उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आज 51 वां जन्मदिवस है. योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री होने के साथ ही गोरखपुर स्थित गोरक्ष पीठ के महंथ भी हैं. पहले इस मठ के प्रमुख महंथ अवेद्यनाथ थे. जो राममंदिर आंदोलन के प्रारम्भिक कर्ताधर्ता में से एक थे. महंथ अवेद्यनाथ गोरखपुर से सांसद भी चुने जाते रहे. उनका उत्तराधिकारी होने के नाते गृहस्थ जीवन से संन्यास लेने के बाद योगी आदित्यनाथ को मठ के साथ ही राजनीतिक विरासत भी मिली.
योगी आदित्यनाथ का जन्म जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचुर गांव में हुआ. अब पौढ़ी गढ़वाल जिला उत्तराखंड में है. लेकिन योगी आदित्यनाथ अपने को उत्तर प्रदेश का मानते हैं. उनका कहना है कि जब मैं गोरखपुर आया था तब उत्तर प्रदेश में ही आया था. क्योंकि तब प्रदेश का विभाजन नहीं हुआ था. हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी से गणित से बीएससी करने के पश्चात वर्ष 1993 में अजय सिंह बिष्ट गोरक्षनाथ मंदिर पहुंचे थे और एक साल बाद 1994 में दीक्षा के बाद वह योगी आदित्यनाथ बन गए थे. योगी की दीक्षा के समय विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल भी मौजूद थे.योगी हिंदू युवा वाहिनी संगठन के संस्थापक भी हैं, जो कि हिंदू युवाओं का सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह है.फिलहाल यह संगठन अभी भंग है.
योगी संन्यास से पहले का जन्मदिन नहीं मनाते. योगी होने के नाते भी वह इन सबसे दूर रहते हैं. हर साल की तरह इस बार भी सीएम योगी बगैर किसी आयोजन के अपना रोजमर्रा का काम कर रहे हैं. हालांकि उनके लाखों प्रशंसक उन्हें शुभकामनाएं दे रहे हैं. इनके गोरखपुर में आने से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक का सफर बेहद संघर्षमय रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीएम योगी को जन्मदिन की बधाई देते हुए कहा, ”उत्तर प्रदेश के ऊर्जावान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को उनके जन्मदिन पर बधाई. उनके समर्थ नेतृत्व में प्रदेश ने प्रगति की नई ऊंचाइयों को छुआ है. उन्होंने प्रदेश की जनता के लिए जन-हितैषी शासन किया है. मैं जनता की सेवा में उनके लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समय-समय पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते रहते हैं. यूपी विधानसभा चुनाव के समय पीएम मोदी ने योगी को उत्तर प्रदेश के लिए जरूरी बताया था. और अब वह उन्हें ऊर्जावान बता रहे हैं. सीएम योगी एक साथ संन्यासी, राजनेता, महंथ और शिक्षण संस्थाओं के संचालक और समाज सुधारक की भूमिका निभाते रहे हैं. इसके साथ ही उनके व्यक्तित्व के कई आयाम हैं. आज हम उनके 50 वें जन्मदिवस के अवसर पर उनके व्यक्तित्व के खास पहलुओं पर चर्चा करेंगे.
महंत योगी आदित्यनाथ गोरक्षपीठाधीश्वर रहे ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य हैं. 1998 से लेकर मार्च 2017 तक योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से सांसद रहे और हर बार उनकी जीत का आंकड़ा बढ़ता ही गया. 2017 में उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. 2022 में वह दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. योगी एक कुशल राजनेता एवं कुशल वक्ता हैं. राजनीति में वह अपने विरोधियों को मात देने की कला जानते हैं.1998 में पहली बार जब 12वीं लोकसभा (1998-99) के लिए योगी आदित्यनाथ चुने गए तो सबसे कम 26 साल की उम्र के सांसद थे.
योगी आदित्यनाथ गोरखपुर में रहते हैं तो वह एक दर्जन शिक्षण संस्थाओं के प्रबंधन के साथ ही मठ की गौशाला में गायों की देखभाल जरूर करते हैं. गयों को रोटी खिलाना और उनकी देखरेख की व्यवस्था को जरूर देखते हैं.
पालतू पशुओं के साथ ही सीएम योगी को जंगली पशुओं से भी खासा लगाव है. कुछ समय पहले गोरखपुर में अपने ऑफिस में बंदर के साथ बैठकर काम करते वक्त आदित्यनाथ की फोटो चर्चा का विषय बनी. यहीं नहीं थाइलैंड के एक पार्क में टाइगर के बच्चे को दूध पिलाते हुए योगी की तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी. छोटे चीते के साथ लाड-प्यार दिखाते हुए योगी आदित्यनाथ ने लोगों से बाघों को बचाने की अपील भी की थी.
योगी आदित्यनाथ अपने परिवार से कोई संबंध नहीं रखते हैं. 20 अप्रैल 2020 को योगी के पिता आनंद सिंह बिष्ट का 89 साल की उम्र में निधन हो गया था.सीएम योगी को पिता के निधन की सूचना जब मिली तब वह कोरोना संकट पर बनी टीम-11 की मीटिंग कर रहे थे. खबर मिलने के बाद भी मीटिंग को रोका नहीं गया है. पिता के अंतिम संस्कार में भी सीएम योगी नहीं गए. लेकिन परिवार के सदस्य खासकर मां पिता से वह मिलते रहते थे.