ट्रंप की खुफिया टीम की मदद के बिना आगे बढ़े बाइडन

वाशिंगटन। राष्ट्रपति चुनाव 2000 में भी मामला बीच में फंसा हुआ था, लेकिन निवर्तमान राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने फैसला किया कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति और तब गवर्नर पद पर कार्यरत जॉर्ज डब्ल्यू बुश से भी रोजाना मिलने वाली देश की सबसे संवेदनशील खुफिया जानकारी साझा की जाए।

क्लिंटन एक डेमोक्रेट नेता थे और उप राष्ट्रपति अल गोर रिपब्लिकन उम्मीदवार बुश के खिलाफ चुनाव लड़े थे। गोर की पहुंच गत आठ साल से ‘प्रेसीडेंट डेली ब्रीफ’ तक थी। क्लिंटन ने बुश को जीतने पर उन्हें इसके लिए अधिकृत करने का फैसला किया।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने क्लिंटन के उदाहरण का पालन नहीं किया है। अभी तक चुनाव परिणाम को स्वीकार नहीं करने वाले ट्रम्प ने राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित जो बाइडन को दैनिक आधार पर मिलने वाली अति संवेदनशील खुफिया जानकारी तक पहुंच नहीं दी है।

राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया विशेषज्ञों को उम्मीद है कि ट्रम्प अपना मन बदलेंगे, ताकि अगला राष्ट्रपति पहले दिन से राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े किसी भी मुद्दों का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार रहें। इसके लिए यह बेहद आवश्यक है।

मिशिगन के पूर्व रिपब्लिकन प्रतिनिधि माइक रोजर्स ने कहा, हमारे विरोधी सत्ता हस्तांतरण का इंतजार नहीं कर रहे हैं। जो बाइडन को आज से राष्ट्रपति के दैनिक खुफिया विवरण की जानकारी मिलनी चाहिए। उन्हें यह जानने की जरूरत है कि नवीनतम खतरे क्या हैं और तदनुसार अपनी योजना शुरू करें।

यह कोई राजनीति का मामला नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है। अमेरिका के विरोधी इसका लाभ उठा सकते हैं और प्रमुख विदेशी मुद्दों पर इसका असर पड़ेगा, जब बाइडन अपना काम शुरू करेंगे। विदेशी मामलों और राष्ट्रीय सुरक्षा में बाइडन के पास दशकों का अनुभव है, लेकिन इनसे जुड़ी नवीनतम जानकारी उनके पास नहीं है।

हालांकि बाइडन पीडीबी की जानकारी मिलने में देरी के महत्व को कमतर आंक रहे हैं। कहा, जाहिर है पीडीबी उपयोगी होगा लेकिन, यह उतना आवश्यक नहीं है। बाइडन ने कहा, देखिए, खुफिया जानकारी तक पहुंच उपयोगी है, लेकिन मैं वैसे भी इन मुद्दों पर कोई निर्णय लेने की स्थिति में नहीं हूं।

First Published on: November 12, 2020 2:31 PM
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