अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष : 189 सदस्य देशों में से 102 देश अब तक मांग चुके हैं आर्थिक मदद


आईएमएफ की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने बुधवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण सदस्य देश मदद की भारी मांग कर रहे हैं। अप्रत्याशित तरीके से189सदस्य देशों में से102देश अब तक मदद की मांग कर चुके हैं। विश्वबैंक के साथ सालाना ग्रीष्मकालीन बैठक की शुरुआत पर उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आईएमएफ मदद की मांग को पूरा करने के लिये एक हजार अरब डॉलर की पूरी क्षमता के कर्ज वितरित करने के लिये प्रतिबद्ध है।


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वाशिंगटन। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा
कोष (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने बुधवार को कहा कि कोरोना वायरस
महामारी के कारण सदस्य देश मदद की भारी मांग कर रहे हैं। अप्रत्याशित तरीके से 189 सदस्य देशों
में से 102 देश अब तक मदद की मांग कर चुके हैं।
उन्होंने विश्वबैंक के साथ सालाना ग्रीष्मकालीन बैठक की शुरुआत पर
एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आईएमएफ मदद की मांग को पूरा करने के लिये एक हजार
अरब डॉलर की पूरी क्षमता के कर्ज वितरित करने के लिये प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा,
‘‘यह एक ऐसा संकट है जो पहले कभी नहीं देखा गया।’’जॉर्जीवा ने फिर से दोहराया कि इस महामारी के कारण वैश्विक
अर्थव्यवस्था 1930 दशक की महान आर्थिक मंदी के बाद के सबसे
बड़े संकट से गुजर रही है।
आईएमएफ प्रमुख और विश्वबैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास दोनों ने जी20
देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गर्वनरों द्वारा गरीब
देशों के लिये कर्ज की किस्तों की देनदारी निलंबित करने के निर्णय की सराहना की।आईएमएफ के नये आकलन के अनुसार, इस महामारी के
कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में तीन प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। वैश्विक वित्तीय
संकट के दौरान 2009 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में 0.1
प्रतिशत की गिरावट आयी थी।
जॉर्जीवा ने कहा कि आईएमएफ पहले ही आपातकालीन मदद कार्यक्रमों को 50
करोड़ डॉलर से बढ़ा कर 100 करोड़ डॉलर कर चुका
है। उन्होंने कहा कि आईएमएफ इसके साथ ही इस बात की भी तैयारी कर रहा है कि जैसे ही
अर्थव्यवस्थाएं इस संकट से उबरना शुरू करें, उनकी गतिविधियां
पुन: शुरू की जा सकें। उन्होंने कहा, ‘‘हमें इस बारे में भी सोचने की
जरूरत है कि इस संकट के दूसरे छोर पर हमें किन संकटों का सामना करना पड़ सकता है।’’