सर्व सेवा संघ परिसर पर चला मोदी का बुलडोज़र, गांधी-जेपी-विनोबा की विरासत ध्वस्त


आज देश एक गांधीवादी संस्थान पर बुलडोज़रों के हमले से स्तब्ध है। राजघाट, वाराणसी में सर्व सेवा संघ परिसर जो गंगा-वरुणा नदियों के तट पर स्थित है उसको छल और धोखे से कब्ज़ा कर लिया गया है। इस 14 एकड़ परिसर को एक अन्य क्रोनी कैपिटलिस्ट कॉरपोरेट को सौंपा जाना है, जो इस साइट पर 5-स्टार प्रोजेक्ट का निर्माण करेगा।


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उत्तर प्रदेश Updated On :

वाराणसी। आज दिनांक 12 अगस्त को फिर से कानून की धज्जियां उड़ाते हुए संत विनोबा भावे की प्रेरणा से स्थापित साधना केंद्र- सर्व सेवा संघ परिसर,राजघाट, वाराणसी को स्थानीय प्रशासन तथा रेलवे की जुगलबंदी से ध्वस्त किया जा रहा है। यह सोचना नादानी होगी कि स्थानीय सांसद एवं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की सहमति के बिना ऐसा हो रहा है। स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री कार्यालय के इशारे पर ही यह विध्वंस रचा जा रहा है। यह घटना भारतीय इतिहास की एक शर्मनाक घटना के रूप में याद किया जाएगा। जहां गांधी, विनोवा, जयप्रकाश, दादा धर्माधिकारी, नारायण देसाई, जे सी कुमारप्पा, धीरेंद्र मजूमदार, शिवानंद, जे कृष्णमूर्ति जैसे मनीषियों की किताबों का कत्ल किया गया है। किताबें और पुस्तकालय को बर्बाद करने वाले दुर्दांत जालिम के रूप में ये सत्ताधीश जाने जाएंगे। यह बुलडोजर सत्ता का हमला है जो गांधी, विनोबा और जेपी की विरासत को नष्ट करने के इरादे से किया जा रहा है। लेकिन ऐसा संभव नहीं है। दुनिया गांधी के रास्ते पर चल पड़ी है।हमारे सत्ताधीश गांधी के रास्ते पर चलने का नाटक करते हैं। पर ये गांधी की स्मृतियों को नष्ट करने पर तुले हुए है। उनका यह पाखंड ज्यादा दिन चलने वाला नहीं है।

सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन पाल में बताया कि आज सुबह 6:30 बजे तक बुलडोजर और भारी संख्या में पुलिसकर्मी सर्व सेवा संघ परिसर के अंदर प्रवेश कर गए और भवनों को गिराना शुरू कर दिया। उन्हें ऐसा करने का किसी भी प्रकार का अदालती आदेश हासिल नहीं है। फिर भी वैसा कर रहे हैं जो सरासर गलत है। यह लोकतंत्र, विधान एवं कानून के राज के सिद्धांत पर सीधा हमला है ,यह निंदनीय है। प्रशासन की इस मनमानी का जब विरोध करने के लिए सर्व सेवा संघ के मंत्री अरविंद कुशवाहा,उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष श्री राम धीरज तथा सामाजिक कार्यकर्ता नंदलाल मास्टर, फादर आनंद, जागृति राही, अनूप श्रमिक, ध्रुव राज,अनूप आचार्य,तारकेश्वर आदि को गिरफ्तार कर लिया गया है।

प्रशासन का यह हमला पूर्व नियोजित है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एसएलपी का आदेश 10 अगस्त 2023 को वेबसाइट पर अपलोड हुआ जिसमें कहा गया है कि ध्वस्तीकरण के स्थगन के लिए सिविल कोर्ट में सुनवाई हो। पर 11 अगस्त को कोर्ट जाने के बाद पता चला कि फास्ट ट्रैक कोर्ट, सीनियर डिवीजन ,सिविल के जज श्री आकाश वर्मा का स्थानांतरण हो गया है। शनिवार को सिविल कोर्ट में अवकाश है।अतः यह रास्ता भी बंद है।

चंदन पाल ने गिरफ्तार साथियों का अभिनंदन करते हुए कहा है कि पूरा देश उनके साथ खड़ा है, आदर्शों के साथ खड़ा है। हम सभी लोकतंत्र एवं मानवता के प्रति आस्था रखने वाले और गांधी, विनोबा, जयप्रकाश, डॉक्टर लोहिया, बाबा साहेब अंबेडकर के सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष करते रहेंगे। सर्व सेवा संघ सहित सभी लोकतांत्रिक संगठनों से मेरा अपील है कि इस हमले के खिलाफ अपने-अपने स्तर पर हर संभव प्रतिवाद करें।

गांधीवादी संस्थाओं पर हमला जारी!

