गोरखपुर कांड : मनीष गुप्ता की मौत मामले में सामने आईं होटल की तस्वीरें, विपक्ष ने की CBI जांच की मांग, एक्शन में योगी सरकार


एक्शन में आए प्रशासन ने मामले की जांच पड़ताल करना शुरु कर दी है। जिस दौरान होटल के अंदर की कुछ तस्वीरें सामने आ गई हैं।



लखनऊ। गोरखपुर में कानपुर के प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की मौत मामले को लेकर विपक्ष ने योगी सरकार को घेर लिया है। इसी के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी दोषियों के खिलाफ निर्देश जारी किए हैं।

वहीं एक्शन में आए प्रशासन ने मामले की जांच पड़ताल करना शुरु कर दी है। जिस दौरान जांच में होटल के अंदर की कुछ तस्वीरें सामने आईं हैं, जिनमें पुलिसकर्मी कमरे में मनीष और उनके दोस्तों की तलाशी लेते नजर आ रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार होटल के कमरे में रामगढ़ताल थाना इंचार्ज जगत नारायण सिंह और सब इंस्पेक्टर अक्षय मिश्रा तलाशी लेते दिखाई दे रहे हैं। इन तस्वीरों से साफ पता चलता है कि पुलिसकर्मी के आने तक कमरे में सब ठीक था।

विपक्ष ने की सीबीआई जांच की मांग

गोरखपुर जिले में कथित रूप से पुलिस कर्मियों द्वारा बर्बरतापूर्ण पिटाई किए जाने से कारोबारी मनीष गुप्ता की मौत के मामले को लेकर विपक्ष ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की है।

जिस मामले में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कानपुर जाकर मृतक व्यवसायी के परिजन से मुलाकात की। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि इस घटना में तब तक न्याय मिलना मुश्किल है जब तक मामले की सीबीआई से या उच्च न्यायालय के किसी सेवारत न्यायाधीश की निगरानी में जांच ना हो।

अखिलेश ने कहा “गोरखपुर की घटना में तब तक न्याय मिलना मुश्किल है जब तक सीबीआई जांच या उच्च न्यायालय के किसी सेवारत न्यायाधीश की निगरानी में जांच ना हो।” उन्होंने मृतक के परिवार को दो करोड़ रुपये की मदद और मृतक की पत्नी को सरकारी नौकरी देने की मांग करते हुए ऐलान किया कि समाजवादी पार्टी भी परिवार को 20 लाख रुपये की सहायता देगी।

इसी क्रम में बसपा अध्यक्ष मायावती ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा “गोरखपुर की पुलिस द्वारा तीन व्यापारियों के साथ होटल में बर्बरता व उसमें से एक की मौत के प्रथम दृष्टया दोषी पुलिसवालों को बचाने के लिए मामले को दबाने का प्रयास घोर अनुचित है। घटना की गंभीरता और परिवार की व्यथा को देखते हुए मामले की सीबीआई जाँच जरूरी है।”

मायावती ने कहा “आरोपी पुलिसवालों के विरूद्ध पहले हत्या का मुकदमा दर्ज नहीं करना, और फिर जन आक्रोश के कारण मुकदमा दर्ज होने के बावजूद उन्हें गिरफ्तार नहीं करना, सरकार की नीति व नीयत दोनों पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है। सरकार पीड़िता को न्याय, उचित आर्थिक मदद व सरकारी नौकरी दे, बसपा की यही माँग है।” अखिलेश ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में पुलिस का ऐसा व्यवहार किसी अन्य पार्टी के शासनकाल के दौरान देखने को नहीं मिला।

योगी सरकार के निर्देश

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कानपुर के प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की मौत मामले निर्देश दिया है कि यूपी के एजीडी लॉ एंड ऑर्डर और डीजी इंटेल दो कमेटी बनाकर पूरे प्रदेश में पुलिसवालों के चरित्र का रिव्यू किया जाए। इसी के साथ ही मामले में दोषी पाए गए पुलिसकर्मियों को जबरन रिटायर कर और उन्हें नौकरी से भी बर्खास्त किया जाए।

कारोबारी की पत्नी का आरोप 

मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी का आरोप है कि तलाशी के लिए आए पुलिसकर्मियों ने उनके पति के साथ जानवरों जैसा व्यवहार किया। पूछताछ के नाम पर थाने ले जाने के बाद लाठी-डंडों से उनकी जमकर पिटाई की। जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी।

वहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी मनीष के शरीर पर गहरे और गंभीर चोट के निशानों की पुष्टि हुई है। इसके अलावा उनके शरीर पर 4 गंभीर चोटों के निशान पाए गए, जहां सिर के बीच में आई बड़ी चोट मनीष के लिए जानलेवा साबित हुई।

दोषी पुलिसकर्मियों को किया गया बर्खास्त

मनीष गुप्ता की पिटाई के बाद मौत के मामले में जिन छह पुलिसकर्मियों को बर्खास्त किया गया है, उन सभी के नाम सामने आ गए हैं। इस मामले में रामगढ़ताल थाने के एसएचओ जगत नारायण सिंह, अक्षय मिश्रा, विजय यादव, राहुल दुबे, कांस्टेबल कमलेश यादव और प्रशांत कुमार को सस्पेंड किया गया है।

गौरतलब है कि गत सोमवार को देर रात गोरखपुर जिले के रामगढ़ ताल इलाके में एक होटल में पूछताछ के दौरान कथित रूप से पुलिस द्वारा मारे पीटे जाने से कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता (36) की मृत्यु हो गई थी। अब इस मामले में दोषी पाए गए छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने के बाद सभी को निलंबित किया जा चुका है।



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