पलायन पर रोक के लिए नौजवानों को अनुदान दे सरकार


सरकारी आंकड़ों के अनुसार सोनभद्र जनपद के लोगों की बैंकों में जमा 69 प्रतिशत पूंजी दूसरे प्रदेशों में पलायन कर जा रही है और यदि दुध्दी की बात की जाए तो यह और भी बड़े पैमाने पर हो रहा है।


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उत्तर प्रदेश Updated On :

सोनभद्र। आदिवासी बाहुल्य दुद्धी तहसील में प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता के कारण रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। बशर्ते सरकार इस क्षेत्र के विकास पर ध्यान दें। आज हालात यह है कि दुध्दी मजदूरों के पलायन का बड़ा केंद्र बन गया है। गांव में आमतौर पर 90 फीसदी नौजवान बाहर काम पर जाने के लिए मजबूर है। हालत इतनी बुरी है कि तमाम गांव में लड़कियां भी काम की तलाश में बाहर जा रही है। इतना ही नहीं इस क्षेत्र से पूंजी का भी बड़े पैमाने पर पलायन हो रहा है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार सोनभद्र जनपद के लोगों की बैंकों में जमा 69 प्रतिशत पूंजी दूसरे प्रदेशों में पलायन कर जा रही है और यदि दुध्दी की बात की जाए तो यह और भी बड़े पैमाने पर हो रहा है। ऐसी स्थिति में पलायन रोकने के लिए सरकार यहां की पूंजी से नौजवानों को कम से कम 10 लाख रुपए का अनुदान प्रदान करें। जिससे नौजवान नए उद्योग को शुरू कर सके। यह बातें आज रासपहरी में रोजगार अधिकार अभियान के तहत आयोजित गोष्ठी में उठी।

गोष्ठी में मौजूद किसानों ने कहा कि यदि कनहर सिंचाई परियोजना में नहरें बनाकर खेतों को पानी दिया जाए। तो बड़े पैमाने पर सब्जी से लेकर अन्य फसलों का उत्पादन होगा और खेती समृद्ध हो जाएगी। यहां अरहर व उड़द की दाल, हल्दी, लहसुन, आलू, अदरक, टमाटर और मिर्च जैसे सब्जियों के उत्पादन पर जोर दिया जाए और इनके संरक्षण के लिए सरकारी कोल्ड स्टोरेज और चटनी के उद्योग स्थापित किए जाएं तो न सिर्फ किसानों की आमदनी बढ़ेगी बल्कि लोगों को रोजगार भी उपलब्ध होगा। किसानों का यह भी कहना था कि इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मधुमक्खी पालन के जरिए से शहद भी पैदा किया जा सकता है जिस पर व्यवस्थित रूप से सरकार को ध्यान देना चाहिए।

गोष्ठी में नौजवानों ने कहा कि यहां तापीय परियोजनाओं से बड़े पैमाने पर राख निकल रही है। एनजीटी का स्पष्ट आदेश है कि किसी भी तापीय परियोजना के 100 किलोमीटर के दायरे के अंदर इस राख से बनी हुई ईट का ही निर्माण कार्यों में उपयोग किया जाएगा। ऐसी स्थिति में जिला प्रशासन को सभी सरकारी कामों में इन ईंटों के ही उपयोग का निर्देश देना चाहिए। इस ऐश ईट के उद्योग को लगाने के लिए सरकार को नौजवानों को मदद देनी चाहिए। गोष्ठी में कहा गया कि सरकारी आईटीआई और पॉलिटेक्निक के जरिए बड़े पैमाने पर कौशल विकास का काम भी होना चाहिए। ताकि सार्थक रोजगार के लिए सक्षम नौजवानों को तैयार किया जा सके।

बैठक में मौजूद महिलाओं ने बताया कि यहां बड़े पैमाने पर प्राईवेट माइक्रोफाइनेंस कंपनियों काम कर रही हैं। जो 17 से लेकर 30 परसेंट तक प्रतिवर्ष ब्याज लोगों से वसूल रही है। यहां तक कि सरकारी महिला स्वयं सहायता समूह में भी 12 फीसदी वार्षिक ब्याज दर है। जबकि बैंकों से लोन लेने पर कम ही ब्याज दर है। मांग की गई कि महिला स्वयं सहायता समूह को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार अनुदान दे।

दोना पत्तल, साबुन, अगरबत्ती, महुआ, अलसी और तिल के लड्डू , अदरक की बर्फी जैसे तमाम छोटे-मोटे उद्योगों को बढ़ावा देकर और उनके उत्पादन की खरीद की सरकार द्वारा गारंटी सुनिश्चित करके इस इलाके में समृद्धि लाई जा सकती है। गोष्ठी में रोजगार अधिकार अभियान की संचालन समिति और सलाहकार समिति के विस्तार के लिए छात्रों, नौजवानों समेत समाज सरोकारी नागरिकों से संवाद करने का भी निर्णय हुआ।

गोष्ठी के मुख्य वक्ता के रूप में आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर मौजूद रहे जिन्होंने विस्तार से बातचीत को रखा। गोष्ठी की अध्यक्षता मजदूर किसान मंच के अध्यक्ष जिलाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद गोंड ने की और संचालन युवा मंच की जिला संयोजक सविता गोंड ने किया।

गोष्ठी को एआईपीएफ के जिला संयोजक कृपा शंकर पनिका, मजदूर किसान मंच के तहसील संयोजक रामचंद्र पटेल, एआईपीएफ जिला प्रवक्ता मंगरु प्रसाद श्याम, जिला सचिव इंद्रदेव खरवार, युवा मंच की जिला अध्यक्ष रूबी सिंह गोंड, मनोहर गोंड, सुगवंती गोंड, रामविचार गोंड, महावीर गोंड आदि ने संबोधित किया।