मुजफ्फरनगर। केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों सहित किसानों से संबंधित मुद्दों को लेकर उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में रविवार को ‘किसान महापंचायत’ आयोजित किया गया। जहां किसानों ने अगले वर्ष की शुरुआत में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले अपने इरादों को बुलंद किया।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने दावा किया कि ‘सेल फार इंडिया’ का बोर्ड देश में लग चुका है और जो देश बेच रहे हैं उनकी पहचान करनी पड़ेगी और बड़े-बड़े आंदोलन चलाने पड़ेंगे।
मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से आयोजित किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने कहा, “आज संयुक्त किसान मोर्चा ने जो फैसले लिए हैं उसके तहत हमें पूरे देश में बड़ी-बड़ी सभाएं करनी पड़ेंगी। अब यह मिशन केवल उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का मिशन नहीं, अब यह मिशन संयुक्त मोर्चे का देश बचाने का मिशन होगा। यह देश बचेगा तो यह संविधान बचेगा। लड़ाई उस मुकाम पर आ गई है और जो बेरोजगार हुए हैं यह लड़ाई उनके कंधों पर हैं।”
टिकैत ने कहा, “हमें फसलों पर एमएसपी की गारंटी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा था कि 2022 में किसानों की आय दोगुनी होगी और पहली जनवरी से हम दोगुनी रेट पर फसल बेचेंगे। हम जाएंगे देश की जनता के बीच में और पूरे देश में संयुक्त किसान मोर्चा आंदोलन करेगा।” उन्होंने आगे कहा, “जिस तरह एक-एक चीज बेची जा रही है, तीनों कृषि कानून उसी का एक हिस्सा हैं।”
टिकैत ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर देश की जनता को धोखा देने का आरोप लगाते हुए कहा, “इनका धोखा नंबर एक है कि यहां पर रेल, हवाई जहाज और हवाई अड्डे बेचे जाएंगे। धोखा नंबर दो- बिजली बेचकर निजीकरण करेंगे, यह कहीं घोषणा पत्र में नहीं लिखा। जब वोट मांगते तो नहीं कहा कि बिजली भी बेचेंगे।”
उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया, “ये सड़क बेचेंगे और पूरी सड़कों पर टैक्स लगेगा और राष्ट्रीय राजमार्ग के पांच सौ मीटर तक कोई चाय की गुमटी भी नहीं लगा सकता। देखना ये क्या क्या चीज बेच रहे हैं। सेल फार इंडिया का बोर्ड देश में लग चुका है। यह एलआईसी, बड़ी कंपनी, बैंक सब बिक रहे हैं। देश के बंदरगाह बेच दिये गये हैं। ये जल को बेच रहे हैं, निजी कंपनियों को नदियां बेची जा रही हैं। ये कभी भी बोर्ड लगा सकते है कि भारत बिकाऊ है।”
टिकैत ने कहा कि अब ओएनजीसी, बीपीसीएल, इस्पात और चिकित्सा और देश का संविधान भी खतरे में हैं। उन्होंने कहा कि बाबा अंबेडकर का संविधान खतरे में है, उसको भी बचाना है। साथ ही उन्होंने कहा कि अब खेती-किसानी भी बिक्री के कगार पर है और इसलिए ये आंदोलन नौ माह से चल रहा है।
भाकियू प्रवक्ता ने कहा, “हम उत्तर प्रदेश की जिस जमीन पर हैं वह गन्ने की बेल्ट है। इन लोगों ने कभी नहीं कहा कि गन्ने का मूल्य साढ़े चार सौ रुपये देने को तैयार हैं। सरकारें पहले भी आईं और उन्होंने 80 रुपये गन्ने का रेट बढ़ाया। दूसरी वाली सरकार आई तो 50 रुपये रेट बढ़ाया लेकिन क्या योगी सरकार उन दोनों से कमजोर है, एक रुपया भी गन्ने का रेट नहीं बढ़ाया। हमारा 12 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा चीनी मिलों और सरकार पर गन्ना मूल्य का बकाया है और अगर हम मांगते हैं तो कहते हैं कि ये राजनीति कर रहे हैं। अगर ये मुद्दा उठाना राजनीति है तो ये मुद्दे यहां के लोग उठाते रहेंगे।”
किसान नेता ने नारा दिया और कहा कि अब यह नारा लगाना पड़ेगा कि पूर्ण रूप से फसलों के दाम नहीं तो वोट नहीं। टिकैत ने कहा, “यहां पर पुलिस फोर्स के लोग हैं जो 24 घंटे ड्यूटी देते हैं लेकिन उनकी सैलरी प्राइमरी के टीचर से आधी है और अपनी आवाज नहीं उठा सकते हैं।” उन्होंने पुलिसकर्मियों का वेतन शिक्षकों के वेतन के बराबर करने की मांग की।
टिकैत ने कहा कि जितने सरकारी कर्मचारी हैं उनकी पेंशन खत्म कर रहे और एमपी-एमएलए पेंशन ले रहे हैं। आप देश में निजीकरण करोगे तो रोजगार खत्म करोगे। उन्होंने कहा कि मोदी, अमित शाह और योगी बाहर के हैं और इनको यहां से जाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि उप्र की जमीन पर ये दंगा करवाने वाले लोग हैं और इनको यहां की जनता बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि अगर कोई उत्तराखंड से चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बन जाता है तो हमें आपत्ति नहीं है लेकिन उत्तर प्रदेश की धरती पर इन दंगाइयों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में रविवार सुबह विभिन्न राज्यों के किसान मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में हुई किसान महापंचायत में बड़ी संख्या में शामिल हुए। कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने से पहले रैली के बारे में विस्तार से बताते हुए भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, ‘हमें देश को बिकने से रोकना है। किसान को बचाना चाहिए, देश को बचाना चाहिए, कारोबारियों, कर्मचारियों और युवाओं को बचाना चाहिए, यही रैली का उद्देश्य है।”
