प्रोफेसर पर कोरोना अफवाह मामले में दर्ज़ एफआईआर में शिक्षक संगठन कूदा


ऑक्टा सदस्यों ने एकमत से कहा कि फेसबुक पोस्ट में डॉ. उमेश प्रताप सिंह ने ऐसा कुछ भी नहीं लिखा है जो कि एफआ आर करने का आधार हो। विशेष रूप से तब जबकि उन्होंने अपनी पोस्ट का स्पष्टीकरण भी दो बार दे दिया है।ऐसे में बोनाफाइड इंटेंशन से लिखी गई पोस्ट के आधार पर ऑक्टा पदाधिकारी पर एफ आई आर पूरे शिक्षक समुदाय की मानहानि का कुत्सित प्रयास है।



इलाहाबाद विश्वविद्यालय संगठक महाविद्यालय शिक्षक संघ (ऑक्टा )ने कार्यकारिणी की एक आपातकालीन बैठक में आक्टा महासचिव डॉ. उमेश प्रताप सिंह पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा कराए गए एफआईआर की सख्त शब्दों में निंदा की गई। सभी कार्यकारिणी सदस्यों ने एकमत से कहा कि प्रशासन द्वारा इस प्रकार की गतिविधि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है और यह जिला प्रशासन की तानाशाही को दिखाता है। प्रशासन द्वारा की गई इस तरह की कार्यवाही से शिक्षक समुदाय, जो कि बेहद जिम्मेदार है, बहुत आहत हुआ है। सभी सदस्यों ने एक स्वर में मांग की कि जिला प्रशासन ऑक्टा महासचिव के खिलाफ किए गए एफआईआर को अविलंब वापस ले। 

ऑक्टा सदस्यों ने एकमत से कहा कि फेसबुक पोस्ट में डॉ. उमेश प्रताप सिंह ने ऐसा कुछ भी नहीं लिखा है जो कि एफआ आर करने का आधार हो। विशेष रूप से तब जबकि उन्होंने अपनी पोस्ट का स्पष्टीकरण भी दो बार दे दिया है। सदस्यों ने कहा कि आक्टा ने लॉकडाउन के दौरान प्रशासन के साथ मिलकर लाखों की सहायता राशि गरीबों के साथ बांटी है। ऐसे में बोनाफाइड इंटेंशन से लिखी गई पोस्ट के आधार पर ऑक्टा पदाधिकारी पर एफ आई आर पूरे शिक्षक समुदाय की मानहानि का कुत्सित प्रयास है। 

प्रशासन द्वारा क्वॉरेंटाइन सेंटर की अव्यवस्था की अनदेखी और उस पर उंगली उठाने वालों पर तानाशाही कार्यवाही भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को भी बदनाम करने की साजिश है। जिला प्रशासन की कार्यवाही सरकार द्वारा कोरना संक्रमण की रोकथाम के लिए उठाए गए सराहनीय कदमों को कमतर कर देती है।

कार्यकारिणी के सभी सदस्यों ने यह भी मांग की कि पहले भी कई बार कोटवा सेंटर से मरीजों के असंतोष और वहां के अव्यवस्था की खबरें विभिन्न संचार माध्यमों और सोशल मीडिया में आती रही हैं इसलिए ऑक्टा यह मांग करती है कि कोटवा सेंटर की स्थिति की निष्पक्ष न्यायिक जांच कराई जाये।

बैठक की अध्यक्षता डॉ. सुरेंद्र पाल सिंह ने किया और संचालन उमेश प्रताप सिंह ने किया। बैठक में पूर्व ऑक्टा अध्यक्ष डॉ. रामप्रकाश सिंह, उपाध्यक्ष डॉ. रेखा रानी, डॉ. रणधीर सिंह, डॉ एरम उस्मानी, डॉ. अर्चना पाल, डॉ. राम पाल गंगवार, डॉ. धीरज चौधरी, डॉ. सविता श्रीवास्तव, डॉ. अखिलेश त्रिपाठी, डॉ. अमित पांडेय सहित सभी महाविद्यालयों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

दरअसल इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ. वीके सिंह को कोटवा सेंटर में क्वारंटाइन किया गया है। उनके एक शुभचिंतक ने आक्टा महासचिव डॉ. उमेश प्रताप सिंह से बात की तो उन्होंने अपनी व्यथा सुनाई। कोरोनावायरस रिपोर्ट आने के बावजूद डॉ. सिंह को किसी भी प्रकार की कोई शारीरिक परेशानी नहीं है, बुखार भी नहीं है। इसलिए उन्हें सेंटर पर किसी प्रकार की कोई दवा नहीं दी जा रही है। दिन में एक बार नाप कर काढ़ा सभी को दिया जाता है। कोटवा के उस क्वॉरेंटाइन सेंटर पर लगभग 25 लोग हैं। एक-एक कमरे में 7 से 8 लोग हैं। 25 लोगों के बीच में दो टॉयलेट हैं, और वह भी बेहद गंदे। कोई सुविधा नहीं। क्वॉरेंटाइन सेंटर पर लोग कोरोना का भय भूल जा रहे हैं क्योंकि उससे बड़ा भय सेंटर की अव्यवस्था, असुविधा और अनहाइजीनिक स्थिति है। लोग डरे हुए हैं। और दिन गिन रहे हैं, एक-एक दिन काटना मुश्किल है!

