मनरेगा मजदूरों को राहत या छलावा है वित्तमंत्री का ऐलान

मनरेगा के तहत मज़दूरी में महज़़ बीस रुपये की बढ़ोत्तरी की गई। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने दावा किया कि ग्रामीण इलाकों में हर मज़दूर को इससे दो हज़ार रुपये मिलेंगे, लेकिन यह दावा फ़र्ज़ी है। दरअसल यह दो हज़ार रुपये तब मिलेंगे, जब पूरे 100 दिनों तक काम मिलता रहेगा। ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक़, इस साल औसतन एक मज़दूर को 48 दिन का काम मिल रहा है।

मनरेगा के तहत मज़दूरी में महज़़ बीस रुपये की बढ़ोत्तरी की गई। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने दावा किया कि ग्रामीण इलाकों में हर मज़दूर को इससे दो हज़ार रुपये मिलेंगे,लेकिन यह दावा फ़र्ज़ी है। दरअसल यह दो हज़ार रुपये तब मिलेंगे, जब पूरे 100 दिनों तक काम मिलता रहेगा। ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक़, इस साल औसतन एक मज़दूर को 48 दिन का काम मिल रहा है। पिछले साल यह औसत 51 था। पिछले कुछ सालों से यह आंकड़ा इसी के आसपास घूमता है। इसलिए यह संभव ही नहीं है कि मज़दूरों को दो हज़ार रुपये की अतिरिक्त आय होगी।फिर आय जब होगी तब होगी,फिलहाल तो मनरेगा में कोई काम ही नहीं चल रहा है।   
इसके पहले सीतारमण ने दावा किया था कि ”ग़रीब कल्याण योजना” नाम के इस पैकेज में 1.7 लाख करोड़ रुपये ख़र्च किए जाएंगे। इसमें 80 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा और इसे तुरंत लागू किया जाएगा।इस पैकेज के तहत मनरेगा की मज़दूरी 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये कर दी गई, इनकम सपोर्ट स्कीम के तहत दर्ज सभी किसानों को 2000 रुपये दिए जाएंगे, जन धन योजना अकाउंट होल्डर महिला को तीन महीने तक 500 रुपये प्रति महीने के हिसाब से पैसा दिया जाएगा, ग़रीब विधवा-विकलांगों और बुजुर्ग लोगों को एकमुश्त एक हज़ार रुपये दिए जाएंगे, उज्जवला का लाभ लेने वालों को फ्री सिलेंडर उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके अलावा कुछ दूसरे उपाय भी किए गए हैं। इसी तरह इनकम सपोर्ट स्कीम के तहत दर्ज सभी किसानों को 2000 रुपये दिए जाने की बात वित्त मंत्री ने की और कहा कि किसानों के लिए 17,380 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि ज़ारी  की जा रही है।दरअसल यह भी पूरी तरह छलावा है। वास्तव में प्रधानमन्त्री किसान योजना के तहत  यह पहले से ही 2020-21 के लिए बजट में है, लेकिन सरकार 2,000 रुपये के पहले किश्त के भुगतान का फ्रंट-लोडिंग कर रही है। पीएम किसान योजना के तहत बजट में प्रति किसान 6,000 रुपये का बजट है।      
गौरतलब है कि भारत सरकार इस पैकेज के जरिए एक नागरिक पर औसतन करीब 1200 रुपए खर्च करेगी। यह पैकेज अमेरिकी राहत पैकेज के एक दिन बाद आया है। बुधवार को अमेरिकी संसद सीनेट ने कोरोना संकट के बीच देश के करीब 30 करोड़ लोगों के लिए 151 लाख करोड़ रुपए का राहत पैकेज जारी किया था। इसके जरिए ट्रम्प सरकार एक नागरिक पर औसतन 4.55 लाख खर्च करेगी। भारत सरकार का राहत पैकेज अमेरिका की तुलना में कहीं नहीं ठहरता है। अमेरिकी राहत पैकेज की तुलना में भारत का पैकेज महज 1.1फीसद है। वहीं,अगर देशों की आबादी और प्रति व्यक्ति मदद के हिसाब से देखें तो कतर का पैकेज सबसे बड़ा हो जाता है। करीब 28 लाख की आबादी वाले कतर ने 2300 करोड़ डॉलर का पैकेज जारी किया है जो प्रति व्यक्ति करीब 6.18 लाख रुपए का हो जाता है। इसके बाद जर्मनी 5.48 लाख रुपए प्रति व्यक्ति और फ्रांस का नंबर आता है।

First Published on: March 28, 2020 8:10 PM
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