल्डर और नोएडा अथॉरिटी को दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुपरटेक समूह को एमरॉल्ड कोर्ट ट्विन टॉवर्स के फ्लैट खरीदारों को पैसे वापस करने के लिए अक्टूबर तक एक समयसीमा तैयार करने का निर्देश दिया।



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