मथुरा। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद पिछले छह से अधिक महीनों से उत्तर प्रदेश के मथुरा जेल में बंद डॉ. कफील खान को मंगलवार रात को रिहा कर दिया गया। रिहाई के बाद डॉ. कफील ने आशंका जताई कि यूपी सरकार उन्हें किसी और मामले में फंसा सकती है। इससे पहले हाईकोर्ट ने कल सुबह डॉक्टर की तुरंत रिहाई का आदेश दिया था।
रिहाई के बाद मथुरा जेल के बाहर पत्रकारों से बात करते डॉ. कफील खान ने कहा, ” कोर्ट ने अपने रिहाई में कहा है कि सरकार ने झूठा आरोप लगाकर उन्हें इस जेल में आठ महीने तक रखा गया। गिरफ्तार के बाद मुझे लगातार पांच दिनों को खाना और पानी नहीं दिया गया। मैं यूपी एसटीएफ का धन्यवाद देता हूं जिन्होंने गिरफ्तारी के बाद मुम्बई से यूपी लाते समय उनका इनकाउंटर नहीं किया ”
गौरतलब है कि गोरखपुर मेडिकल कॉलेज से चिकित्सक डॉ. कफील खान को अलीगड़ मुस्लिम यूनीवर्सीटी में CAA और NRC के खिलाफ हो रहे व्यापक प्रदर्शन के दौरान यूपी सरकार ने उन पर भड़काऊ भाषण देने का झूठा आरोप लगा NSA के तहत जेल में बंद कर गिया था।
योगी सरकार के इस फैसले के खिलाफ उनके परिजन इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे थे जिसके बाद कई कोर्ट के कई तारीखे पड़ने के बाद आखिरकार कोर्ट ने डॉ. कफील खान के रिहाई का आदेश दे दिया।
कोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश की समाजवादी पार्टी, कांग्रेस सहित दूसरी पार्टीयों ने योगी सरकार द्वारा गैरकानूनी तरीके से बेकसूर डॉ.कफील खान को 6 से अधिक महीनों तक जेल में बंद रखने के निर्णय की आलोचना की है। कोर्ट के आदेश के बाद यूपी कांग्रेस प्रभारी प्रियंका गांधी ने कोर्ट के आदेश के सम्मान करते हुए डॉ.कफील की शीघ्र रिहाई की मांग की थी।
डॉ. खान की गिरफ्तारी से जुड़ा घटनाक्रम
12 दिसंबर 2019 को शाम 5 बजे गोरखपुर के थाना राजघाट में बसंतपुर के रहने वाले 46 वर्षीय डॉ. कफील ने AMU के बॉबे सैयद पर नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ छात्रों के बीच अपना संबोधन किया। इससे पहले गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में हुई घटना को लेकर डॉ. कफील चर्चा में आ चुके थे।
13 दिसंबर 2019 को AMU में 10000 से अधिक छात्रों ने प्रदर्शन किया। पुलिस और प्रशासन ने किसी तरह स्थिति को नियंत्रित किया।
15 दिसंबर 2019 को हजारों छात्र एक बार फिर से प्रदर्शन करने के लिए एएमयू कैंपस से शहर की ओर कूच करने लगे। प्रदर्शन हिंसक हो गया जिसके बाद पुलिस ने AMU के छात्रावासों में घूसकर छात्रों को बेरहमी से पीठा जिससे कई छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए।
AMU छात्रावास में यूपी पुलिस की इस बर्बर कार्रवाई की पूरे देश में निंदा हुई थी।
बाद में इस अलीगढ़ जिलाधिकारी ने इस घटना को डॉ. कफील के भाषण से जोड़ दिया और उनकी गिरफ्तारी के लिए
दिसंबर के अंत में थाना सिविल लाइन में डॉ. कफील के खिलाफ लोक व्यवस्था भंग करने, भड़काऊ संबोधन करने, कानून और व्यवस्था भंग करने आदि धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया।
हांलाकि डॉ.कफील ने छात्रों की जिस सभा को संबोधित किया था उस सभा को प्रमुख समाजसेवी और सीएम अरविंद केजरीवाल के पूर्व सहयोगी राजेन्द्र यादव भी संबोधित किया था और वे कफील के भाषण के दौरान मौजूद थे। डॉ. कफील की गिरफ्तारी के समय उन्होंने भी वही बात कही थी मंगलवार को कोर्ट ने कफील के भाषण के बारे में कहा है, लेकिन फिर भी यूपी पुलिस डॉ. कफील को 6 से अधिक महीनों से जेल में बंद रखी और यातनाएं दीं। बाद में डॉ. कफील को यूपी STF की टीम ने मुंबई से गिरफ्तार करके अलीगढ़ लाई। अदालत में पेश किया गया। फिर मथुरा जेल भेज दिया गया।
15 फरवरी को डॉ. कफील की मथुरा जेल से रिहाई होने वाली थी, लेकिन 14 फरवरी को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई कर दी गई और इसको कई बार तीन-तीन महीने बढ़ाया गया। कोरोना के दौर में जहां यूपी पुलिस सहित देश भर की सरकारें हल्के अपराध वाले कैदियों से जेलों से पैरोल पर छोड़ती रहीं वहीं यूपी सरकार ने बेकसूर कफील खान को रिहा नहीं किया।