इस बीच किसान एकता मोर्चा ने रणसिंघा (वाद्य यंत्र) बजाते हुए एक व्यक्ति की तस्वीर ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा, ‘ पुराने समय में जब इज्जत मान सम्मान के लिए युद्ध लड़े जाते थे तो इसी यंत्र से आह्वान किया जाता था। आज भाजपा-कॉर्पोरेट राज के खिलाफ समस्त किसान-मजदूर ने युद्ध का आह्वान किया है।’
कार्यक्रम को अधिकार कार्यकर्ता मेधा पाटकर और स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव समेत कई प्रमुख वक्ताओं ने संबोधित किया। यादव को मंच पर टिकैत ने पीला वस्त्र दिया। इस अवसर पर राकेश टिकैत को एक गदा भी भेंट की गई और कर्नाटक की एक महिला किसान नेता ने सभा को कन्नड़ भाषा में संबोधित किया।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक के अनुसार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, कर्नाटक जैसे विभिन्न राज्यों के 300 किसान संगठनों के किसान कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे हैं, जहां 5,000 से अधिक लंगर (भोजन स्टाल) लगाए गए हैं। संगठनों के झंडे और अलग-अलग रंग की टोपी पहने किसान बसों, कारों और ट्रैक्टरों के जरिए यहां पहुंचते देखे गए। आयोजन स्थल के आसपास कई चिकित्सा शिविर भी लगाए गए हैं। जीआईसी कॉलेज के मैदान तक पहुंचने में असमर्थ लोगों को कार्यक्रम देखने की सुविधा प्रदान करने के लिए शहर के विभिन्न हिस्सों में एलईडी स्क्रीन भी लगाई गई हैं।
बता दें कि महापंचायत के पहले, मुजफ्फरनगर जिला प्रशासन ने आयोजन स्थल और महापंचायत के प्रतिभागियों पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाने के राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के अनुरोध को खारिज कर दिया है। सिटी मजिस्ट्रेट अभिषेक सिंह ने रालोद के अनुरोध को यह कहते हुए खारिज किया कि सुरक्षा कारणों से इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है। रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने जिला प्रशासन से आंदोलन कर रहे किसानों के सम्मान में महापंचायत पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाने की अनुमति मांगी थी।
संयुक्त किसान मोर्चा ने शनिवार को एक बयान में दावा किया था, “पांच सितंबर की ‘महापंचायत’ राज्य और केंद्र की योगी-मोदी सरकार को किसानों, खेत मजदूरों और कृषि आंदोलन के समर्थकों की ताकत का एहसास कराएगी। मुजफ्फरनगर ‘महापंचायत’ पिछले नौ महीनों में अब तक की सबसे बड़ी महापंचायत होगी।” बयान में कहा गया कि ‘महापंचायत’ में भाग लेने वाले किसानों के लिए 100 चिकित्सा शिविर भी लगाए गए हैं। पंजाब के कुल 32 किसान संघों ने राज्य सरकार को प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामले वापस लेने के लिए आठ सितंबर की समय सीमा दी है और कहा कि अगर मामले वापस नहीं लिए जाते, तो किसान आठ सितंबर को बड़े विरोध के लिए खाका तैयार करेंगे।
वहीं दूसरी ओर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के बेटे चरण सिंह टिकैत ने जानकारी दी थी कि जब तक सरकार तीन कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती तब तक उनके पिता घर नहीं आएंगे। इस बीच, मुजफ्फरनगर जिले के अधिकारियों ने ‘महापंचायत’ के मद्देनजर शराब की सभी दुकानों को बंद करने का आदेश दिया है। जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह ने कहा कि शराब की सभी दुकानों को शनिवार शाम छह बजे से पांच सितंबर को महापंचायत खत्म होने तक बंद रखने का आदेश दिया गया है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से यह कदम उठाया गया है।
गौरतलब है कि तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन को नौ महीने से अधिक समय हो गया है। किसान उन कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। उन्हें डर है कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को खत्म कर देंगे। सरकार, जो प्रमुख कृषि सुधारों के रूप में कानूनों को पेश कर रही है, उसके साथ 10 दौर से अधिक की बातचीत, दोनों पक्षों के बीच गतिरोध को तोड़ने में विफल रही है।