लखनऊ। यूपी के तमाम मेडिकल कॉलेजों की टालमटोल वाली कार्यप्रणाली अब उन पर भारी पड़ने वाली है। मरीजों का उपचार करने की जगह उन्हें एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल टरकाने वाली प्रवृत्ति की शिकायत मुख्यमंत्री तक पहुंच रही है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रदेश के सभी 75 जिलों के लिए तैनात किये गये 75 नोडल अफसर इस बात की निगरानी कर रहे हैं कि शासनस्तर पर जारी दिशानिर्देशों का पालन किया जा रहा है या नहीं, जिसकी रिपोर्ट सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंच रही है।
सीएम ने प्रमुख सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को कड़े निर्देश दिये हैं कि ऐसे मेडिकल कॉलेज प्रशासन के खिलाफ सख्ती की जाए, जो मामूली ट्रॉमा केस लेने में भी आनाकानी करते हैं और बिना मरीज को अटेंड किये उन्हें एसजीपीजीआई या केजीएमयू के लिए रेफर कर दे रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव चिकित्सा को निर्देश दिये हैं कि मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपल्स की जवाबदेही तय होनी चाहिए। अक्सर देखने में आ रहा है कि लखनऊ को छोड़कर बाहर के जनपदों के मेडिकल कॉलेज पेशेंट अटेंड करने में आनाकानी करते हैं। मामूली एक्सीडेंट और गनशॉट के केस को भी बिना देखे तत्काल रेफर कर देते हैं। कुछ मेडिकल कॉलेज कोई भी इमर्जेंसी केस अटेंड नहीं कर रहे हैं, जो उचित नहीं है। इससे अनावश्यक रूप से लखनऊ के बड़े अस्पतालों पर भार तो बढ़ता ही है साथ ही मरीज के उपचार में भी देरी होती है, जो कई बार जानलेवा साबित हो जाती है।
सीएम ने प्रमुख सचिव से ऐसे मेडिकल कॉलेजों का रिकॉर्ड तैयार करने के लिए कहा है जो लगातार मरीजों को लेने में टालमटोल कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि हर उस मामले में जिसका उपचार मेडिकल कॉलेज में संभव है, उसे भी लखनऊ भेजने की प्रवृत्ति हमे छोड़ देना चाहिए, अन्यथा प्रिंसिपल की जवाबदेही तय करते हुए कार्रवाई की जाए। जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री को मुख्य रूप से झांसी, प्रयागराज, गोरखपुर, आजमगढ़ और अयोध्या सहित अन्य मेडिकल कॉलेजों के बारे में शिकायत मिली है।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि जहां से भी पांच केस से ज्यादा रेफरल केस सामने आ रहे हैं वहां के प्रिंसिपल की जवाबदेही तय की जाए। जब मेडिकल कॉलेज में सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं तो अनावश्यक रूप से रेफर किया जाना कहीं से भी उचित नहीं है और अगर किसी के पास सामान्य ट्रॉमा को ट्रीट करने का अनुभव ही नहीं है तो उसे प्रिंसिपल के रूप में वहां रखने का कोई औचित्य नहीं बनता।
सीएम ने आगामी त्योहारों के मद्देजनर सभी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपलों की छुट्टी को स्थगित करने के भी निर्देश दिये हैं। इसके अलावा सभी मेडिकल कॉलेज में इमर्जेंसी के लिए अलग से टीम गठित करने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये हैं।
मुख्यमंत्री ने इसके अलावा प्रदेश में बढ़ रहे डेंगू के मामलों को लेकर भी प्रमुख सचिव को दिशानिर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि डेंगू के लिए कंटेनमेंट जोन बनाकर कार्रवाई की जाए।