अमेरिका औऱ यूरोप के विकसित देशों के साथ ही दुनिया के गरीब और पिछड़े मुल्क भी कोरोना वायरस से हलाकन हैं। ज्ञान-विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित करने वाले देश भी इस महामारी के सामने बेदम दिखाई दिए। अब कोरोना पर राजनीतिक जंग शुरू होने वाली है। अमेरिका और जर्मनी इसकी पटकथा लिख रहे हैं तो ब्रिटेन के साथ अन्य यूरोपीय देश भी इस रणीनीति के साथ कदमताल कर रहे हैं। अमेरिका और यूरोपीय देश इस महामारी के फैलने का ठीकरा चीन के माथे पर फोड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
यह वायरस सबसे पहले चीन के वुहान में सामने आया। अभी तक प्राकृतिक आपदा और महामारी के लिए किसी व्यक्ति और देश को उत्तरदायी नहीं माना जाता था। लेकिन कोरोना वायरस को लेकर अमेरिका और यूरोप जिस तरह से अभियान छेड़ने जा रहे हैं वह अपने आप में किसी हादसे से कम नहीं है। अमेरिका और यूरोपीय देशों का मानना है कि चीन ने इस मसले पर समय रहते सही सूचना नहीं दी,यदि समय रहते सही सूचना का आदान-प्रदान हुआ होता तो कोरोना वायरस महामारी का रूप अख्तियार न कर पाती।
चीन के खिलाफ विश्व जनमत बनाने में लगे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इससे अपनी नाकामी भी छिपा रहे हैं। लेकिन उनकी यह चाल कोरोना के बाद विश्व को और परेशानी में ढाल सकता है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के संबंध में चीन के खिलाफ ‘बेहद गंभीरता से जांच’ कर रहा है। ट्रंप ने इस कथन से संकेत दिया है कि अमेरिकी प्रशासन बीजिंग से जर्मनी द्वारा मुआवजे के रूप में मांगे गए 140 अरब डॉलर से कहीं बड़े मुआवजे के बारे में सोच रहे हैं।
चीन में पिछले साल मध्य नवंबर में उभरे इस घातक वायरस से पूरी दुनिया में दो लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और तीस लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। इनमें से बड़ी संख्या में अमेरिकी नागरिक हैं। अमेरिका में अभी तक इस वायरस की वजह से 56,000 लोगों की मौत हो चुकी है और दस लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं।
अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी के नेता लगातार कह रहे हैं कि अगर चीन शुरुआती चरण में इस वायरस के संबंध में जानकारी देने में पारदर्शिता रखता तो इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मौत नहीं होती और वैश्विक अर्थव्यवस्था को इतना बड़ा नुकसान नहीं पहुंचता। कई देश चीन से मुआवजे वसूलने की बात करना शुरू कर चुके हैं।
ट्रंप ने सोमवार को रोज गार्डन के संवाददाता सम्मेलन में जर्मनी के मुआवजे संबंधी दावे के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘हम उससे आसान चीजें कर सकते हैं। हमारे पास वैसा करने से भी आसान तरीके मौजूद हैं।’’
ट्रंप से पूछा गया था कि क्या अमेरिका भी जर्मनी की तरह ही क्षति के लिए 140 अरब डॉलर मुआवजे के रूप में मांगने जैसा कदम उठा सकता है। ट्रंप ने कहा,‘‘जर्मनी भी कुछ विचार कर रहा है और हम भी कुछ देख रहे हैं और जर्मनी जितने मुआवजे की बात कर रहा है, हम उससे कहीं बड़ी राशि की बात कर रहे हैं।हमने अभी अंतिम राशि निर्धारित नहीं की है लेकिन यह काफी बड़ी राशि होने वाली है।’’
अमेरिका के बाद इस वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित यूरोप है। वहीं भारत में कड़े सुरक्षा उपायों की वजह से मृतकों की संख्या अब भी 886 है और 28,000 लोग संक्रमित हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस वायरस की वजह से अमेरिका में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में व्यापक स्तर पर क्षति पहुंची है। चीन को इस वायरस के प्रसार के लिए जिम्मेदार ठहारने के ‘कई रास्ते हैं’। उनका कहना है कि अमेरिका इस संबंध में गंभीरता से जांच कर रहा है और वह चीन से खुश नहीं है।