उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को जोर का झटका लग सकता है। नियामक आयोग जल्द ही प्रदेश में टैरिफ तय करने संबंधी नए मानकों को लागू करने की तैयारी कर रही है। नए मानकों के तहत बिजली की दरें तय होने के बाद बिजली चोरी और बिजली कंपनियों को होने वाले घाटे का खामियाजा भी उपभोक्ताओं को उठाना पड़ सकता है। अगर ये प्रस्ताव लागू होता है तो जाहिर है इसका सीधा असर बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ेगा और बिजली की दलों में जबरदस्त इजाफा हो सकता है। नए टैरिफ मानकों को लेकर अभी से यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद में नाराजगी देखने को मिल रही है।
उपभोक्ता परिषद नए टैरिफ मानकों को निजी घरानों के लिए फायदेमंद बताया है और इसे पूरे मामले में विद्युत नियामक आयोग की भूमिका को लेकर सवाल उठाए हैं। परिषद ने कहा कि नए मानकों से उपभोक्ताओं को खामियाजा उठाना पड़ेगा। जल्द ही इस मुद्दे पर ऑनलाइन प्रतिक्रिया ली जाएगी, जिसके बाद इसके खिलाफ संघर्ष की घोषणा की जा सकती है।
प्रदेश में हर साल मल्टी ईयर वितरण टैरिफ़ रेगुलेशंस के आधार पर बिजली की दरें तय जाती है। इससे पहले 2019 अगले पांच साल के लिए रेगुलेशंस बनाए गए थे, जिसकी अवधि अब खत्म हो गई है और अब इसे नए सिरे से तैयार किया जा रहा है। नए मसौदे में टैरिफ़ निर्धारण क़ानून में कई बदलाव किए गए है। जिसके तहत बिजली चोरी, कंपनियों को होने वाले वित्तीय घाटे और भ्रष्टाचार से होने वाले नुक़सान की भरपाई उपभोक्ताओं से की जाएगी।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि इस तरह के मानकों से बिजली की दरों में बढ़ोतरी होगी। नए मानक निजीकरण के लिए प्रस्तावित पाँच कंपनियों को लेने के लिए इच्छुक निजी घरानों के दबाव में बनाए गए हैं। इनसे बिजली कंपनियों पर निकल रहे 33,122 करोड़ रुपये का सरप्लस खत्म होगा और उपभोक्ताओं को नुकसान उठाना पड़ेगा। उन्होंने बिना दबाव में आए पुराने मानकों को ही बनाए रखने की मांग की और उम्मीद जताई कि आयोग उपभोक्ताओं के हित में ही निर्णय लेगा।