भारत के साथ रक्षा और सुरक्षा-सहयोग की साझेदारी पर होगा बाइडन का जोर

आयरस 2010 से 2013 के बीच दक्षिण एशिया मामलों के लिए उप विदेश मंत्री रह चुकी हैं। उन्होंने कहा कि बाइडन अमेरिका और भारत के संबंधों के शुरुआती समर्थकों में शामिल हैं। बाइडन 15 साल पहले भी अमेरिका और भारत को ‘दुनिया के सबसे करीबी देश’ के रूप में देखते थे।

वाशिंगटन। अमेरिका में बराक ओबामा प्रशासन में शामिल रहीं एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन भारत-अमेरिका संबंध के समर्थक रहे हैं और उनका प्रशासन नई दिल्ली के साथ रक्षा और सुरक्षा सहयोग को प्राथमिकता देने की नीति बरकरार रखेगा। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में काफी प्रगति हुई।

अमेरिकी मीडिया ने बाइडेन को 2020 राष्ट्रपति चुनाव का विजेता बताया है। ट्रंप ने अब भी अपनी हार स्वीकार नहीं की है और वह कई कड़े मुकाबले वाले निर्णायक राज्यों में कानूनी लड़ाई की बात कर रहे हैं। इसी बीच भारत-अमेरिका के संबंधों पर भी काफी चर्चा हो रही है कि नए प्रशासन में यह किस रूप में रहेगा।

काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स (सीएफआर) में भारत, पाकिस्तान और दक्षिण एशिया की फेलो एलिसा आयरस ने बताया कि नव निर्वाचाति राष्ट्रपति बाइडन की ओर से बताई गई प्राथमिकताओं के आधार पर वह यह कह सकती हैं कि बाइडन-हैरिस प्रशासन भारत के साथ रक्षा और सुरक्षा संबंधों को उच्च प्राथमिकता वाली सूची में रखेंगे।

आयरस 2010 से 2013 के बीच दक्षिण एशिया मामलों के लिए उप विदेश मंत्री रह चुकी हैं। उन्होंने कहा कि बाइडन अमेरिका और भारत के संबंधों के शुरुआती समर्थकों में शामिल हैं। बाइडन 15 साल पहले भी अमेरिका और भारत को ‘दुनिया के सबसे करीबी देश’ के रूप में देखते थे।

आयरस ने कहा कि बाइडन ने अमेरिकी संसद में भारत के साथ असैन्य परमाणु समझौते का समर्थन किया था। बाइडन की कोरोना वायरस महामारी से लड़ने और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने की वैश्विक प्राथमिकताओं में इस बात की जरूरत है कि भारत के साथ अमेरिका का करीबी संबंध रहे।

First Published on: November 12, 2020 1:47 PM
Exit mobile version