
बीजिंग। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा है कि चीनी सेना लड़ाई के लिए तैयार रहे। यह बात उन्होंने 13 अक्टूबर को ग्वांगडोंग राज्य के पीपल्स लिबेरेशन आर्मी (PLA) के मिलिट्री बेस के मैरिन कार्प्स कार्यालय का दौरा करने के दौरान कही।
शी ने कहा, ” चीनी सेना को अपना दिमाग और शक्ति लड़ाई की तैयारी के लिए लगाना चाहिए”। इस खबर को अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनएन ने चाईनीज न्यूज एजेंसी शिंहुआ के हवाले से छापा है।
चीनी राष्ट्रपति का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब भारत-चीन की सेनाएं भारतीय क्षेत्र लद्दाख में चीनी घुसपैठ को लेकर गत छह महीनों से आमने-सामने खड़ी हैं।
चीनी न्यूज एजेंसी शिंहुआ को कोट करते हुए सीएनएन ने लिखा है कि चीनी राष्ट्रपति ने सेना से कहा, ” सेना को हमेशा ही हाई अलर्ट पर रहना चाहिए” ( “maintain a state of high alert” )। उन्होंने यह भी कहा कि चीनी सेना को देश व पार्टी के प्रति “बिल्कुल वफादार, बिल्कुल शुद्ध, और बिल्कुल विश्वसनीय” होना चाहिए। (“absolutely loyal, absolutely pure, and absolutely
reliable”)
सीसीएन की रिपोर्ट-https://edition.cnn.com/2020/10/14/asia/xi-jinping-taiwan-us-esper-intl-hnk/index.html
राष्ट्रपित ने यह दौरा चीन को आर्थिक तरक्की को एक नया मुकाम देने वाले विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) शेंझेने की स्थापना के 40वीं सालगिरह के मौके पर अपने दौरे के दौरान दिए गए भाषण में कही।
बता दें कि चीन का विशेष आर्थिक क्षेत्र शेंझेन की स्थापना साल 1980 में किया गया था। इस आर्थिक क्षेत्र ने चीन की आर्थिक तरक्की के नई उचाईयों तक पहुंचान में बड़ी मदद की है।
इस मुद्दे को लेकर सोमवार को चीन और भारत के उच्च कमांडर स्तर की वार्ता हुई। लगभग 11 घंटों तक चली इस बातचीत में सीमा मुद्दे पर कोई ठोस सामाधान नहीं निकल पाया, लेकिन दोनों देशों ने इस मुद्दे को हल करने की प्रतिबद्धता जताई और आपसी संवाद व बातचीत को जारी रखने पर जोर दिया।
ब्रिज के उद्घटन पर चीन ने आपत्ति जताई
इस बातचीत के दूसरे दिन भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 12 अक्टूबर को लद्दाख और अरुणांचल प्रदेश में चीनी सीमा से लगे सीमावर्ती क्षेत्र में करीब 44 पुलों का उद्घाटन किया। इस उद्धाटन के बाद बौखलाये चीनी ने आपत्ति जताई और कहा कि भारत चीन से लगे
सीमा पर सैनिक उपयोग के लिए ढांचागत विकास काफी तेजी से कर रहा है। रक्षा मंत्री ने 12 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर में 10, लद्दाख में 8, हिमांचल प्रदेश में 2, पंजाब में 4, उत्तराखंड में 8, अरूणांचल प्रदेश में 8 और सिक्कीम में 4 पुलों का उद्घाटन किया गया।