
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने रबी सीजन के गेहूं खरीद अभियान के बीच किसानों के हित में एक और बड़ा फैसला लिया है। अब किसान यदि 100 कुंतल से अधिक गेहूं भी बेचते हैं तो उन्हें सत्यापन की अनिवार्यता से गुजरना नहीं पड़ेगा। सरकार ने सत्यापन की बाध्यता समाप्त कर दी है, जिससे गेहूं बेचने में हो रही दिक्कतों का समाधान हो गया है। यह निर्णय किसानों को लाभ समय पर दिलाने और खरीद प्रक्रिया को सरल बनाने की दिशा में एक संवेदनशील पहल मानी जा रही है।
खाद्य एवं रसद विभाग के अनुसार अब किसान अपने अनुमानित उत्पादन के तीन गुना तक गेहूं बिना किसी अतिरिक्त सत्यापन के बेच सकेंगे। इससे उन्हें भूले-भटके दस्तावेजों में हुई त्रुटियों या रिकॉर्ड की खामियों के चलते गेहूं बेचने में जो परेशानी होती थी, वह अब नहीं होगी। सरकार ने मंडियों में किसानों के विश्वास को बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया है।
गौरतलब है कि 1 मार्च से शुरू हुई गेहूं खरीद योजना राज्य भर में सुचारु और पारदर्शी तरीके से संचालित हो रही है। अब तक 38,000 से अधिक किसानों से 2.05 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं की खरीद की जा चुकी है। इस वर्ष अब तक कुल 377678 किसानों ने पंजीकरण कराया है। राज्यभर में 5790 क्रय केंद्रों के माध्यम से खरीद जारी है।
योगी सरकार की प्रभावी नीतियों के चलते किसानों का मंडियों और सरकारी खरीद तंत्र पर भरोसा फिर से मजबूत हुआ है। पहले किसानों को 100 कुंतल से अधिक गेहूं बेचने के लिए उत्पादन सत्यापन कराना पड़ता था, जिससे उन्हें बार-बार दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे। इस प्रक्रिया में समय लगता था और कई बार खरीदी रुक जाती थी। अब इस बाध्यता के हटने से किसानों को समय पर भुगतान मिलेगा और उनकी उपज भी समय से खरीदी जा सकेगी।
प्रदेश सरकार का दावा है कि इस वर्ष गेहूं खरीद के आंकड़े पिछले वर्षों से बेहतर हैं और इससे साफ है कि किसान सरकार की नीतियों से संतुष्ट हैं। आने वाले दिनों में सरकार किसानों को उनके दरवाजे तक सुविधाएं पहुंचाने के लिए तकनीक आधारित व्यवस्था और सुदृढ़ करने की योजना पर भी काम कर रही है। यह कदम योगी सरकार की किसान केंद्रित सोच और कार्यशैली का एक और उदाहरण है, जो बताता है कि सरकार किसानों की समस्याओं को गंभीरता से समझती है और उन्हें दूर करने के लिए लगातार प्रयासरत है।