ज्ञानवापी परिसर से जुड़ी 5 याचिकाओं पर 19 दिसंबर को आएगा फैसला


यह मुकदमा 1991 में वाराणसी की अदालत में दाखिल किया गया था। हाईकोर्ट को अपने फैसले में मुख्य रूप से यही तय करना है कि वाराणसी की अदालत इस मुकदमे को सुन सकती है या नहीं। इस मामले में 1991 का प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट लागू होगा या नहीं। 


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उत्तर प्रदेश Updated On :

वाराणसी  की ज्ञानवापी विवाद से जुड़ी याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट  19 दिसंबर को अपना फैसला सुनाएगा। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बीते 8 दिसंबर को फैसला रिजर्व कर लिया था। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच इन मामलों में फैसला सुनाएगी।

ज्ञानवापी विवाद से जुड़ी पांच याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला रिजर्व किया था। इनमें से तीन याचिकाएं 1991 में वाराणसी की अदालत में दाखिल किए गए केस की पोषणीयता से जुड़ी हुई हैं, जबकि दो अर्जियां ASI के सर्वेक्षण आदेश के खिलाफ हैं। 1991 के मुकदमे में विवादित परिसर हिंदुओं को सौंपे जाने और वहां पूजा अर्चना की इजाजत दिए जाने की मांग की गई थी।

जानें क्या हैं मामला?

यह मुकदमा 1991 में वाराणसी की अदालत में दाखिल किया गया था। हाईकोर्ट को अपने फैसले में मुख्य रूप से यही तय करना है कि वाराणसी की अदालत इस मुकदमे को सुन सकती है या नहीं। इस मामले में 1991 का प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट लागू होगा या नहीं।  इस केस में तीन बार जजमेंट रिजर्व करने के बाद अदालत ने फिर से अर्जियों पर सुनवाई कर फैसला रिजर्व किया है। अदालत में यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, अंजुमन मस्जिद कमेटी और हिंदू पक्ष की ओर से दलीलें पेश की गई थी।

अभी तक पेश नहीं हुई सर्वे की रिपोर्ट

इससे पहले मुस्लिम पक्ष की ओर से कोर्ट में 1936 में डिसाइड हुए दीन मोहम्मद केस के फैसले को पढ़ा गया। तीन बार जजमेंट रिजर्व होने के बाद अदालत इस मामले में फिर से सुनवाई कर रही है। बता दें कि पिछले दिनों एएसआई की सर्वे भी पूरा हो चुका है। हालांकि सर्वे की रिपोर्ट अब तक कोर्ट में पेश नहीं हुई है। सर्वे टीम ने इस मामले में रिपोर्ट पेश करने के लिए और समय देने की मांग की है।

 



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