
लखनऊ। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर पर गृहमंत्री अमित शाह के बयान के बाद बसपा ने पूरे देश में आंदोलन करने का ऐलान किया है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि 24 दिसंबर को पूरे देश में जिला मुख्यालय पर कार्यकर्ता प्रदर्शन करेंगे। अमित शाह से माफी की मांग की जाएगी। मायावती के ऐलान के बाद लंबे समय (करीब 8 साल) बाद बसपा कार्यकर्ता देश स्तर पर सड़क पर उतरेंगे। इससे पहले जुलाई 2016 में बसपा कार्यकर्ता पूरे देश में सड़कों पर उतरे थे। तब मौजूदा परिवहन राज्य मंत्री दयाशंकर सिंह ने मायावती को लेकर विवादित बयान दिया था। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या मायावती ने बहुत देर कर दी?
बहुजन समाज पार्टी के बारे में कहा जाता है कि वह सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने वाली पार्टी नहीं है। लेकिन डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के मुद्दे पर बसपा का कार्यकर्ता एक बार फिर से सड़क पर उतरने जा रहे हैं। इस बार भी विवादित बयान का ही मामला है। लेकिन, इस बार दलितों के सबसे बड़े नायक बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का मामला है। ऐसे में बसपा के सड़क पर उतरने के कई मायने सामने आ रहे हैं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण यह है कि बहुजन समाज पार्टी नहीं चाहती है कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के मुद्दे पर वह पीछे रह जाए। जिस तरह से समाजवादी पार्टी और कांग्रेस प्रदर्शन कर रहे हैं, उससे बहुजन समाज पार्टी को लगता है कि वह कहीं पिछड़ न जाये।
वरिष्ठ पत्रकार रतन मणि लाल कहते हैं कि बसपा सड़कों पर संघर्ष के लिए नहीं जानी जाती। लेकिन पार्टी की जो मौजदा स्थिति है, यह उसके लिए मजबूरी है। क्योंकि भीमराव अंबेडकर का मुद्दा पार्टी के लिए बड़ा है। लेकिन जिस तरह से कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने इस मुद्दे को उठाया, उससे मायावती का असहज होना लाजमी है। उसे लगता है कि कहीं इस मुद्दे पर वह पिछड़ न जाए।
इससे पहले 2016 में तत्कालीन बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह के बयान के बाद 21 जुलाई 2016 को बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे थे। उसके बाद 2017 में सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में दलित बनाम ठाकुर का मामला हो गया था, इसमें 25 झोपड़ियों को जला दिया गया था। मामले की आंच प्रदेश की राजधानी तक पहुंची। 23 मई, 2017 को खुद मायावती मौके पर पहुंच गई थीं।
हालांकि, तब भी मायावती के हेलिकॉप्टर को वहां उतरने की इजाजत नहीं मिली थी। तीसरी बार आरक्षण के सवाल पर भारत बंद का ऐलान किया गया था। 21 अगस्त, 2024 को देश के तमाम दलित संगठनों ने भारत बंद का ऐलान किया था। बसपा ने इस आंदोलन का समर्थन करते हुए सभी जिला मुख्यालय पर ज्ञापन देने का कार्यक्रम तय किया था।
हालांकि, समाजवादी पार्टी को लगता है कि बहुजन समाज पार्टी इस मुद्दे पर काफी लेट हो चुकी है। सपा प्रवक्ता उदयवीर सिंह ने कहा कि मायावती का देशव्यापी आंदोलन महज दिखावा है। हम इस मुद्दे को पहले जोरशोर से उठा चुके हैं। बसपा इस मुद्दे पर काफी लेट हो चुकी है। अब खुद को पिछड़ता देख 24 दिसंबर को आंदोलन का ऐलान किया गया है। समाजवादी पार्टी पीडीए के मुद्दों के लिए हमेशा से ही सदन से लेकर सड़क तक संघर्ष लारती रही है। बसपा के इस आंदोलन का कोई औचित्य नहीं है।
वास्तव में इस बात को हर कोई जानता है कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का मुद्दा बड़ा सियासी मुद्दा है। ऐसे में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के सदन में लगातार प्रदर्शन करने के बाद बहुजन समाज पार्टी भी सड़कों पर उतरकर यह संदेश देना चाहती है कि वह इस मुद्दे पर पीछे नहीं है। क्योंकि बहुजन समाज पार्टी को पता है कि अगर इस बात का संदेश उनके वोट बैंक में गया तो उसका सीधा नुकसान 2027 में उठाना पड़ सकता है।