100 साल पहले भारत से चुरायी गयी अन्नापूर्णा की अनोखी मूर्ति को लौटाने पर कनाडा सहमत


1913 में अपनी भारत यात्रा के दौरान मैकेंजी की नजर इस प्रतिमा पर पड़ी और जब एक अजनबी को मैकेंजी की इस मूर्ति को पाने की इच्छा का पता चला तो उसने वाराणसी में गंगा के घाट पर उसके मूल स्थान से उसे चुरा लिया।


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टोरंटो। कनाडा का एक विश्वविद्यालय ‘ऐतिहासिक गलतियों को सही करने’ और ‘उपनिवेशवाद की अप्रिय विरासत’ से उबरने की कोशिश के तहत हिंदू देवी अन्नपूर्णा की अनोखी मूर्ति भारत को लौटाएगा, जिसे एक सदी से अधिक समय पहले भारत से चुराकर लाया गया था।

यह मूर्ति मैकेंजी आर्ट गैलरी में रेजिना विश्वविद्यालय के संग्रह का हिस्सा है। यह मूर्ति नोर्मान मैकेंजी के 1936 के मूल वसीयत का हिस्सा है।

विश्वविद्यालय ने बृहस्पतिवार को एक बयान में बताया कि कलाकार दिव्या मेहरा ने इस तथ्य को ओर ध्यान आकृष्ट किया कि इस मूर्ति को एक सदी से भी पहले गलत तरीके से लाया गया। जब वह मैकेंजी के स्थायी संग्रह को खंगाल रही थीं और अपनी प्रदर्शनी की तैयारी कर रही थीं तब उनका ध्यान इस ओर गया।

बयान के अनुसार, 19 नवंबर को इस मूर्ति का डिजिटल तरीके से लौटाने का कार्यक्रम हुआ और अब उसे शीघ्र ही वापस भेजा जाएगा। विश्वविद्यालय के अंतरिम अध्यक्ष और कुलपति डॉ थॉमस चेज ने इस मूर्ति को आधिकारिक रूप से भारत भेजने के लिए कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया से डिजिटल तरीके से मुलाकात की।

बिसारिया ने कहा, ‘‘हम खुश हैं कि अन्नपूर्णा की यह अनोखी मूर्ति अपनी गृह वापसी की राह पर है। मैं भारत को इस सांस्कृतिक विरासत को लौटाने को लेकर सक्रिय कदम उठाने को लेकर रेजिना विश्वविद्यालय के प्रति आभारी हूं।’’

विश्वविद्यालय ने कहा कि अपनी गहन छानबीन के आधार पर मेहरा इस निष्कर्ष पर पहुंचीं कि 1913 में अपनी भारत यात्रा के दौरान मैकेंजी की नजर इस प्रतिमा पर पड़ी और जब एक अजनबी को मैकेंजी की इस मूर्ति को पाने की इच्छा का पता चला तो उसने वाराणसी में गंगा के घाट पर उसके मूल स्थान से उसे चुरा लिया।