वाशिंगटन। अमेरिका ने पाकिस्तान और चीन को उन देशों की सूची में शामिल किया है, जहां धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन विशेष चिंता का विषय है। विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने यह जानकारी दी।
पोम्पिओ ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा कि पाकिस्तान और चीन के अलावा म्यामां, इरिट्रिया, ईरान, नाइजीरिया, उत्तर कोरिया, सऊदी अरब, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान को उस सूची में रखा गया है जो ‘‘धार्मिक स्वतंत्रता के व्यवस्थित, निरंतर एवं घोर उल्लंघन’’ में लिप्त हैं या फिर ये उल्लंघन होने दे रहे हैं’’।
विदेश विभाग ने कोमोरोस, क्यूबा, निकारागुआ और रूस को विशेष निगरानी सूची में डाला है जहां की सरकारें ‘‘धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघन’’ में या तो लिप्त हैं या उसे होने दे रही हैं।
पोम्पिओ ने कहा, ‘‘धार्मिक स्वतंत्रता एक अहस्तांतरणीय अधिकार है और मुक्त समाजों का आधार है जिन पर वे फलते-फूलते हैं। आज अमेरिका ने एक बार फिर उन लोगों की रक्षा के लिए कदम उठाया है जो यह आजादी चाहते हैं।’’
अमेरिका ने अल शबाब, अल कायदा, बोको हराम, हयात तहरीर अल शम, हूथी, आईएसआईएस, आईएसआईएस-ग्रेटर सहारा, आईएसआईएस- वेस्ट अफ्रीका, जमात नासर अल इस्लावल मुस्लिमिन और तालिबान को ‘‘विशेष चिंता का विषय बने संगठन ’’ बताया ।
पोम्पिओ ने कहा कि सूडान और उज्बेकिस्तान की सरकारों द्वारा पिछले एक वर्ष के दौरान की गई उल्लेखनीय एवं ठोस प्रगति के चलते उन्हें विशेष निगरानी सूची से हटा दिया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘कानून संबंधी साहसी सुधारों के चलते ये देश अन्य राष्ट्रों के लिए आदर्श हैं।’’ रक्षा मंत्री ने कहा कि अभी यह काम पूरा नहीं हुआ है और अमेरिका दुनियाभर में धर्म के नाम पर होने वाले दुर्व्यवहार एवं उत्पीड़न को खत्म करने के लिए अथक काम करता रहेगा।
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी अमेरिकी आयोग ने विदेश विभाग द्वारा दस राष्ट्रों को विशेष चिंता का विषय बने देशों (कंट्रीज ऑफ पर्टीक्यूलर कंसर्न या सीपीसी) की सूची में डालने के कदम की सराहना की है। हालांकि विदेश विभाग ने आयोग द्वारा भारत, रूस, सीरिया और वियतनाम को भी सीपीसी सूची में डालने की अनुशंसा स्वीकार नहीं की।