इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजीपुर के उसरी चट्टी कांड में पूर्वांचल के बाहुबली एमएलसी बृजेश सिंह की जमानत अर्जी खारिज कर दी है, बल्कि हाई कोर्ट ने गाजीपुर के जिला जज को निर्देशित किया है कि इस मुकदमे की मॉनिटरिंग करें और हर माह सुनवाई करते हुए अगले एक साल में मुकदमे को निस्तारित करें।
सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद बृजेश सिंह की जमानत अर्जी हाई कोर्ट ने खारिज कर दी। कोर्ट ने अपने फैसले में यह स्पष्ट किया है कि याचिकाकर्ता बृजेश सिंह का रुख संतोषजनक नहीं रहा है। एक मामले में साल 1986 में जमानत पाकर याची 20 साल तक भगोड़ा बना रहा। ऐसे हालात में जमानत मंजूर करना मुनासिब नहीं होगा। उसरी कांड सामान्य घटना नहीं है। इस मामले में तीन लोगों की हत्या हुई थी।
हाईकोर्ट ने कहा है कि ट्रायल कोर्ट को भौतिक गवाहों के बयान दर्ज करने के लिए सभी संभव साधनों का सहारा लेने के लिए निर्देशित किया जाता है, जिसके लिए वह इस साक्ष्य के रूप में धारा 309 सीआरपीसी में निहित प्रावधान के तहत रिकॉर्ड किए गए साक्ष्य के वैकल्पिक मोड को अपना सकता है और इसके अनुसार परीक्षण समाप्त करने का प्रयास करना चाहिए। जिला न्यायाधीश, गाजीपुर को मासिक आधार पर मामले की प्रगति की निगरानी करने के लिए निर्देशित किया जाता है और यदि यह मामला निर्धारित समय के भीतर तय नहीं किया जाता है, तो अभियुक्त-आवेदक को जमानत के लिए प्रार्थना करने की स्वतंत्रता होगी जो कि मेरिट पर फिर से विचार किया जाएगा।
दरअसल बृजेश सिंह 15 मामलों में बाइज्जत बरी हो चुके हैं जबकि 4 विचाराधीन मामलों में दो से तीन मामलों में उनको पहले ही जमानत मिल चुकी है। उसरी कांड मामले में वह जेल में निरुद्ध है, उसरी कांड में हाई कोर्ट से जमानत अर्जी मंजूर हो गई होती तो वह करीब एक दशक के कारावास के बाद बाहर निकल पाते।
बारह वर्ष पूर्व मुहम्मदाबाद कोतवाली क्षेत्र में उसरी चट्टी हत्याकांड हुआ था। दिनदहाड़े मऊ विधायक मुख्तार अंसारी के काफिले पर ट्रक पर सवार होकर आए बदमाशों ने अंधाधुंध फायरिंग की थी जिसमें विधायक का गनर तथा हमलावर पक्ष से एक की मौके पर ही मौत हो गई थी आौर एक ने बाद में दम तोड़ दिया था।
घटना 15 जुलाई 2001 की है। मऊ विधायक मुख्तार अंसारी जब अपने काफिले के साथ जा रहे थे, तभी उसरी चट्टी पर गोलियां तड़तड़ानी शुरू हो गई। ट्रक पर सवार होकर आए बदमाशों द्वारा की गई अंधाधुंध फायरिंग में मऊ विधायक मुख्तार अंसारी के गनर की गोली लगने से मौत हो गई। वहीं हमलावर पक्ष से मनोज राय भी मारा गया। इसी मामले में बृजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह आरोपी हैं। लंबे समय तक यह मामला विचाराधीन रहा लेकिन अब मामले में न्यायिक प्रक्रिया तेज हो गई है। 11 जनवरी को ही इसी मामले में दोनों आरोपियों के खिलाफ अदालत में आरोप तय हुआ।
इस बीच बाहुबली मुख्तार अंसारी की हत्या की सुपारी के मामले में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। इस खुलासे के मुताबिक अंसारी को मारने के लिए लंबू शर्मा को सुपारी उसके दुश्मन बृजेश सिंह ने ही दी थी। पिछले दिनों अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर राष्ट्रपति को मुख्तार अंसारी की पत्नी अफ्शा अंसारी ने पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने उसरी कांड का जिक्र भी किया था।
बृजेश सिंह ने लंबू शर्मा को अंसारी को मारने की छह करोड़ रुपये की सुपारी दी थी। ये अहम खुलासा लंबू शर्मा की गिरफ्तारी के बाद हुआ है। बाहुबली मुख्तार अंसारी की सुपारी दिये जाने का मामला सामने आने के बाद कौमी एकता दल ने मांग की है कि मुख्तार अंसारी और उसके परिजनों को जेड श्रेणी की सुरक्षा दी जाए। सुपारी के खुलासे के बाद अब पूर्वांचल में यूपी पुलिस क्राइम ब्रांच और स्पेशल टास्क फोर्स ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। इनके रडार पर ब्रजेश और मुख्तार गैंग के टॉप शूटर हैं। खुलासे के बाद पूर्वांचल में गैंगवार की आशंका बढ़ गई है।
हाईकोर्ट ने कहा है कि दोनों पक्षों को सुनने के बाद, यह न्यायालय का विचार है कि यह एक ऐसा मामला है,जिसमें ग्यारह घायल व्यक्ति हैं और तीन व्यक्ति अपनी जान गंवा चुके हैं और इस मामले में चश्मदीद गवाह के साथ-साथ घायल गवाह भी हैं। यह क्रूरघटना है। इसलिए ऐसे मामले में आरोपी-आवेदक को केवल इस आधार पर जमानत पर रिहा करना उचित नहीं है कि ट्रायल में देरी हो रही है। इसलिए आरोपी-आवेदक के जमानत प्रार्थनापत्र को अस्वीकार किया जाता है।