सड़क से सलाखों तक-मऊ में हुए जोर-जुल्म़ पर रिहाई मंच की रिपोर्ट

सरफराज कहते हैं कि उनके खिलाफ 2 बजकर 46 मिनट पर कोतवाली और मिर्जाहादीपुरा थाने में मामला दर्ज हुआ। उनका सवाल है कि आखिर एक आदमी एक समय पर दो जगहों पर कैसे रह सकता है।

लखनऊ प्रेस क्लब में पत्रकारों से बात करते रिहाई मंच के पदाधिकारी।

लखनऊ। रिहाई मंच ने नागरिकता आंदोलन के एक साल होने पर रिपोर्ट जारी करते हुए मऊ में रासुका के तहत कैद लोगों की रिहाई की मांग की। रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि दिसंबर 2019 में नागरिकता कानूनों में संशोधन के खिलाफ असम में विरोध शुरु हुआ। इसके बाद जामिया मिलिया विश्वविद्यालय, दिल्ली में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान छात्र-छात्राओं पर पुलिसिया दमन हुआ। इसके खिलाफ 15 दिसंबर को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भी विरोध हुआ। इसी कड़ी में 16 दिसंबर को मऊ शहर में भी व्यापक तौर पर विरोध दर्ज किया गया। यूपी में मऊ पहला जिला था जहां से आम जनता इस असंवैधानिक नागरिकता कानून के खिलाफ बड़े पैमाने पर सड़कों पर उतरी जिसके बाद देखते-देखते पूरा सूबा आंदोलन में शामिल हो गया। आन्दोलन की बढ़ती व्यापकता से डर कर योगी सरकार ने गैंगेस्टर, गुंडा एक्ट, जिलाबदर, रासुका जैसे हथियार इस्तेमाल किए। प्रतिनिधिमंडल में रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव, मोहम्मद इमरान, आदिल, एडवोकेट विनोद यादव, अवधेश यादव, मोहम्मद कासिम, आबिद और मुन्ना शामिल थे।

मऊ के थाना दक्षिण टोला में 17 दिसंबर 2019 को एफआईआर नंबर 246 में 24 धाराओं में 61 लोगों, एफआईआर नंबर 247 में 20 धाराओं में 72 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर हुई। एफआईआर नंबर 249 और 250 के तहत भी मुकदमा दर्ज किया गया। थाना कोतवाली में 17 दिसंबर को एफआईआर नंबर 590 के तहत 11 धाराओं में 90 लोगों के खिलाफ नामजद और 1 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। थाना दक्षिण टोला में एफआईआर नंबर 106 में उ0प्र0 गिरोहबंद समाज विरोधी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, (गैंगेस्टर एक्ट) 1986 के तहत 22 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। मऊ में छह व्यक्तियों के विरुद्ध रासुका की कार्रवाई की गई।

मंच ने कहा कि रासुका के आर्डर के पांच दिन के भीतर सरकार आरोपी को सूचित करती है कि उसे एनएसए में निरुद्ध किया गया है। यह भी बताया जाता है कि किन आधार पर निरुद्ध किया गया है और कब तक के लिए निरुद्ध किया गया है। आरोपी को वह तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं जिससे वो अपना रिप्रेजेंटेशन उस निरुद्धी के खिलाफ दे सके। यह कानून है। पर यहां तो डीएम ने आरोपियों के घर वालों को बस इतनी सूचना भेज दी कि आपके बेटे को एनएसए में निरुद्ध किया गया है। लेकिन यह सूचना नहीं कि किस तारीख को निरुद्ध किया है और कितने दिन के लिए। निरुद्ध किए जाने का आधार भी नहीं बताया गया। आम तौर पर हजार-पांच सौ पेज का दस्तावेज होता है जिसके आधार पर आरोपी जवाब दाखिल करता है।

21 जून 2020 को बाइस व्यक्तियों के खिलाफ गैंगेस्टर लगाते हुए पच्चीस हजार का ईनाम भी घोषित कर दिया गया। एफआईआर नंबर 0106, उ0 प्र0 गिरोहबंद समाज विरोधी क्रियाकलाप (निवारण अधिनियम) 1986 के तहत कहा गया है कि आसिफ चंदन एक शातिर किस्म का अपराधी है जो गैंग बनाकर दंगा करने व कराने के अपराध में शामिल है और दंगा जैसे अपराध कारित करके आर्थिक, भौतिक, दुनियावी लाभ प्राप्त करते हैं। फैजान, मजहर मेजर, इम्तियाज नोमानी, ओबादा उर्फ ओहाटा, सरफराज, अल्तमस सभासद के साथ दूसरे कई लोगों को आसिफ चंदन के गिरोह का सक्रिय सदस्य बताया गया और यह कहा कि इनके भय एवं आतंक के कारण जनता का कोई भी व्यक्ति एफआईआर लिखाने व गवाही देने का साहस नहीं करता है।

