लखनऊ। अखिलेश यादव सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति सात दिन ईडी की कस्टडी में रहेगे। बुधवार को हुई सुनवाई में विशेष कोर्ट ने उन्हें ईडी के हवाले कर दिया है। कल ईडी उन्हें कस्टडी में लेगी। फिलहाल अभी वे न्यायिक हिरासत में है। उन पर दुराचार का आरोप है। उसके चलते ही हिरासत में हैं। वे खनन घोटाले में भी आरोपी है। इस मामले में शक की सुई अखिलेश यादव की तरफ भी घूम रही है क्योंकि कुछ समय तक खनन मंत्रालय उनके पास भी था।
गायत्री प्रजापति मुलायम-शिवपाल परिवार के करीबी भी रहे हैं। उस दौर में तो उनके किस्से भी बहुत चर्चा में रहते थे। हालांकि उस पर न जाते हुए मुद्दे पर आते हैं। ईडी उनको कस्टडी में लेने की फिराक में महीने भर से है। दिसबंर में उनके यहां छापा भी डाला था। उसी में बेनामी संपत्ति और हवाला कारोबार का खुलासा हुआ था। मगर पूरा सच सामने नहीं आया था। इस कारण एजेंसी उनसे पूछताछ करना चाहती थी।
इसके लिए जरूरी था कोर्ट में सबूत रखे जाए। एजेंसी ने रखा। कोर्ट में ईडी ने कहा कि गायत्री प्रजापति की पत्नी ने अपने बेटे से 2.14 करोड़ रु का कर्ज लिया था। वह कर्ज किस बाबत लिया था, उसका कोई विवरण नहीं मिल पाया है। उनकी पत्नी को व्यवसाय भी नहीं करती।
बेटे ने कहां से 2.14 करोड रुपये का कर्ज दिया, उसका भी कोई उचित जवाब नहीं मिला है। फिर छोटे बेटे के पास भी जो अचल संपत्ति है उसका भी कोई जवाब आरोपी के बेटे के पास नहीं था। उसने छह संपत्तियां खरीद रखी है। पर उसके लिए पैसा कहां से आया, वह नहीं बताया जबकि उसे दस दिन का समय दिया गया था।
ईडी ने आगे कहा कि आरोपी के खिलाफ कई शिकायतें मिली है।प्रजापति परिवार के पास बहुत बेनामी संपत्ति है। करोड़ों रुपये का लेनेदेन इनके सगे-संबिधों के खातों में हुआ। यही नहीं गायत्री प्रजापति की पत्नी और उनके बेटा-बेटी के नाम कोई 21 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है। वह भी तब जबकि आरोपी ने स्वीकार किया कि उसके परिवार के लोग 2013 से किसी भी प्रकार का कामकाज नहीं कर रहे हैं।
ईडी का दावा है कि गायत्री प्रजापति ने मंत्री रहते हुए अवैध खनन से करोड़ रुपये कमाए है। एजेंसी का तो यहां तक कहना है कि खनन आंवटन के एवज में प्रजापति ने मुबंई में चार फ्लैट लिए थे। इसके अलावा भी बहुत कुछ है जो गायत्री प्रजापति से पूछताछ के बाद ही सामने आएगा। इसलिए जरूरी है कि कोर्ट उन्हें 10 दिन के लिए, ईडी के सुपुर्द कर दे। कोर्ट ने दस दिन तक कस्टडी में देने की बात तो नहीं मानी। मगर सात दिन के लिए भेज दिया।