क्वॉरेंटाइन सेंटर में प्रति मरीज सरकार के खर्च से हिसाब लगाइए तो उसका 25 प्रतिशत भी खर्च नहीं हो रहा है। आश्चर्य है कि अखबार भी चुप हैं। अभी कुछ दिन पहले एक मित्र ने बताया कि क्वॉरेंटाइन सेंटर पर सफाई कर्मचारी ही नर्स और डॉक्टर की भूमिका में रहता है डॉक्टर और नर्स 15 फीट दूर से सारे निर्देश देते हैं। कोरोना पॉजिटिव होने पर उस व्यक्ति से सरकारी अधिकारी ऐसे फोन पर फोन करते हैं जैसे वह बहुत बड़ा अपराधी हो! उसको ले जाने के लिए घर पर आई हुई एम्बुलेंस कैदी वाहन की तरह दिखता है और उसके कर्मचारी ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे किसी माफिया को पकड़ कर ले जा रहे हों! मोहल्ले वाले भी कुछ उसी अंदाज में तमाशबीन होते हैं। जो लोग बिना किसी के जाने चुपके चुपके कोरोना ग्रस्त हुए और चुपके चुपके ठीक हो गए वह ज्यादा बेहतर हैं। वरना यह सरकारी व्यवस्था तो अपने आप में बड़ा मर्ज है लोगों को मारने के लिए!

सब पैसे का खेल है और कोरोना के नाम पर जिस तरह से अधिकारियों से लेकर नीचे के कर्मचारियों ने, और जनप्रतिनिधियों ने भी, लूट मचा रखी है वह उनकी संवेदनहीनता और घटिया पन को दिखाती है। जो अपने आपको स्वयं ही क्वॉरेंटाइन कर सकते हैं उन्हें यदि घर पर ही रहने दिया जाए तो ज्यादा जल्दी और अच्छे से ठीक हो सकते हैं।इसे आक्टा महासचिव डॉ उमेश प्रताप सिंह ने फेसबुक पर पोस्ट कर दिया। 

इसके बाद डॉ. वीके सिंह ने पलटी मार दी और अपनी कथन से पलट गयेl उन्होंने कहा कि, “फेसबुक पर उमेश प्रताप सिंह द्वारा जो मुझे उद्धृत करते हुए कोटवा लेवल 1 चिकित्सालय की दुर्दशा के बारे में जो लिखा गया है वह बिल्कुल असत्य, भ्रामक एवम कहीं ना कहीं से ऐसा प्रतीत होता है कि जो मुझे व्यक्तिगत रुप से सामाजिक स्तर पर बदनाम करने की साज़िश हैl इस अवधि के पूरे फोन काल की हिस्ट्री निकालकर देखा जाए तो मेरी कई महीने से उमेश प्रताप सिंह से कोई बात नहीं हुई हैl में यहां यह स्पस्ट कहना चाहता हूं कि कोटवा लेवल 1 चिकित्सालय की सभी व्यवस्था संतोषजनक है सभी चिकित्सक कर्मचारी एवम अन्य सभी सहयोगी स्टाफ़ पूर्ण रूप से संतोषजनक ढंग से सभी रोगियों की देखभाल कर रहे हैं और उक्त अस्पताल में साफ़ सफ़ाई के साथ खान पान की भी व्यवस्था भी संतोषजनक हैl”  

उन्होंने लिखा कि “मैं पुनः उमेश प्रताप सिंह उपाचार्य ईसीसी द्वारा की गयी पोस्ट का पूर्णत: खंडन करता हूं और साथ ही मेरा प्रशाशन से अनुरोध है कि तथ्यों को गलत ढंग से पेश करने पर पोस्ट लिखने वाले के खिलाफ़ जो भी नियमानुकूल कार्यवाही हो की जाएl” 

इसके बाद कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए कोटवा लेवल-1 अस्पताल में बादइंतजामी का आरोप लगाने के मामले में ऑक्टा महासचिव और ईसीसी कालेज के असोसिएट प्रोफेसर डॉ. उमेश प्रताप सिंह पर एफआईआर दर्ज़ करा दी गयी है।