कोविड-19 के बाद विश्व को निष्पक्षता, समानता एवं मानवता आधारित वैश्वीकरण की जरूरत होगी : संधू


अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने पूर्व में भारत में अमेरिका के राजदूत रहे रिचर्ड वर्मा द्वारा सोमवार को आयोजित ‘द एशिया ग्रुप के साथ ऑनलाइन संवाद में कहा कि आर्थिक विकास और मानव कल्याण को साथ-साथ लेकर चलने की जरूरत है और सभी के लिए स्वास्थ्य तक समान, किफायती और समय से पहुंच सुनिश्चित करना आवश्यक है।



वाशिंगटन। अमेरिका में भारत के राजदूत ने कहा है कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी ने मौजूदा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की हदों से रूबरू करा दिया है और कोविड-19 संकट के बाद की दुनिया को पारदर्शिता, समानता तथा मानवता पर आधारित वैश्वीकरण की एक नई व्यवस्था की आवश्यकता होगी।

अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने पूर्व में भारत में अमेरिका के राजदूत रहे रिचर्ड वर्मा द्वारा सोमवार को आयोजित ‘द एशिया ग्रुप के साथ ऑनलाइन संवाद में कहा कि आर्थिक विकास और मानव कल्याण को साथ-साथ लेकर चलने की जरूरत है और सभी के लिए स्वास्थ्य तक समान, किफायती और समय से पहुंच सुनिश्चित करना आवश्यक है।

संधू ने कहा, “वर्तमान संकट ने मौजूदा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की सीमाओं को उजागर किया है। कोविड-19 के बाद की दुनिया में हमें निष्पक्षता, समानता और मानवता पर आधारित वैश्वीकरण का सांचा चाहिए होगा।” उन्होंने कहा कि भारतीय फार्मा कंपनियां और वैश्विक नेता कम कीमत पर दवाएं एवं टीकों का उत्पादन कर रही हैं। साथ ही कहा कि अमेरिका को किफायती कीमतों पर दवाएं उपलब्ध कराने में भारत एक भरोसेमंद साझेदार है।

संधू ने कहा, ‘‘स्वास्थ्य एवं वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में अमेरिका के साथ हमारी लंबी और मजबूत साझेदारी इस वैश्विक महामारी के वक्त और गहरी हो गई है।” इसी तरह से भारत टीकों के विकास के लिए अमेरिकी निजी क्षेत्र के साथ काम कर रहा है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने न्यूयॉर्क की बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्र की कंपनी कोडाजेनिक्स इंक के साथ कोरोना वायरस के खिलाफ तेजी से टीका विकसित करने के लिए साझेदारी की है।

उन्होंने बताया कि हैदराबाद की भारत बायोटेक ने कोविड-19 के खिलाफ टीका ‘कोरोफ्लू’ विकसित करने के लिए विकनसिन- मेडिसिन यूनिवर्सिटी और टीका बनाने वाली कंपनी फ्लूजेन के साथ साझेदारी की है। संधू ने कहा कि वायरस की रोकथाम और आर्थिक सुधार के लिए ऐसे मजबूत अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत होगी जो राष्ट्रीय नीतिगत प्रयासों में पूरक साबित हो।

उन्होंने कहा कि भारत इस वैश्विक महामारी से निपटने के लिए अपने पड़ोसियों समेत अपने अन्य अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ भी काम कर रहा है। भारत ने करीब 123 साथी देशों को चिकित्सीय आपूर्ति एवं सहायता दी है।

भारतीय राजनयिक ने कहा, “हम एक करोड़ डॉलर की शुरुआती निधि के साथ आपदा राहत कोष के माध्यम से दक्षेस क्षेत्रों में अग्रणी रहे। हमारी त्वरित प्रतिक्रिया चिकित्सा टीम मालदीव, कुवैत में तैनात हैं। हमारे स्वास्थ्य विशेषज्ञ हमारे पड़ोसियों के लिए ऑनलाइन ट्रेनिंग के जरिए अच्छी कार्यप्रणालियां साझा कर रहे हैं और दवाएं तथा टीके विकसित करने के वैश्विक प्रयासों में सक्रिय हैं।”

संधू ने इस बात पर ध्यान दिलाया कि पिछले कुछ हफ्तों में दुनिया बिलकुल अलग जगह बन चुकी है जहां राष्ट्र दर राष्ट्र इस अदृश्य शत्रु के हमले को रोकने के लिए घरों में आश्रय लेने पर मजबूर हो गया।

उन्होंने कहा, “वैश्विक स्वास्थ्य संकट ऐसे बड़े पैमाने पर आर्थिक संकट लेकर आया है जो हालिया इतिहास में नहीं देखा गया है।”

राजदूत ने कहा, “इन दो संकटों से घिरी हुई सरकारें आज जन स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के बीच में असंभव विकल्प चुनने का सामना कर रही हैं। हमें व्यवहार कुशल संतुलित प्रणाली की जरूरत है। हमें हमारी अर्थव्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करने के साथ ही हमारी स्वास्थ्य प्रणालियों के लचीलेपन, व्यापकता और निरंतरता को बढ़ाने की भी जरूरत है।”