
गाजीपुर। जूनून और हौसला हो तो आपके सामने से हर रोड़ा हट जाता है। फिर चाहे वह मानव निर्मित हो या प्राकृतिक, हर बाधा को हौसले के सामने मात खानी पड़ती है। जन्म के साथ दिव्यांगता भी तरक्की की राह में कोई रोड़ा नही बन सकता। कुछ ऐसा ही उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के दिव्यांग बच्चों ने हौसले से उड़ान भरी तो पूरी दुनिया ही मुठ्ठी में कर ली। जन्म से ही मूक बधिर आशीष त्रिपाठी ने आगरा में पहली बार आयोजित नेशनल क्रिकेट चैंपियनशिप फॉर डेफ (मूक-बधिर) में अपने हुनर का जलवा बिखेरा। राष्ट्रीय क्रिकेट में आशीष ने यूपी की तरफ से खेलकर अपने जिले और परिवार का गौरव बढ़ाया। आशीष की कामयाबी अब जिले के दिव्यांग बच्चों के लिए मिसाल बन चुकी है।
गाजीपुर जखनिया क्षेत्र के जाहीं गांव के रवीन्द्रनाथ त्रिपाठी के घर 8 अक्टूबर 1997 को जन्मे आशीष त्रिपाठी जन्म से ही सुन और बोल सकने में असमर्थ हैं। लेकिन उनमें प्रतिभा की कमी नहीं है। खेल और पढ़ाई की तरफ उनका बचपन से ही रुचि है। इस समय वह चित्रकूट स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय में बीएफए तृतीय वर्ष के छात्र हैं। इस तरह वह चित्रकला की पढ़ाई करते हुए क्रिक्ट में भी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।आशीष के पिता रवीन्द्रनाथ त्रिपाठी गांव में ही मेडिकल स्टोर चलाते हैं। लेकिन अब आशीष के भविष्य को लेकर वह उत्साहित हैं। वह कहते हैं कि आशीष की बचपन से ही क्रिकेट में रुचि रही है। अब वह अपने शौक को देश के सामने ला रहा है।
देश में विशेष रूप से दिव्यांग युवाओं के बीच खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए आगरा में पहली बार नेशनल क्रिकेट चैंपियनशिप फॉर डेफ (मूक-बधिर) का आयोजन किया गया था। बीसीसीआई से मान्यता प्राप्त इंडियन डेफ क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से आयोजित इस ट्राफी में 20 प्रदेशों के 300 से अधिक मूक-बधिर क्रिकेटर शामिल हुए थे। छठी टी-20 नेशनल क्रिकेट चैंपियनशिप आगरा के मान्या क्रिकेट ग्राउंड में 14 नवंबर से शुरू होकर 20 नवंबर 2022 चली।
इस चैंपियनशिप में नेशनल चैंपियन का खिताब जीतने के लिए 17 राज्यों की टीमें एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा रही। केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, गुजरात, मुंबई, हैदराबाद पुणे, चेन्नई जैसे राज्यों से क्रिकेटर आगरा में शामिल हुए। इंडियन डेफ क्रिकेट एसोसिएशन (आईडीसीए) की प्रेसिडेंट सुमित जैन ने कहा कि भले ही ये खिलाड़ी बोल और सुन नहीं सकते, लेकिन इनकी प्रतिमाएं असामान्य हैं। यह सामान्य खिलाड़ियों की तरह ही क्रिकेट खेलते हैं। अपने हुनर की बैटिंग से चौके-छक्के लगाते हैं। 20 टीमों को चार पूल में बांटा गया था।
दिव्यांग खिलाड़ियों को आगे लाने की जरूरत
पूर्व क्रिकेटर केके शर्मा ने बीसीसीआई से अपील करते हुए कहा, ‘यह बहुत खुशी की बात है कि नॉर्मल क्रिकेटर्स को जैसा माहौल दिया जाता है, वैसा ही वातावरण दिव्यांग प्रतिभाओं के लिए भी आयोजित किया गया है, लेकिन स्टेट एसोसिएशन को मिलने वाला डेवलपमेंट फंड इन क्रिकेटर्स की संस्थाओं के लिए भी दिया जाना चाहिए। ये पूरी तरह नॉर्मल क्रिकेटर्स हैं, जो बस सुन या बोल नहीं सकते।’ साथ ही कहा कि आप सभी लोग एक बार इनके टैलेंट को देखें। ये खिलाड़ी भी सामान्य खिलाड़ियों की तरह ही शानदार क्रिकेट खेलते हैं बस उनकी छुपी हुई प्रतिभा को आगे लाने का प्रयास करना होगा।