मुख्तार, LMG, कृष्णानंद राय और इसके दूरगामी परिणाम…

Ritesh Mishra Ritesh Mishra
उत्तर प्रदेश Updated On :

नई दिल्ली। गैंगस्टर से विधायक बने पंजाब की रोपड़ जेल में बंद मुख्तार अंसारी के यूपी लाए जाने की प्रबल संभावना के बीच इन दिनों यूपी के पूर्व डीजीपी बृजलाल खासे चर्चा में हैं। इसके अलावा मुख्तार पर पोटा लगाने वाले एसटीएफ वाराणसी के पूर्व इंचार्ज शैलेन्द्र सिंह को किस तरह प्रताड़ित किया गया, वो भी लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है। मुख्तार अंसारी और तत्कालीन सपा सरकार में उसकी पकड़ कितनी अंदर तक थी, ये भी खुलकर सामने आ गया है।

मुख्तार अंसारी के यूपी लाए जाने पर इन दिनों टीवी चैनलों पर एक चेहरा बहुत ही ख़ास बना हुआ है और वो है यूपी के पूर्व डीजीपी बृजलाल। पूर्व डीजीपी ने टीवी चैनलों के सामने वो बातें कही है जो आज तक सामने नहीं आ पाई। एसटीएफ वाराणसी के इंचार्ज DSP शैलेन्द्र सिंह ने जब मुख्तार अंसारी पर पोटा लगाया था, तब उन्हें कितना प्रताड़ित किया गया, इस बात को कहते हुए वो रो पड़े।

कभी लूना से चलने वाले मुख्तार अंसारी ठेकेदारी करते थे। पूर्वांचल में ठेकेदारी और वर्चस्व की लड़ाई कोई नई नहीं है। एक समय ऐसा भी था जब गाजीपुर, वाराणसी, जौनपुर, मिर्जापुर सहित पूरे पूर्वांचल में वर्चस्व की ऐसी लड़ाई हुई कि आए दिन सडकों पर खुलेआम शूटआउट हो रहे थे। ऐसा कोई दिन नहीं जाता कि इस लड़ाई में किसी की जान न जाए। खासतौर पर पूर्वांचल में बृजेश सिंह और मुख्तार की रंजिश किसी से छिपी नहीं है।

मुख्तार अंसारी इन दिनों रंगदारी मांगने के मामले में पंजाब की रोपड़ जेल में बंद है। यूपी में मुख्तार पर 60 से ज्यादा मामले है जो ट्रायल पर हैं। दिवंगत भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को दो बार चिठ्ठी लिखकर मुख्तार को पंजाब से यूपी भेजे जाने की गुहार लगाई लेकिन बात नहीं बनी। बाद में जब यूपी सरकार शीर्ष कोर्ट में गई तो वहां से पंजाब सरकार को निर्देश दिया गया कि मुख्तार को दो हफ्ते के भीतर यूपी जेल भेजा जाए।

समाजवादी सरकार और गाजीपुर जेल बन गया मुख्तार का आशियाना
हाल ही में यूपी के पूर्व डीजीपी बृजलाल ने एक टीवी चैनल से बातचीत में खुलासा किया है कि समाजवादी पार्टी की सरकार में किस तरह यूपी का गाजीपुर जेल मुख्तार अंसारी का आशियाना बन गया था। पूर्व डीजीपी ने खुलासा किया कि गाजीपुर जेल का बैरक नंबर-10 जिसमे मुख्तार अंसारी बंद था, उसे कन्वर्ट कर उसे आशियाना बना दिया गया था। मुख्तार के लिए ताजी मछलियां मिले, इसके लिए जेल में ही तालाब खुदवाया गया था। यही नहीं उस समय के डीएम शाम को जाकर मुख्तार के साथ बैडमिंटन खेलते थे।

पूर्व डीजीपी का दावा है कि साल 2004 की घटना है, उस समय प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी। उस समय बृजलाल IG (कानून-व्यवस्था) थे। टीवी चैनल से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्तार अंसारी का नंबर सर्विलांस पर था और वो कृष्णानंद राय को मारना चाहता था। इसके लिए वो सबसे सटीक हथियार लाइट मशीन गन (LMG) चाहता था। कृष्णानंद राय बुलेटप्रूफ गाड़ी में चलते थे, इसके चलते साधारण हथियार से उसे भेदना बेहद मुश्किल था।

