लखनऊ। प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पारा इलाके में विधिक नियम कायदों का पालन नहीं करने और नियमों का हवाला देकर पुलिस ने एक हिन्दू युवती और मुस्लिम युवक का विवाह रूकवा दिया। हालांकि इस मामले में कोई भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी है।
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त सुरेश चंद्र रावत ने बताया कि ‘पुलिस को ऐसी सूचना मिली थी कि बुधवार को पारा इलाके की डूडा कॉलोनी में अन्तरधार्मिक विवाह हो रहा है। इस पर पुलिस दल वहां पहुंचा तो पाया कि शादी की तैयारियां हो रही थी। पुलिस ने दोनों परिवारों को विवाह के लिये आवश्यक विधिक कार्रवाई पूरी करने को कहा जिस पर परिजन राजी हो गये।
रसायन विज्ञान में परास्नातक रैना गुप्ता (22) और पेशे से फार्मासिस्ट मोहम्मद आसिफ (24) की शादी की तैयारियां चल रही थी। पुलिस ने दोनो परिवारों को पारा पुलिस थाने बुलाया और उन्हें उत्तर प्रदेश विधि विरूद्ध धर्म संपविर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 के बारे में जानकारी दी। इसके बाद दोनो परिवार शादी टालने को राजी हो गये।
इस अध्यादेश के तहत ऐसे धर्म परिवर्तन को अपराध की श्रेणी में लाया गया है, जो छल, कपट, प्रलोभन, बलपूर्वक या गलत तरीके से प्रभाव डाल कर विवाह करने के लिए किया जा रहा हो। इसे गैर जमानती संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखने और उससे संबंधित मुकदमे को प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के न्यायालय में विचारणीय बनाए जाने का प्रावधान किया गया है।
अध्यादेश का उल्लंघन करने पर कम से कम एक साल और अधिकतम पांच साल कैद तथा 15,000 रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है। नाबालिग लड़की, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला के मामले में तीन साल से 10 वर्ष तक की कैद और 25,000 रुपये जुर्माना लगाने का प्रावधान है। इसके अलावा सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में अधिकतम 10 साल की कैद और 50,000 रुपये जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है।
अध्यादेश में धर्म परिवर्तन के इच्छुक लोगों को जिला अधिकारी के सामने एक निर्धारित प्रारूप में दो माह पहले इसकी सूचना देनी होगी। इजाजत मिलने पर वे धर्म परिवर्तन कर सकेंगे। इसका उल्लंघन करने पर छह माह से तीन साल तक की कैद और 10,000 रुपये जुर्माने की सजा तय की गई है।