नोएडा में फ्लैट खरीदारों के लिए खुशखबरी! करीब 2 लाख लोगों को बड़ी राहत


बिल्डर्स को अथॉरिटी के करीब 45,000 करोड़ रुपये चुकाने हैं। हालांकि, आम लोगों और बिल्डर्स की गुहार के बाद सरकार ने इस मामले में अपनी सिफारिश देने के लिए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अमिताभ कांत की अगुआई में एक कमिटी गठित की थी।


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उत्तर प्रदेश Updated On :

नई दिल्ली। नोएडा व ग्रेटर नोएडा में कुछ साल पहले फ्लैट खरीदने वाले करीब 1।67 लाख लोगों के लिए खुशखबरी है। दरअसल, इन लोगों की रजिस्ट्री फंसी हुई थी जिसे अब मंजूरी मिल जाएगी। इन लोगों ने ऐसे बिल्डर्स से फ्लैट खरीदे थे जिन पर सरकारी प्राधिकरण बकाया है। इसलिए इन फ्लैट्स की रजिस्ट्री रोक दी गई थी। बिल्डर्स को अथॉरिटी के करीब 45,000 करोड़ रुपये चुकाने हैं। हालांकि, आम लोगों और बिल्डर्स की गुहार के बाद सरकार ने इस मामले में अपनी सिफारिश देने के लिए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अमिताभ कांत की अगुआई में एक कमिटी गठित की थी।

इस कमिटी ने एक पॉलिसी ड्राफ्ट की है जिसे अभी राज्य सरकार से मंजूरी मिलना बाकी है। इसे मंजूरी मिलने केल लिए नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी की भी हामी की जरूरत होगी। ड्राफ्ट में आईबीसी (इनसॉल्वेंसी बैंक्ररप्सी) कोड में बदलाव की सिफारिश की गई है। इसमें कहा गया है कि बिल्डर्स की जो बिल्डिंग दिवालिया प्रक्रिया में जा चुकी है उसके लिए रजिस्ट्री तुंरत शुरू की जाए। इसमें अथॉरिटी का कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो करीब 1 लाख घर खरीदारों को राहत मिलेगी।

इन लोगों को भी राहत

साथ ही वह बिल्डिंग्स जो दिवालिया प्रक्रिया में नहीं हैं और वहां खरीदार बगैर रजिस्ट्री कराए ही रह रहे हैं, वहां भी रजिस्ट्री शुरू की जाएगी। इसके लिए अथॉरिटी की ओर से बिल्डर को ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी करना जरूरी नहीं है। इस तरह कुल मिलाकर करीब 1।67 लाख लोग ऐसे होंगे जिनके कई सालों से फंसे फ्लैट्स की रजिस्ट्री अंतत: शुरू हो सकेगी। हालांकि, तीनों अथॉरिटी से इस ड्राफ्ट के लिए मंजूरी लेना इतना आसान नहीं होगा।

बिल्डर को छूट के लिए शर्त

पॉलिसी में बदलाव के तहत बिल्डर को छूट का फायदा तभी मिलेगा जब वह पेनल्टी चार्ज और अन्य बकाये का 25 फीसदी आवेदन के 60 दिन के अंदर जमा करेगा। इसके अलावा बाकी हिस्सा अगले 3 साल में जमा करेगा। इससे अथॉरिटी को उसका मूल बकाया तुरंत मिलने की उम्मीद है। इससे मामले से संबंधित कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातों में से एक यह है कि यदि कोई बिल्डर प्रोजेक्ट पूरा करने की स्थिति में नहीं है तो कुछ शर्तों के साथ वह उसे सरेंडर कर सकता है और रेरा उसे टेकओवर कर लेगा। बिल्डर किसी भी खरीदार से कोई एक्सट्रा चार्ज या पेनल्टी नहीं वसूलेगा।



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