अतीक अहमद के बेटे उमर की अग्रिम जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की ख़ारिज


मोहम्मद उमर की ओर से दूसरी बार अग्रिम जमानत अर्जी कोर्ट में दाखिल की गई थी। जिसका विरोध सीबीआई ने किया। सीबीआई का कहना है कि आरोपी की तरफ से विवेचना में कोई सहयोग नहीं किया गया। इसलिए आरोपी जमानत पाने का हकदार नहीं है।


जेपी सिंह
उत्तर प्रदेश Updated On :

प्रयागराज। यूपी के बाहुबली नेता अतीक अहमद के बेटे मोहम्मद उमर को उच्चतम न्यायालय ने एक व्यवसायी को अगवा कर देवरिया जेल ले जाने और उससे मारपीट करने के मामले में अग्रिम जमानत देने से मना कर दिया। उसके खिलाफ लखनऊ की कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया हुआ है।

मोहम्मद उमर की याचिका आज जस्टिस एनवी रमना, सूर्य कांत और अनिरुद्ध बोस की पीठ में लगी। उमर की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील पी एस पटवालिया ने अग्रिम जमानत की गुहार की। लेकिन पीठ ने इससे मना करते हुए से कहा कि कई लोगों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई नहीं कर पाती। आपको जुलाई 2019 में समन जारी हुआ था। अब जब कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी कर दिया है, तब आप अग्रिम जमानत मांग रहे हैं। लेकिन इस मामले में आपको कोई राहत नहीं दी जा सकती है। हम याचिका खारिज कर रहे हैं।

आरोप है कि 26 दिसंबर 2018 को मोहम्मद उमर ने 25-30 गुंडों के साथ लखनऊ के प्रॉपर्टी कारोबारी मोहित जायसवाल को अगवा कर लिया था। वह उसे देवरिया जेल में बंद अपने पिता अतीक अहमद के पास ले गया। वहां जेल के बैरक में मोहित जयसवाल की पिटाई की गई। 45 करोड़ रुपए की जमीन के कागज पर जबरन दस्तखत करवा लिए गए। मोहित की एसयूवी गाड़ी भी वहीं रखवा ली गई।

शुरू में यूपी पुलिस ने मामले की जांच की और अतीक के कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया। कुछ दिनों बाद मामला उच्चतम न्यायालय पहुंचा। घटना की जानकारी मिलने पर उच्चतम न्यायालय ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई। 23 अप्रैल 2019 को उच्चतम न्यायालय ने अतीक को गुजरात की हाई सिक्योरिटी जेल में भेजने का आदेश दे दिया। उच्चतम न्यायालय ने बाद में जांच मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी।

जून 2019 में सीबीआई ने मामले में एफआईआर दर्ज की। 23 जुलाई 2019 को लखनऊ की विशेष कोर्ट ने मोहम्मद उमर को पेश होने के लिए समन जारी किया। मोहम्मद उमर के अब तक पेश न होने पर इस 12 फरवरी को उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया ।गिरफ्तारी से बचने के लिए उच्चतम न्यायालय पहुंचे थे।

इसके पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस विवेक चौधरी की एकल पीठ ने अतीक के बेटे मोहम्मद उमर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। गौरतलब है कि, उस पर लखनऊ के एक प्रॉपर्टी डीलर मोहित जायसवाल को अगवा कर देवरिया जेल में पीटने का आरोप है। कोर्ट ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए जमानत देने से इनकार किया है। ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद यह आदेश दिया।

मोहम्मद उमर की ओर से दूसरी बार अग्रिम जमानत अर्जी कोर्ट में दाखिल की गई थी। जिसका विरोध सीबीआई ने किया। सीबीआई का कहना है कि आरोपी की तरफ से विवेचना में कोई सहयोग नहीं किया गया। इसलिए आरोपी जमानत पाने का हकदार नहीं है। वहीं। आरोपी की तरफ से यह दलील दी गई कि, याची का पिछला कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। वह नोएडा के एक प्रतिष्ठित कालेज का लॉ का छात्र है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी।

उमर पर आरोप है कि, 30 दिसंबर 2018 की सुबह लखनऊ के प्रॉपर्टी डीलर मोहित जायसवाल को उसके गोमतीनगर स्थित ऑफिस से अगवा कर लिया और देवरिया जेल में लाकर उसकी पिटाई करने के साथ ही उसकी करीब 45 करोड़ रुपये की जमीन हड़प ली गई। अतीक अहमद, उसके बेटे उमर, गुर्गे गुरफान, फारुख, गुलाम और इरफान के खिलाफ लखनऊ के कृष्णानगर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था।

उच्चतम न्यायालय के आदेश पर ही सीबीआई ने 12 जून 2019 को माफिया अतीक अहमद और उसके बेटे उमर समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया था। उच्चतम न्यायालय के आदेश पर ही अतीक अहमद को उत्तर प्रदेश के देविरया जेल से उठाकर गुजरात की जेल में भेजा गया था। वर्तमान में अतीक अहमद अहमदाबाद सेंट्रल जेल में बंद है।

गौरतलब है कि माफिया और पूर्व सांसद अतीक अहमद के बेटे मोहम्मद उमर के खिलाफ पुलिस ने गैंगस्टर सहित विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया है। पुलिस उसकी काफी लंबे समय से तलाश कर रही है। उसकी गिरफ्तारी के लिए प्रदेश के कई शहरों में छापेमारी और दबिश भी दी जा चुकी है लेकिन वह पुलिस के हाथ नहीं लगा।



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