टोरंटो। पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान में किए जा रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने वाली एक्टिविस्ट करीमा बलोच की मौत हो गई है। कनाडा के टोरंटो में संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी लाश मिली है, मौत कैसे हुई ये अभी तक साफ नहीं है। लेकिन करीमा बलोच के निधन ने एक बार फिर पाकिस्तान के ताजा हालातों, सेना-आतंकियों के प्रभाव को उजागर कर दिया है।
बलूचिस्तान से बाहर निकलने के बाद करीमा कनाडा में जा बसी, जिसके बाद सोशल मीडिया के जरिए उन्होंने बलूचिस्तान मूवमेंट की आवाज बुलंद की। इसी साल मार्च में भी एक बलूची पत्रकार की मौत स्वीडन में हुई थी, उनकी लाश भी ऐसे ही संदिग्ध परिस्थितियों में मिली थी।
करीमा बलोच 2016 से ही कनाडा में शरण लेकर रह रही थीं, बीते दो दिनों से वो लापता थीं और बाद में सीधा उनकी लाश मिली । कुछ वक्त पहले ही उन्होंने एक वीडियो संदेश में अपनी जान को खतरा होने की बात कही थी।
प्रधानमंत्री मोदी को बताया था अपना भाई
सामाजिक कार्यकर्ता और बलोच स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन की अध्यक्ष करीमा बलोच ने साल 2016 में रक्षाबंधन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना भाई बताया था और राखी भेजी थी। इसके साथ ही उन्होंने एक भावुक वीडियो भी साझा किया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि मैं एक बहन के तौर पर आपसे कुछ कहना चाहती हूं। बलूचिस्तान में कई भाई लापता हैं और कई भाई तो पाकिस्तानी सेना के हाथों मारे गए हैं। आज भी बहनें अपने लापता भाईयों की राह देख रही हैं। हम आपसे ये कहना चाहते हैं कि बलूचिस्तान की बहनें आपको अपना भाई मानती हैं। आप बलोच नरसंहार, युद्ध अपराध और मानवाधिकार हनन के खिलाफ अंतराष्ट्रीय मंचों अपनी बलोच बहनों की आवाज बनें।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक करीमा बलोच रविवार शाम को लापता हो गई थीं जिसके बाद से पुलिस उनकी तलाश कर रही थी। बताया जा रहा है कि रविवार को करीमा बलोच को अंतिम बार एक अंजाम व्यक्ति के साथ जाते हुए देखा गया था।
100 प्रेरणादायक महिलाओं में थी शामिल
करीमा बलोच को साल 2016 में 100 प्रेरणादायक और प्रभावशाली महिलाओं की सूची में शामिल किया गया था। करीमा बलूच बलूचिस्तान की जानी मानी हस्तियों में से एक थीं। जो लगातार बलूचिस्तान में पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे अत्याचारों को प्रमुखता से उठाती थीं। करीब साल भर पहले दिए गए एक साक्षात्कार में करीमा बलोच ने पाकिस्तान पर बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों को छीनकर बलूच के लोगों को प्रताड़ित करने के भी आरोप लगाए थे।
आपको बता दें कि बलूचिस्तान को आजाद कराने के लिए लंबे अरसे से आंदोलन चल रहा है, कई दफा भारत ने भी बलूचिस्तानी लोगों की मांग सुने जाने की बात कही है। अब जब करीमा बलोच की मौत हुई तो आंदोलन से जुड़े लोगों ने इसके पीछे पाकिस्तानी एजेंसी ISI का हाथ बताया है।
पाकिस्तानी लेखक तारीक फतेह ने भी ट्विटर पर करीमा बलोच के योगदान को याद किया और उन्होंने आरोप लगाया कि करीमा बलोच की मौत साधारण नहीं, बल्कि पाकिस्तानी एजेंसियों द्वारा रची गई एक साजिश है।