काठमांडू। विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला ने नेपाल के साथ मजबूत सहयोगात्मक संबंधों पर जोर देते हुए शुक्रवार को कहा कि भारत अपने आप को उसके ‘ सबसे अहम दोस्त और विकास साझेदार’ के रूप में देखता है।
उन्होंने नेपाल के लोगों को यह आश्वासन भी दिया कि कोविड-19 का टीका आने के बाद उनकी (नेपाल की) जरूरत पूरा करना भारत की प्राथमिकता होगी।
तीखे सीमा विवाद के चलते द्विपक्षीय संबंधों में तनाव आ जाने के मध्य वह नेपाल के विदेश सचिव भरत राज पौडयाल के न्यौते के बीच नेपाल की अपनी पहली दो दिवसीय यात्रा पर यहां आये हैं।
उन्होंने यहां एशियन इंस्टीयूट ऑफ डिप्लोमैसी एंड इंटरनेशनल अफेयर्स द्वारा आयोजित एक परिचर्चा में कहा कि नेपाल और भारत के बीच का रिश्ता ‘जटिल’ है और उनकी सभ्यतागत धरोहर, संस्कृति एवं रीति-रिवाज आपस में मिलते हैं।
उन्होंने करीब 25 मिनट के अपने भाषण में कहा, ‘‘भारत अपने आप को नेपाल के ‘सबसे अहम दोस्त और विकास साझेदार’ के रूप में देखता है। ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की हमारी आकांक्षाएं तथा ‘समृद्ध नेपाल एवं सुखी नेपाल के आपके लक्ष्य एक दूसरे के माफिक हैं। ’’
श्रृंगला ने कहा कि नेपाल के साथ भारत का संबंध चार स्तंभों-विकास सहयेाग, मजबूत कनेक्टिविटी, बुनियादी ढांचे में विस्तार और आर्थिक परियोजनाओं पर टिका है। उन्होंने कहा, ‘‘हम नेपाल की प्राथमिकता के लिए काम करेंगे।’’
उन्होंने 2015 में नेपाल में आये विनाशकारी भूकंप के बाद भारत द्वारा त्वरित रूप से उठाये गये कदमों का दृष्टांत देते हुए कहा, ‘‘भारत अपने आप को नेपाल का स्वभाविक और स्वत: प्रवृत सहयोगकर्ता के रूप में देखता है।’’
श्रृंगला ने कहा कि भारत कोरोना वायरस के टीके की उपलब्धता की दहलीज पर खड़ा है। उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया में टीकों के सबसे बड़े विनिर्माता के तौर पर भारत इस प्रयास में अग्रिम कतार में है। हमारे पास कम से कम पांच आशाजनक टीके परीक्षण के उन्नत चरणों में है।’’
भारतीय विदेश सचिव ने कहा, ‘‘मैं नेपाल के लोगों को आश्वासन देना चाहूंगा कि एक बार टीका आ जाये, फिर नेपाल की जरूरत पूरी करना हमारे लिए प्राथमिकता होगी।’’
श्रृंगला ने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली से मुलाकात की और अपने नेपाली समकक्ष के साथ सीमा समस्या समेत विविध मुद्दों पर सार्थक बातचीत की। उन्होंने राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से और विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली से भी शिष्टाचार भेंट की।
दोनों देश परस्पर सहयोग को बढ़ाने के वास्ते प्रयास तेज करने पर राजी हुए। नेपाल के शीर्ष नेतृत्व के साथ अपनी मुलाकात का जिक्र करते हुए श्रृंगला ने कहा, ‘‘ हमारे देशों की सोच और दृष्टिकोण एक ही हैं।’’
दोनों देशों के बीच रिश्ते में तब तनाव आ गया था जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मई में उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे और धारचूला को जोड़ने वाले 80 किलोमीटर लंबे मार्ग का उद्घाटन किया और कुछ ही दिन बाद नेपाल ने एक नया मानचित्र जारी कर लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपनी सीमा के अंदर दिखाया। भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी और उसे ‘एक तरफा कृत्य’ करार दिया। उसने नेपाल को चेताया कि क्षेत्रीय दावों का कृत्रिम विस्तार उसे स्वीकार नहीं है।