उन्होंने कहा कि यह जग-ज़ाहिर है कि हर पार्टी के सामने उतार-चढ़ाव आते रहते हैं और आज़ादी के पश्चात लगभग 70 वर्षों तक लुप्तप्रायः रहने के बाद आज सत्तासीन जनसंघ/भाजपा की साम्प्रदायिकता व घिनौनी जनविरोधी एवं जातिवादी नीतियां, कांग्रेस सरकारों की तरह चरम पर हैं। ऐसा किसने सोचा था? आज भाजपा अगर शक्तिशाली व सत्तासीन है तो इसके लिए सबसे बड़ी ज़िम्मेदार तथा कसूरवार कांग्रेस पार्टी और उसकी गलत तथा जनविरोधी नीतियां हैं।
उन्होंने कहा कि केन्द्र व उत्तर प्रदेश की सरकार जन, समाज व देशहित को पीछे छोड़ अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करके अपने विरोधियों की आवाज दबाने में लगी हुई हैं, जो भारत के लोकतंत्र के लिए अति-दुर्भाग्यपूर्ण है। इसे लेकर हर ओर चिंता पसरी हुई है।
बसपा द्वारा बुधवार को जारी एक बयान में कहा गया कि चुनावी आदि की तैयारी के सम्बन्ध में गत पांच फरवरी को शुरू की गईं मण्डल व ज़िलावार समीक्षा बैठकों का पहला दौर आज समाप्त हो गया।
इस दौरान उत्तर प्रदेश के सभी 18 मण्डल व 75 ज़िलों के पार्टी पदाधिकारियों ने अपनी-अपनी कमेटी की गतिविधियों से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट पार्टी प्रमुख को पेश की ।
बयान में कहा गया है कि इन समीक्षा बैठकों में बी.एस.पी. मूवमेन्ट के जन्मदाता व पार्टी संस्थापक कांशीराम की 15 मार्च को होने वाली जयंती से संबंधित कार्यक्रम पहले की तरह मनाने का फैसला लिया गया।
मायावती ने मण्डल व ज़िला स्तरीय समीक्षा बैठकों में पंचायत व स्थानीय निकाय चुनाव से संबंधित पार्टी की तैयारियों की भी समीक्षा की।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में अगर ये चुनाव स्वतंत्र व निष्पक्ष ढंग से कराए गए तो आगामी विधानसभा चुनाव से पहले पूरे प्रदेश में केन्द्र व राज्य की सरकार के खिलाफ व्यापक जन असंतोष व जनाक्रोश देखने को मिलेगा।