मऊ में पीड़ितों से बात करते रिहाई मंच के पदाधिकारी।

कोरोना काल की वजह से न्यायालय न खुलने और परिजनों को पुलिसिया उत्पीड़न से बचाने के लिए उन्नीस लोग थाने में हाजिर हो गए, लेकिन बाद में पुलिस ने अलग-अलग जगह से सभी की गिरफ्तारी का दावा कर दिया और 22 जून को एसपी ने 25-25 हजार का ईनाम घोषित कर दिया।

6 अगस्त के करीब ओबादा, अल्तमस समासद, इम्तियाज नोमानी, अनीस, फैजान आकिब, मजहर मेजर, असिफ चंदन, आमिर होण्डा, इशहाक खान, मुनव्वर मुर्गा, सरफराज, राशिद उर्फ मुन्ना समेत 12 के खिलाफ गुण्डा एक्ट की कार्रवाई की गई। अल्तमस सभासद, अनीस, राशिद उर्फ मुन्ना को हाईकोर्ट से स्टे मिलने के बाद जिला बदर घोषित कर दिया गया। मीडिया के अनुसार मुख्तार अंसारी के नाम पर 10 से अधिक लोगों पर गैंगेस्टर की कार्रवाई की गई।

3 सितंबर को मजहर मेजर, अनीस, इशहाक, मुनव्वर मुर्गा को जिला कचहरी से जमानत मिलने के बाद रिहाई होते ही कुछ वक्त में मालूम चला कि आसिफ चंदन, फैजान आकिब, आमिर होण्डा, अनस, अब्दुल वहाब को रासुका के तहत निरुद्ध कर दिया गया है।

16 दिसंबर को मिर्जाहादिपुरा चैराहे के पास से एक ही परिवार के मसूद, आरिफ, शाहिद और नौशाद को पुलिस ने उठा लिया। जुर्म बस इतना कि इनका घर सड़क किनारे था। पुलिस ने आरोप लगाया कि इनके घर से पत्थरबाजी हुई। लोग कहते हैं कि फैजी गेट के पास एक नाबालिग बच्चे की गिरफ्तारी कर 55 दिन जेल में रखा।

आंदोलनकारियों पर पुलिसिया होर्डिंग वार

16 दिसंबर के बाद मऊ में तीन बार आरोपियों के नाम पर होर्डिंग लगाकर आंदोलनकारियों की छवि खराब करने की कोशिश की गई। 20 दिसंबर के आसपास 110 लोगों की पहली होर्डिंग लगी। दूसरी होर्डिंग 28 जनवरी को 36 लोगों के खिलाफ और फरवरी में तीसरी 22 लोगों के खिलाफ नॉन बेलेबल वारंट जारी किए जाने के बाद। वहीं इस दौरान पुलिस ने कई लोगों के खिलाफ एक ही समय दो थानों में मुकदमा दर्ज हुआ।

पीड़ितों से बात करते रिहाई मंच के पदाधिकारी।

गैंगेस्टर एक्ट, गुण्डा एक्ट और रासुका के तहत कैद

38 वर्षीय आसिफ के पिता उसके बच्चों के लिए फिक्रमंद हैं, कहते हैं कि क्या हाल होगा उनका। घटना के दिन तो आसिफ शाहगंज, जौनपुर में था। पुलिसिया दहशत से दो महीना घर बंद रहा। उनका एक मैरिज हाल था जिसे पुलिस पहले ही सीज कर चुकी है। गंभीर रुप से बीमार आसिफ की मां का इलाज चल रहा है। इलाज के लिए उन्हें लाने ले जाने का काम आसिफ के ही जिम्मे था। ऐसे में उसकी मां का इलाज रुक सा गया है। आसिफ के पिता कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के मेंबर रहे हैं। शहर में सांप्रदायिक तनाव हो या कोई प्राकृतिक आपदा, वे हर वक्त जनता के साथ खड़े रहे और जिलाधिकारी ने उन्हें नंबर वन शहरी का भी खिताब दिया।

