किसान नेता योगेंद्र यादव 10 अगस्त को खिरिया बाग आजमगढ़ आएंगे


ग्रामीणों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को अनसुना करके हवा हवाई सूचनाएं जारी करती है। सरकार को जान लेना चाहिए कि अगर किसान जमीन नहीं देगा तो उसकी सहमति के बगैर जबरन जमीन नहीं ले सकते।



आजमगढ़। एयरपोर्ट विस्तारीकरण के खिलाफ किसानों मजदूरों का 287 वें दिन धरना जारी रहा। दिल्ली के ऐतिहासिक किसान आंदोलन के नेता योगेंद्र यादव 10 अगस्त को किसानों मजदूरों के धरने के समर्थन में खिरिया बाग, आजमगढ़ आएंगे। किसानों मजदूरों ने कहा कि खिरिया बाग के किसानों मजदूरों की लड़ाई देशव्यापी हो गई है। पूर्वांचल के किसानों को इस आंदोलन ने आशा दिलाई है। पूर्वांचल का छोटा किसान फसलों के दामों को लेकर संगठित हुआ तो पश्चिमी यूपी, हरियाणा, पंजाब के किसानों समेत पूरे देश के किसान आंदोलन को व्यापकता मिलेगी। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को अनसुना करके हवा हवाई सूचनाएं जारी करती है। सरकार को जान लेना चाहिए कि अगर किसान जमीन नहीं देगा तो उसकी सहमति के बगैर जबरन जमीन नहीं ले सकते।

किसानों मजदूरों की बात नहीं मानी गई तो आजमगढ़ के गांव-गांव में होगी पंचायत

किसानों मजदूरों ने कहा कि कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही आजमगढ़ में गांव-गांव चौपाल लगा रहे हैं और खिरिया बाग में किसान 9 महीने से धरने पर बैठे हैं। किसानों की मांग सरकार अगर नहीं मानेगी तो आजमगढ़ में गांव-गांव चौपाल लगाई जाएगी और किसान पंचायत की जाएगी। सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ जब कह चुके हैं कि एयरपोर्ट बहुत छोटा है जिससे उड़ान नहीं हो सकती तो अब किस आधार पर एयरपोर्ट अथॉरिटी पत्र भेज रही है। सांसद निरहुआ जब कह चुके हैं कि एयर कंपनियां नहीं आना चाहती तो क्यों फिर उपजिलाधिकारी एयरपोर्ट का निरीक्षण कर रहे हैं। एयरपोर्ट भाजपा के नेताओं का पिकनिक स्पॉट बन गया है। यह हाल उस परियोजना का है जिसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की आजमगढ़ को एयर कनेक्टिविटी से जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना का सरकार दावा करती है। सरकार के नेताओं के परस्पर विरोधी बयान भ्रटाचार की तरफ भी इशारा करता है।

सांसद संगीता आजाद ने सदन में किसानों का पक्ष रखने का दिया आश्वासन

खिरिया बाग और अंडिकाबाग के किसानों का प्रतिनिधिमंडल किसान नेता विरेंद्र यादव और राजीव यादव के नेतृत्व में सांसद संगीता आजाद से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। किसान नेता विरेंद्र यादव और राजीव यादव ने बताया कि सांसद संगीता आजाद ने आश्वासन दिया है कि आगामी लोकसभा के मानसून सत्र में खिरिया बाग और पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के किनारे के किसानों के सवाल को सदन में उठाएंगी। किसान नेताओं ने कहा कि हम अन्नदाता हैं और यह देश खेतों, खलिहानों, जवानों, किसानों का देश है। किसानों की मांग है कि उनकी जमीनों को विकास परियोजनाओं के नाम पर न छीना जाए। ग्रामसभा इस तरह की किसी भी परियोजना के लिए जमीन नहीं देगी।

किसानों मजदूरों ने कहा कि आजमगढ़ के खिरिया बाग, जमुवा हरिराम मंदुरी में अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के नाम पर हवाई पट्टी विस्तारीकरण हेतु जमीन छीने जाने के विरोध में गदनपुर हिच्छनपट्टी, बलदेव मंदुरी, जिगिना करमनपुर, जमुआ हरिराम, कादीपुर हरिकेश, हसनपुर और अन्य गांव के लोग नौ महीने से अधिक समय से धरने पर बैठे हैं। वही पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के किनारे आजमगढ़ के सुमाडीह, खुरचंदा, बखरिया, सुलेमापुर, अंडीका, छजोपट्टी और सुलतानपुर के कलवारीबाग, भेलारा, बरामदपुर, सजमापुर के किसान औद्योगिक पार्क के नाम पर जमीन छीने जाने के विरोध में आंदोलनरत हैं। खेती हमारी जीविका का प्रमुख साधन है। एयरपोर्ट और औद्योगिक पार्क के नाम पर हमारे पुरखों के मकान और जमीन छीनकर हमारे गांव का अस्तित्व मिटाने की कोशिश हो रही।

सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ कह चुके हैं कि उड़ान नहीं हो सकती तो कैसे उड़ान के दावे किए जा रहे

खिरिया बाग में किसानों मज़दूरों ने कहा कि 9 महीने से किसान मज़दूर धरने पर बैठे हैं। वोट के लिए सांसद-मंत्री आजमगढ़ के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन खिरियाबाग नहीं आ रहे हैं। खिरिया बाग के किसान सब राजनीतिक हलचल देख रहे हैं। सरकार को जान लेना चाहिए कि जब किसान हल चलाएगा तो सब मसले हल हो जाएंगे।

आजमगढ़ से हवाई जहाज़ उड़ाने के प्रशासन के बयान पर किसानों मज़दूरों ने कहा की 2017 के विधानसभा चुनाव में आजमगढ़ एयरपोर्ट बनाने का वादा किया। 2019 में बन कर तैयार होने का दावा करते हुए उड़ान की ख़बरें आने लगी। 2022 का विधानसभा चुनाव बीत गया फिर भी उड़ान नहीं हुई और अब 2024 का चुनाव आने वाला है तो फिर से उड़ान की ख़बरें आने लगी। अब कहा जा रहा है की पेड़ और टावर उड़ान के लिए हटाए जाएंगे। जब सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ कह चुके हैं कि उड़ान नहीं हो सकती तो कैसे उड़ान के दावे किए जा रहे।

सरकार 9 महीने से धरने पर बैठे किसानों की सुध नहीं ले रही है उससे साफ़ है कि वह किसान-मज़दूर विरोधी है। सरकार को जान लेना चाहिए की किसानों मज़दूरों के बगैर देश ही नहीं दुनिया भी नहीं चल सकती।



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