दीपक द्विवेदी
प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शासकीय
कार्यप्रणाली ने साबित कर दिया है कि देश एवं प्रदेश के राजनेताओं की सोच
नौकरशाहों/ब्यूरोक्रेट से काफी ऊंची, समयानुकूल और दूरदर्शी होती है। इसकी ताजी नजीर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
द्वारा कोरोना संकट के समय राज्य के 45 जिलों के जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों के कामकाज की समीक्षा करने के बाद
आए निष्कर्ष से निकल कर आयी है।
दरअसल, ये समीक्षा राज्य के ब्यूरोक्रेट ने नहीं,
बल्कि राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा अपनी सफलता
के निर्धारित मापदंडों पर अधिकारियों द्वारा कराई गई है। इसलिए इस समीक्षा में अधिकारियों
की राज्य पर कोई खास भूमिका नहीं रही है और न ही वे इसमें किसी भी तरह की छेड़छाड़
कर सकते थे।
हकीकत यह है कि
यदि मुख्यमंत्री लॉकडाउन के दौरान राज्य के 45 जिलों के कार्य संचालन की समीक्षा स्वयं न कराते, तो अधिकारी कभी भी इस तरह का ब्यौरा न तो
मुख्यमंत्री को दे पाते, और न ही ये
ब्यौरा सार्वजनिक हो पाता।
मुख्यमंत्री योगी
द्वारा इन जिलों में लॉकडाउन के दौरान जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों के कामकाज
के संचालन, शासनादेशों के अनुपालन और
कठोर कार्रवाईयों को अमल में लाने की समीक्षा और उसके नतीजे बताते हैं कि इनमें 45 जिलों के डीएम और एसपी का कामकाज असंतोषजनक
रहा है।
अभी गनीमत तो यह है कि मुख्यमंत्री ने इस बात का फैसला नहीं किया है कि
संकट के इस भीषण काल में 45 जिलों के डीएम
और एसपी की चरित्र-पंजिका में इस अंसतोषजनक कामकाज का जिक्र होगा या नहीं?
जानकारों का कहना
है कि मुख्यमंत्री ने जिलों के कामकाज की समीक्षा में राज्य के सूचनातंत्र के
अलावा, केंद्र की सूचनाओं एवं
निजी सूचना तंत्रों को काफी अहमियत दी है।
दरअसल, राज्य के अधिकारी तंत्र से मुख्यमंत्री के
द्वारा कभी ये साफ-साफ नहीं कहा गया कि राज्य के ज्यादातर जिलों में लॉकडाउन की
स्थिति पर काबू पाने में जिले के डीएम और एसपी फेल हो रहे हैं।
ये 40 जिले दे रहे सरकार को टेंशन
सरकार ने जिन
जिलों को लॉकडाउन के पालन के हिसाब से असंतोषजनक बताया है, उनमें मेरठ, बागपत, हापुड़, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर,
बुलंदशहर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर,
शामली, आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, बरेली, बदायूं, मुरादाबाद, बिजनौर, रामपुर, अमरोहा, संभल, लखनऊ, खीरी, रायबरेली, सीतापुर, बाराबंकी, सुल्तानपुर,
कानपुर नगर, कानपुर देहात, कन्नौज, जालौन, प्रयागराज, प्रतापगढ़, वाराणसी, गाजीपुर,आजमगढ़, कुशीनगर, बस्ती, गोंडा, बहराइच और बलरामपुर शामिल
हैं।
सेवा परमो धर्म:
सोमवार को नई
दिल्ली के एम्स अस्पताल में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता
आनंद सिंह बिष्ट का निधन हो गया। पिता के अंतिम संस्कार में सीएम योगी शामिल नहीं
होंगे। सीएम योगी ने अपनी मां को खत लिखकर बताया कि वह अपने पिता के अंतिम संस्कार
में शामिल नहीं हो पाएंगे। यह कार्य करके सीएम योगी ने यह साबित कर दिया कि मानव
सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है … सेवा परमो धर्मः। न भूतो न भविष्यति। न उनके जैसे
कभी कोई आया है और न ही कभी आएगा।
(दीपक द्विवेदी दैनिक
भास्कर के प्रधान संपादक हैं।)