आसिफ के भाई मोहम्मद शाहिद कहते हैं कि 17 दिसंबर को पीछे का दरवाजा तोड़कर पुलिस घर में घुसी थी। उनके चंदन मैरिज हाल के अंदर कुछ निर्माण हुआ था। इस बहाने सिटी मजिस्ट्रेट ने नोटिस दी। दो साल से चल रहे इस हाल पर बैंक लोन भी है जिसकी वजह से परिवार आर्थिक तौर पर भी टूट गया है। इस बीच उनके सीज मैरिज हाल में तीन-तीन बार चोरी भी हो चुकी है। वहां वे जा नहीं सकते लेकिन चोर जा सकते हैं, क्या दिन आ गए हैं। 16 दिसंबर के मामले में वे अंतरिम जमानत पर थे। 22 जून 2020 की शाम पांच बजे सीओ आए, आसिफ नहीं मिला तो उसे लेकर चले गए और आसिफ को हाजिर होने के लिए कह गए। शाम 7 बजे आसिफ दक्षिण टोला थाने में हाजिर हुए। गैंगेस्टर के तहत गिरफ्तार करने के बाद उनके ऊपर गुण्डा एक्ट और तीन सितंबर को रासुका के तहत कार्रवाई की गई।

28 जनवरी 2020 को मैरिज हाल को गिरवाने का नोटिस आया जिसमें कहा गया कि जहांगीराबाद स्थित इस भवन का निर्माण बिना अनुमति के किया गया है। नगर मजिस्ट्रेट/नियत प्राधिकारी विनियमित क्षेत्र, मऊनाथ भंजन मऊ ने 30 जनवरी 2020 को आदेश दिया कि मैरिज हाल का संचालन अवैध रुप से किया गया। जबकि परिजनों का कहना है कि मैरिज हाल का जो भी टैक्स होता था उसे दिया जाता रहा है।

पुलिस के बुलावे पर थाने गया तो लगा गैंगेस्टर और एनएसए

मऊ के ही मलिक ताहिरपुरा मुहल्ले के रहने वाले मोहम्मद अनस के पिता मोहम्मद रिजवान बताते हैं कि उस दिन 17 दिसंबर को मेवालाल चैराहे के पास था तो नगर कोतवाल राम सिंह गाड़ी से आए और उसे उठा ले गए। फिर सरकारी बस और बिजली विभाग की संपत्ति को क्षति पहुंचाने का भी मुकदमा पंजीकृत किया गया। डेढ़ महीने से ज्यादा वह जेल में रहा।

जून 2020 में फिर पुलिस आई और कहा कि अनस को थाने भेजिए। क्या करते, उसे भेजा गया। अब मालूम पड़ा कि उस पर रासुका लगा दिया गया। जेल में ही उससे हस्ताक्षर करवा लिए गए थे।

मोहल्ले के लोग बताते हैं कि आज भी पुलिस आती है, मोबाइल में लड़कों के फोटो दिखाकर उनके बारे में पूछताछ करती है। उन्हें सचमुच पकड़ने या कि दहशत फैलाने के लिए- इसका कोई जवाब उनके पास नहीं।

भिखारीपुरा के रहने वाले आमिर होण्डो के वालिद शब्बीर अहमद को दिल का दौरा पड़ा और वे चल बसे। वो कम्युनिस्ट नाम से जाने जाते थे। आमिर पर रासुका के तहत कार्रवाई की गई है और वो जेल में बंद हैं। शायद बेटे की चिंता ने उनकी जान ले ली।

मऊ के श्याम बाजार में 24 वर्षीय आमिर के भाई मंजर कमाल से बात हुई। वे बताते हैं कि 16 दिसंबर के मामले में उनके भाई ने अरेस्ट स्टे ले लिया था। दो बार उनका पोस्टर भी निकाला गया। दिन में चार बजे पुलिस ने आकर उनको हाजिर होने को कहा। अखबार से पता चला कि उनपर गैंगेस्टर की कार्रवाई की गई है। 22 जून की सुबह वह कोतवाली में हाजिर हुए। 3 सितंबर को जेल में कुछ लोग उनके पास एनएसए की कार्रवाई के लिए पहुंचे। दूसरे दिन चार बजे पुलिस वालों ने रासुका की नोटिस दी।

मुख्तार अंसारी से जोड़कर सभासद पर गैंगेस्टर, गुंडा एक्ट फिर जिलाबदर

अस्तुपुरा मोहल्ला निवासी और जनपद के ‘मऊ बचाओ बाहरी भगाओ’ अभियान के अगुवा रहे एवं आम आदमी पार्टी से जुड़े अल्तमस सभासद को जिलाबदर कर दिया गया है। बताते हैं कि 16 दिसंबर के बाद अगली रात पुलिस ने उनके घर ढाई बजे के करीब दबिश दी। लोग बताते हैं कि सात जीप में 35-40 पुलिस वाले थे। पुलिस ने उनसे घर, रिश्तेदारों और यह तक कि दोस्तों का भी ब्योरा लिया। यह सब पूछा कि किन-किन मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करता हूं।