हम, नीचे हस्ताक्षरकर्ता मोदी-योगी डबल इंजन सरकार द्वारा एक और गांधीवादी संस्थान को निशाना बनाने की निंदा करते हैं भाजपा-आरएसएस शासन द्वारा महात्मा गांधी, उनकी विचारधारा, उनके जीवन, उन सभी मूल्यों और सिद्धांतों जिनके लिए वे मरते दम तक खड़े थे, उनका हमारे स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय योगदान और जिन्होंने आधुनिक भारतीय गणराज्य की नींव रखी उन पर हमला लगातार किया जा रहा है।

आज देश एक गांधीवादी संस्थान पर बुलडोज़रों के हमले से स्तब्ध है। राजघाट, वाराणसी में सर्व सेवा संघ परिसर जो गंगा-वरुणा नदियों के तट पर स्थित है उसको छल और धोखे से कब्ज़ा कर लिया गया है। इस 14 एकड़ परिसर को एक अन्य क्रोनी कैपिटलिस्ट कॉरपोरेट को सौंपा जाना है, जो इस साइट पर 5-स्टार प्रोजेक्ट का निर्माण करेगा। यह परिसर इतिहास से भरा हुआ है और इसकी स्थापना और निर्माण आचार्य विनोबा भावे, लाल बहादुर शास्त्री और जयप्रकाश नारायण जैसे दिग्गजों द्वारा किया गया था। 6 दशकों से अधिक समय से यह परिसर गांधीवादी विचारों को बढ़ावा देने का केंद्र रहा है, लेकिन आज यह ध्वस्त हो चुका है। इसी पैटर्न के तहत, पहले भी गुजरात में गुजरात विद्यापीठ, जिसकी स्थापना स्वयं महात्मा गांधी ने की थी पर आरएसएस ने कब्जा कर लिया, अहमदाबाद में गांधी जी द्वारा स्थापित साबरमती आश्रम पर भी कब्ज़ा कर लिया गया है।

9-10 अगस्त, 2023 को वाराणसी में देश भर के प्रमुख गांधीवादी, समाजवादी और प्रगतिशील कार्यकर्ताओं की एक प्रमुख राष्ट्रीय सभा इस जन प्रतिरोध का गवाह बना। गंगा के घाट पर 3000 से अधिक महिलाओं और पुरुषों के साथ एक विशाल सार्वजनिक बैठक आयोजित की गई। शासन को जब यह एहसास हुआ कि परिसर को बचाने के लिए आंदोलन को राष्ट्रीय समर्थन मिल रहा है, तो उसने प्रतिरोध की किसी भी उम्मीद को खत्म करने के लिए बुलडोजर चलाने का फैसला किया। सार्वजनिक बैठक के आयोजकों को गिरफ्तार कर लिया गया है और शासन भय की लहर फैलाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन वे यह नहीं जानते कि इससे वाराणसी, उत्तर प्रदेश और भारत के कार्यकर्ताओं और लोगों का संकल्प मजबूत हुआ है।

हम परिसर में फासीवादी हमले की स्पष्ट रूप से निंदा करते हैं। फिर भी, हम जानते हैं कि बड़ा हमला महात्मा गांधी की विचारधारा पर है, यही कारण है कि हर गांधीवादी संस्थान, हर लोकतांत्रिक, संसदीय और संवैधानिक संस्थान लगातार खतरे में है।

हम सभी सामाजिक आंदोलनों, राजनीतिक दलों और भारत के सभी लोगों से भारत पर सांप्रदायिक फासीवादी हमले का विरोध जारी रखने और हमारे लोकतंत्र और हमारे संविधान की रक्षा करने का आह्वान करते हैं।एकजुटता में डॉ. जी.जी.परीख, प्रोफेसर आनंद कुमार, मेधा पाटकर, तुषार गांधी, डॉ. सुनीलम, अरुण श्रीवास्तव, फ़िरोज मीठीबोरवाला, गुड्डी और अन्य।

सर्व सेवा संघ परिसर के संयोजक राम धीरज ने कहा कि “इतिहास में पढ़ा था नालंदा की दास्तान। ब्रिटिश हुकूमत द्वारा तमाम रियासतो, नवाबों और सेनानियों के बारे में, जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत का विरोध किया तो उनको जेल में डाल दिया था, रियासतें छीन ली गई थी लेकिन लंबी लड़ाई के बाद देश आजाद हुआ। आज अपनी आंखों के सामने देख रहा हूं। उस अंग्रेजी हुकूमत के कारनामे को दोहराते हुए। विश्वास नहीं हो रहा, फिर भी सच है।”



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