गंगा किनारे की यात्रा पर गोविंदाचार्य, कहा- गैर राजनीतिक तरीके से देश को खड़ा किया जा सकता है

चिंतक-विचरक और भारत स्वाभिमान मंच के संयोजक के एन गोविंदाचार्य 9 सितंबर (अध्ययन अवकाश दिवस) से दो अक्तूबर (गांधी जयंती) तक गंगा के किनारे यात्रा करेंगे। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस की सभी वर्जनाओं का पालन करते हुए देव प्रयाग से गंगा सागर तक लोगों से संवाद और प्रवास करेंगे। उन्होंने कहा, गैर राजनीतिक तरीके से भी समाजसत्ता के सामर्थ्य से अपना देश खड़ा हो सकता है। मैं ऐसा विश्वास करता हूं और अपने इसी विश्वास का अनुसरण करूंगा।

गोविंदाचार्य ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के महासचिव पद को त्यागकर 9 सितंबर 2000 को अध्ययन अवकाश लिया था। उन्होंने बताया, उस समय देश और दुनिया आर्थिक करारों के दौर से गुजर रही थी। मैं चाहता था कि भारत जैसा देश इस दौर में सजगता और सावधानी बरतें क्योंकि हमारे पास अकूत साधन और अपार बौद्धिक क्षमता है। कहीं हमारी भूल से ये सब चीजें गिरवी ना रख दी जाए और ईस्ट इंडिया कंपनी जैसी हजारों कंपनियां भारत को अपने शिकंजे में जकड़ सकती हैं, यह भय मुझे था।


उन्होंने कहा, 9 सितंबर 2000 के बाद भारत और विश्व की उलझनों को समझने में तीन साल लगाये फिर उसके बाद कुछ छोटे-छोटे प्रयोग किये। वे विशाल आकार के होते गये। गोविंदाचार्य ने कहा, 20 साल पहले राजनीति में सत्ता और संगठन में उनकी रुचि समाप्त हो गई थी। उन्होंने कहा, प्रकृति तथा लोगों के लिए काम करना जारी रखा और भारत में प्रकृति केंद्रित विकास की सोंच को साकार करना जीवन उदेश्य है।
आत्मनिर्भर भारत के सफल होने की कामना
गोविंदाचार्य ने कहा, मुझे बहुत खुशी है कि प्रधानमंत्री मोदी ने आत्मनिर्भर भारत की घोषणा की है। मैं आत्मनिर्भर भारत के सफल होने की कामना करता हूं।
भारत की असली ताकत
उन्होंने कहा, अब 9 सितंबर के 20 साल पूरे हो रहे हैं। इन 20 सालों में मैंने तीनों कार्यों को किया – अवलोकन, विमर्श और क्रियान्वयन। उनका कहना था, मुझे अपने इस 20 साल के कार्यकाल पर बहुत संतोष और गर्व है। उन्होंने कहा, भारत की असली ताकत है यहां की प्रकृति, यहां का पर्यावरण, यहां के लोगों के मूल स्वभाव और भारत के अपने संसाधन। यही भारत की ताकत है।

First Published on: September 8, 2020 9:14 PM
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