अल्तमस बताते हैं कि कोरोना काल आया तो सभासद और नागरिक के बतौर जनता की सहायता में लग गए। जून में मजहर को पुलिस का फोन आता है। उनके साथ वालों का नाम पूछते हुए जिसमें मेरा नाम भी था सीओ ऑफिस बुलाया गया। मालूम चला कि गैंगेस्टर के तहत उनको निरुद्ध कर दिया गया है। 2 जुलाई को दिन में 11 बजे के करीब पुलिस ने मेरे घर दबिश दी। मम्मी-पापा को धमकाया और घर में रखे पेड़-पौधे तक तोड़ डाले और पुलिस ने कहा कि अभी तो बस इतना कर रहे हैं, आगे और भी बहुत कुछ करेंगे। गैंगेस्टर के खिलाफ वह हाईकोर्ट गए जहां से 31 अगस्त को अरेस्ट स्टे आर्डर मिल गया। उनके ऊपर गुण्डा एक्ट भी लगा। 10 अगस्त को डेट थी। जब वे वहां पहुंचे तो मालूम चला कि फाइल आर्डर में चली गई। ऐसे में प्रार्थना पत्र लेकर जिलाधिकारी से मुलाकात की फिर भी मुझे फाइल नहीं दी गई। 18 अगस्त को नकल निकलवाई तो मालूम चला कि 10 अगस्त को ही उनको जिलाबदर घोषित कर दिया गया है।

पांच बहन तीन भाई वाले अल्तमस को सबसे बड़ा दुःख इस बात का है कि उनको मुख्तार अंसारी का आदमी कहकर गैंगेस्टर, गुंडा एक्ट, जिलाबदर किया जा रहा है।

 एक समय पर दो जगहों पर मुकदमा फिर गैंगेस्टर, गुण्डा एक्ट

मऊ के मुस्तफाबाद के 34 वर्षीय सरफराज बताते हैं कि 15 दिसंबर को जामिया और एएमयू के छात्रों के दमन के विरोध में शहर के युवाओं ने जुलूस निकाला था। लोग बाजार चैक सदर से खीरी बाग में एकत्र हुए और मिर्जाहादीपुरा गए। थाना कोतवाली और दक्षिण टोला थानों में मुकदमे दर्ज हुए। एसएसपी ने कहा था कि किसी निर्दोष को नहीं फंसाया जाएगा और अगर किसी का नाम आ गया है तो वह आकर शिकायत करे। तो सरफराज ने प्रार्थना पत्र देकर खुद को निर्दोष बताया। उसके बाद उनके नाम, वल्दियत और मोहल्ले के नाम से नोटिस आने लगी।

सरफराज कहते हैं कि उनके खिलाफ 2 बजकर 46 मिनट पर कोतवाली और मिर्जाहादीपुरा थाने में मामला दर्ज हुआ। उनका सवाल है कि आखिर एक आदमी एक समय पर दो जगहों पर कैसे रह सकता है।

गया था थाने, पुलिस ने दिखाया ढेकुलियाघाट पुल से गिरफ्तारी

मऊ के औरंगाबाद, ईदगाह रोड के रहने वाले मजहर मेजर के दो बच्चे हैं। वो एक दिन पहले जेल से छूट कर आए थे जब उनके घर हमारी मुलाकात हुई। दो महीने से ज्यादा जेल काटकर आए मजहर से बच्चे लिपटे पड़े थे। 16 दिसंबर को हुए नागरिकता विरोधी आंदोलन के बाद 25-26 दिसंबर को पुलिस आई और सीधे उनके घर में घुस गई जहां वे अपने और अपने भाई के परिवार के साथ रहते हैं। एक दिन बाद औरंगाबाद स्थित उनकी प्रिंटिग की दुकान में भी पुलिस आ धमकी। दो दिन बाद फिर आई और फिर पुलिस का रुटीन हो गया था कि रात के अंधेरे में घर के सामने आकर टार्च मारना और चले जाना। इस कार्रवाई का अंदाजा उसके दिल से पूछना चाहिए जिसके घर आकर पुलिस दहशत फैलाकर चली गई हो।

21 जून को दिन में 1 बजकर 45 मिनट पर मेजर को फोन आया कि सीओ साहब मीटिंग लेना चाहते हैं। मालूम चला कि दिलीप पाण्डेय, अफजल, गुड्डू, अनस को पुलिस ने उठा लिया है। 22 जून की सुबह 10 बजे अधिवक्ता दरोगा सिंह ने एक अन्य शहरयार के साथ थाने में उन्हें हाजिर करवा दिया। पर पुलिस ने इन सबकी गिरफ्तारी ढेकुलियाघाट पुल के पास से दिखाई। इसके एक दिन पहले 9 लोगों की भी गिरफ्तारी यहीं से दिखाई गई थी। बातचीत में वे कहते हैं कि जज साहिबा ने पुलिस से इस बारे में कहा कि आखिर एक ही जगह से सब गिरफ्तारी कैसे हो रही है।

First Published on: December 17, 2020 5:11 PM
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