
नई दिल्ली। भारत की साल 2008 की मंदी तो याद ही होगी। तब शेयर बाजार इतनी तेजी से गिरा था कि हर कोई हैरान रह गया। देश के बड़े बाजारों में रौनक एक तरह से खत्म हो गई थी। बड़ी संख्या में लोगों को नौकरियों से निकाला गया। ऐसे में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह के सामने देश की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने की बड़ी चुनौती थी। 10 साल तक पीएम के रूप में अपनी सेवाएं देने वाले मनमोहन सिंह एक कुशल अर्थशास्त्री भी थे। जिस फॉर्मूले पर चलकर मनमोहन सिंह भारत की अर्थव्यवस्था को तब फिर से पटरी पर लेकर आए थे अब वही नीति चीन की सरकार भी चलती हुई नजर आ रही है।
चीन की अर्थव्यवस्था का इस वक्त भट्टा बैठा हुआ है। दुनिया की फैक्ट्री के नाम से मशहूर चीन को अपना माल बेचने के लिए बाजार तक नहीं मिल रहे हैं। यूरोप से लेकर अमेरिका और कनाडा जैसे देशों ने चीन पर आंशिक प्रतिबंध लगाए हुए हैं। ऐसे में जल्द डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में वापसी होने के कारण पहले ही शी जिनपिंग टेंशन में हैं। उन्हें अमेरिका के साथ फिर से ट्रेड वार छिड़ने का डर सता रहा है। ऐसे में अब मनमोहन सिंह की पॉलिसी पर चलकर चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था का बेड़ा पार लगाने का निर्णय लिया है।
साल 2008 की आर्थिक मंदी को दूर करने के लिए जब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोगों की परचेस पावर बढ़ाने का निर्णय लिया था। इसके लिए वो छठा वेतन आयोग लेकर आए थे। यूं तो छठे वेतन आयोग का गठन साल 2006 में ही कर दिया गया था लेकिन मनमोहन सिंह सरकार ने 2008 की मंदी के बीच इसे तुरंत लागू कर दिया। इसका फायदा भी देश को मिला। हर सरकारी कर्मचारी की कम से कम सात हजार बेसिक सैलरी में इजाफा हुआ। उनकी परचेजिंग पावर बढ़ी तो बाजार में पड़ा तैयार माल बिकने लगा। जिससे सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर लौट आई।
अब चीनी अर्थव्यवस्था को उठाने के लिए शी जिनपिंग ने अपने सिविल सेवकों की सैलरी बढ़ाने का निर्णय लिया है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार चीन में लाखों सरकारी कर्मचारी है, जिनकी सैलरी जल्द 300 से 500 युआन तक बढ़ने वाली है। यह रकम करीब 41 से 69 डॉलर यानी 3,300 से 5,600 रुपये बैठती है। बीजिंग में केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि उन्हें और उनके सहयोगियों को दिसंबर के अंतिम सप्ताह में वेतन वृद्धि के बारे में औपचारिक रूप से सूचित किया गया था। इस नीति के तहत चीन के लाखों सैनिकों से लेकर डॉक्टरों, इंजीनियरों, स्कूल टीचरों को सीधा फायदा होगा।