बकौल बृजलाल, इसके लिए मुख्तार ने अपने पूर्व गनर वाराणसी के मुन्नर यादव से संपर्क किया। मुन्नर ने अपने भांजे बाबूलाल यादव से संपर्क किया जो आर्मी में था। मुख्तार की सारी बातें एसटीएफ ने रिकॉर्ड की थी। 25 /26 जनवरी 2004 की रात में एसटीएफ वाराणसी के इंचार्ज शैलेन्द्र सिंह ने रेड कर एलएमजी बरामद कर मुन्नर और बाबूलाल को अरेस्ट किया। उस दरम्यान पोटा के तहत मुख्तार पर भी मुकदमा दर्ज किया गया। इसके बाद यूपी की सियासत में भूचाल आ गया।

पोटा के तहत दर्ज मुकदमे की फाइल जब सीएम मुलायम सिंह के पास गई तो उन्होंने मुन्नर और बाबूलाल के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति दे दी लेकिन मुख्तार के खिलाफ नहीं। ऐसा होने के बाद मुख्तार पर मुकदमा नहीं चला। बृजलाल के अनुसार, पोटा से बरी होने के बाद सिर्फ केस था आर्म्स एक्ट का। मुख्तार ने आर्म्स एक्ट में बयान दिया कि वो अपराधियों को पकड़वाने के लिए बात कर रहा था।

पूर्व डीजीपी के अनुसार, कृष्णानंद राय की हत्या से पहले मुख्तार ने गाजीपुर जेल से अपना ट्रांसफर फतेहगढ़ करा लिया। मुख्तार के मोहम्मदाबाद स्थित घर जिसे फाटक कहते हैं, वहां पर मुन्ना बजरंगी, संजीव जीवा, अताउर्रहमान बापी, पंजाब का प्रभजोत डिम्पी, जसविंदर रॉकी, राजबीर रमाला गैंगस्टर सभी इकट्ठे थे। पुलिस को सारी जानकारी होते हुए भी वहां रेड नहीं किया गया। इसके बाद 26 दिसम्बर 2005 को बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई।

गाजीपुर के भांवरकोल में सुबह के समय ही पांच AK-47 राइफलें चली थीं। चारो तरफ से घेरकर कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई थी। कृष्णानंद राय को 67 गोलियां लगी थीं। इसके अलावा उनके आधा दर्जन से अधिक साथी भी इस हमले में मारे गए थे। पूर्व डीजीपी ने बताया कि यदि LMG के समय ही मुख्तार अंसारी पर पोटा के तहत केस चलाया जाता तो इसके इतने खतरनाक दूरगामी परिणाम नहीं होते।

मुख्तार का किला है बुलेटप्रूफ एम्बुलेंस
अब यहीं से पूरा मामला सुर्ख़ियों में आ जाता है। दो दिन पहले ही मुख्तार अंसारी को मोहाली कोर्ट में व्हीलचेयर पर ले जाकर पेश किया गया था। जिस एम्बुलेंस से मुख्तार को कोर्ट ले जाया गया था, वो यूपी के बाराबंकी में ARTO में रजिस्टर्ड है। हालांकि बाराबंकी पुलिस ने उस डॉक्टर के खिलाफ भी केस दर्ज कर लिया है जिसे पैसे देकर ये एम्बुलेंस मंगाया गया था। इसको लेकर पूर्व डीजीपी बृजलाल ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए कहा कि ये एम्बुलेंस नहीं, मुख्तार का चलता-फिरता बुलेटप्रूफ किला है। इस एम्बुलेंस का ड्राइवर सलीम है।

बाराबंकी एआरटीओ की माने तो जिस अस्पताल के नाम से एम्बुलेंस का रजिस्ट्रेशन है वह मौजूद नही है। एंबुलेंस का नंबर UP41 AT 7171 है, जिसकी रजिस्ट्रेशन की मियाद साल 2015 में ही खत्म हो चुकी है। इतना ही नहीं एम्बुलेंस की फिटनेस भी साल 2017 में एक्सपायर हो चुकी है। बाराबंकी स्वास्थ्य विभाग के पास भी एंबुलेंस को लेकर कोई जानकारी नहीं है। इतना ही नहीं जिस अस्पताल का नाम एम्बुलेंस पर लिखा है वह भी फर्जी है।



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