आजमगढ़। खिरिया बाग के आंदोलनरत किसानों-मजदूरों ने कहा कि हम गांव वालों ने कह दिया है कि जमीन नहीं देंगे तो आज़मगढ़ जिला प्रशासन सनसनीखेज बयान न जारी करे। अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की परियोजना को लेकर संसद में सांसद मनोज झा के सवाल पर कि आज़मगढ़ में ढाई-तीन महीने से किसान धरने पर बैठे हैं ,उनके सवाल को हल किया जाए, जिसपर नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि वे उनसे बात कर इसकी तहकीकात करेंगे।
किसानों-मजदूरों ने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन और सांसद दिनेश लाल निरहुआ के बयानों के चलते जमीन जाने के सदमे से किसानों की मृत्यु हो चुकी है। आज़मगढ़ जिला प्रशासन को विकास दिख रहा है जो अभी यहां न हुआ न होगा क्योंकि गांवों को उजाड़ना विकास नहीं विनाश है।
किसानों-मजदूरों ने कहा कि इस कड़कड़ाती ठंड शीतलहरी कोहरे के बीच 84 दिन से धरने पर बैठे हैं और साफ कह रहे हैं कि जमीन नहीं देंगे, एयरपोर्ट का मास्टरप्लान रदद् किया जाए क्या इतनी साफ शब्दों में की जा रही मांग शासन-प्रशासन समझ नहीं पा रहा। क्या ये सरकार यह चाहती है कि हम सदमे से मरें।जो बयान जिला प्रशासन ने दिया यही नवंबर में भी दिया था न तब भूमि अधिग्रहण हुआ और न आगे होगा क्योंकि ग्राम सभाओं के यह तय करने का अधिकार है कि भूमि देंगे कि नहीं।
सरकार मास्टर प्लान वापस लेने का रास्ता तलाश रही है, जल्द किसानों-मजदूरों से माफी मांगते हुए सरकार इसे अपनी भूल कहेगी। जिलाधिकारी से वार्ता में उनके पास हमारे सवालों का कोई जवाब नहीं था और किसी बैठक की बात कह निकल गए। क्योंकि सर्वे के नाम पर फर्जी रिपोर्ट भेजी गई है। भूमि अधिग्रहण कानून के मुताबिक ग्राम प्रतिनिधियों की मौजूदगी में सर्वे किया जाएगा, सर्वे प्रभावित क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर होगा, सर्वे रिपोर्ट को प्रकाशित कर जनसुनवाई की जाएगी पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। जबरन भूमि अधिग्रहण के लिए किए गए फर्जी सर्वे रिपोर्ट ने ग्रामीणों का जीना दूभर कर दिया है।सब काम-धाम छोड़कर अपने पुरखों की जमीन बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।प्रशासन ने गैरकानूनी सर्वे किया इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो।
खिरिया बाग के संघर्ष के तीन महीने पर 10 जनवरी को कृषि और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव पर एक पंचायत की जाएगी जिसमें देश के कृषि विशेषज्ञ और पर्यावरणविद हिस्सा लेंगे।आज़मगढ़ जिलाधिकारी यहां आएं देखें कि कितनी उन्नत किसानी, बेहतर पर्यावरण और जैव विविधता है। जिसमें अनेक प्रकार के जीव-जंतु व सरीसृप पाए जाते हैं जिसमें अजगर की तीन प्रजातियां पाई जाती हैं जो विलुप्त होने के कगार पर हैं।क्या वो इसको खत्म करेंगे।
भूमि अर्जन, पुनर्वास और पुनव्यरवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम, 2013 में भू-स्वामियों तथा अन्य प्रभावित कुटुम्बों को कम से कम बाधा पहुंचाए बिना भूमि अर्जन के लिए कहा गया है। जबकि जो सर्वे दिखाया जा रहा है उसमें बड़े पैमाने पर लोगों के आशियाने हैं जिसमें दलित व पिछड़ी जातियों में ऐसे बहुतायत हैं जो भूमिहीन हैं या जमीन के कुछ टुकड़े हैं जिसमें बमुश्किल वो आशियानें बनाकर रहते हैं।किसी भी प्रकार का भूमि अधिग्रहण उनको सड़क पर ला देगा।प्राथमिक विद्यालय, पंचायत भवन, जच्चा-बच्चा केंद्र, आंगनवाड़ी, नहर, जलाशय, कुएं भी प्रभावित हो रहे हैं।यहां छोटी जोत के गरीब किसान-मजदूर की खेती पर जीविका आश्रित है।