महाकुंभ में गंगा का पानी कितना साफ? BHU के प्रोफेसर ने किया बड़ा दावा

प्रोफेसर विजय नाथ मिश्रा ने कहा कि गंगा जी के पानी में जितनी बड़ी मात्रा में फिकल क्वालीफॉर्म बढ़ेगा, गंगा का पानी उतने से दुगनी रफ्तार से इसे किल करने का फेज बना लेता है। गंगा का पानी अमृत शायद इसीलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें फेज बनाने का अद्वितीय गुण है।

महाकुंभ में स्नान को लेकर केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट सामने आई उसे लेकर विरोधी दल लगातार सरकार पर निशाना साध रहे हैं। इस बीच बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट विजय नाथ मिश्रा ने इन दानों को एक सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने दावा किया कि गंगा वाटर में जो फिकल क्वालीफार्म की संख्या बताई जा रही है यह सही है। जहां मास गैदरिंग होती है वहां फिकल क्वालीफार्म की संख्या बढ़ जाती है लेकिन, विजयनाथ मिश्रा का दावा है की गंगा जी का पानी ही ऐसा पानी है जो फेज बनाता है। यह फेज कितने भी प्रदूषण को खत्म करने में सक्षम होता है।

प्रोफेसर विजय नाथ मिश्रा ने कहा कि गंगा जी के पानी में जितनी बड़ी मात्रा में फिकल क्वालीफॉर्म बढ़ेगा, गंगा का पानी उतने से दुगनी रफ्तार से इसे किल करने का फेज बना लेता है। गंगा का पानी अमृत शायद इसीलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें फेज बनाने का अद्वितीय गुण है। इसलिए गंगा के पानी में यह बताना कि प्रदूषण बढ़ गया है, फिकल क्वालीफार्म की संख्या बढ़ गई है, यह सरासर गंगा के पानी के साथ नाइंसाफी है। क्योंकि गंगा का पानी फेज बनाने में आदित्य गुण रखता है। जिसकी वजह से गंगा का पानी हमेशा अमृत रहता है।

उन्होंने दावा किया कि एक बार गंगा का पानी टच कर लीजिए तो वह फेज आपके हाथ में करोड़ों की संख्या में चिपक जाते हैं जो की खराब क्वालिटी के बैक्टीरिया को या वायरस को किल करते रहते हैं। इसीलिए गंगा का पानी आज भी शुद्ध है और आगे भी शुद्ध रहेगा। इसमें फिकल क्वालीफार्म की संख्या बढ़ने की जो बात की जा रही है वो सही हो सकता है। लेकिन, हम लोग दूसरा टेस्ट करते हैं हम लोग फेज टेस्ट करते हैं।

गंगा का पानी ही ऐसा पानी है जिसे अमृत कहा जा सकता है क्योंकि यह बैक्टीरिया फेज प्रोड्यूस करने वाला जल होता है। जिसकी वजह से खराब किस्म के बैक्टीरिया को कील कर देता है। प्रोफेसर का दावा है की गंगा का पानी ऐसा पानी है जो एक बार छू लीजिए तो करोड़ों बैक्टिरिया फेज आपके हाथ में चिपक जाते हैं और जिंदगी भर हाथ धोते रहिए वह छूटने वाले नहीं होते हैं और वह बैक्टीरिया खराब किस्म के बैक्टीरिया को हमेशा मारते रहते हैं। यदि आपने नहा लिया तो समझ लीजिए अपने अमृत का स्नान कर लिया।

यही कारण है की कुंभ में स्नान करने वाले जितने भी लोग हैं उन्हें किसी तरह का कोई इंफेक्शन नहीं हुआ है। यह अलग बात है कि कुछ लोगों को एलर्जी डस्ट या बालू के कणों से एलर्जी हो सकती है। लेकिन, गंगा के पानी की वजह से अभी तक किसी को एलर्जी या बीमारी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि संगम में भारी भीड़ होने की वजह से फिकल क्वालीफाम की संख्या बढ़ना नेचुरल फिनोमिना है लेकिन, गंगा के पानी का अद्वितीय होना इसलिए जायज है क्योंकि गंगा के पानी में बैक्टीरियोफेज वायरस मौजूद है। जो दुनिया के किसी भी नदी में नहीं है।

प्रदूषण बोर्ड के द्वारा जारी फिकल क्वालीफार्म की संख्या से डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि जितनी संख्या में फिकल क्वालीफॉर्म बढ़ेगा उससे कहीं करोड़ की संख्या में बैक्टीरियो फेज वायरस गंगा जी में मौजूद है। जिसकी वजह से गंगा का पानी आज भी अमृत बना हुआ है। इसलिए प्रदूषण बोर्ड द्वारा जारी रिपोर्ट किसी मामले में कुंभ में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को विचलित नहीं करनी चाहिए।

First Published on: फ़रवरी 22, 2025 12:29 अपराह्न
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