सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार से बृहस्पतिवार तक हाथरस कांड के गवाहों के संरक्षण के लिए उठाये गये कदमों की जानकारी मांगी

नई दिल्ली।  उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि हाथरस में दलित लड़की से कथित सामूहिक बलात्कार और बाद में अस्पताल में उसकी मृत्यु की घटना से संबंधित गवाहों के संरक्षण के लिये उठाये गये कदमों के बारे में बृहस्पतिवार तक विस्तृत जानकारी दी जाये।

शीर्ष अदालत ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने सारे मामले को सीबीआई को सौंपने की इच्छा व्यक्त की क्योंकि राजनीतिक मकसद से इस मामले के बारे में फर्जी बातें की जा रही हैं।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस घटना को हृदय विदारक और अभूतपूर्व करार देते हुये कहा कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि इस मामले की जांच सुचारू ढंग से हो।

प्रदेश सरकार की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा, ‘‘ हाथरस मामले में एक के बाद एक तरह तरह की बातें की जा रही हैं। इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है।’’

उन्होंने कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच यह सुनिश्चित करेगी कि कोई भी निहित स्वार्थो के लिये अपने मकसदों के लिये फर्जी कहानियां नही बना सकेगा।

राज्य सरकार ने पीठ से यह भी कहा कि हाथरस मामले में सीबीआई की जांच शीर्ष अदालत की निगरानी में करायी जा सकती है।

हाथरस के एक गांव में 14 सितंबर को 19 वर्षीय दलित लड़की से सवर्ण जाति के चार लड़कों ने कथित रूप से बलात्कार किया था। इस लड़की की 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गयी थी।

पीड़ित की 30 सितंबर को रात के अंधेरे में उसके घर के पास ही अंत्येष्टि कर दी गयी थी। उसके परिवार का आरोप है कि स्थानीय पुलिस ने जल्द से जल्द उसका अंतिम संस्कार करने के लिये मजबूर किया। स्थानीय पुलिस अधिकारियों का कहना है कि परिवार की इच्छा के मुताबिक ही अंतिम संस्कार किया गया।

राज्य सरकार ने इस मामले की केन्द्रीय जांच ब्यूरो से जांच कराने की सिफारिश की है और एफएसएल की रिपोर्ट का जिक्र करते हुये बलात्कार के आरोप से इंकार किया है।

First Published on: October 6, 2020 3:13 PM
Exit mobile version