पाकिस्तान फिर बना संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार का सदस्य, चयन में चीन से भी अधिक मिले मत

संयक्त राष्ट्र महासभा में गुप्त मतदान में पाकिस्तान को 169 मत मिले। इसके बाद उज्बेकिस्तान को 164, नेपाल को 150 और चीन को 139 मत मिले। 193 सदस्यीय महासभा में सऊदी अरब को केवल 90 वोट मिल पाया और वह इस दौड़ से बाहर हो गया।

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के खराब मानवाधिकार रिकॉर्ड को ले कर विभिन्न मानवाधिकार समूहों के विरोध के बावजूद संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में उसे दोबारा चुन लिया गया।

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र के सर्वोच्च मानवाधिकार निकाय के लिये एशिया प्रशांत क्षेत्र की चार सीटों पर पांच उम्मदवारों में से पाकिस्तान को सर्वाधिक मत मिले हैं।

संयक्त राष्ट्र महासभा में गुप्त मतदान में पाकिस्तान को 169 मत मिले। इसके बाद उज्बेकिस्तान को 164, नेपाल को 150 और चीन को 139 मत मिले। 193 सदस्यीय महासभा में सऊदी अरब को केवल 90 वोट मिल पाया और वह इस दौड़ से बाहर हो गया।

मानवाधिकार परिषद के नियमों के तहत भौगोलिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों को सीटें आवंटित की जाती हैं। 47 सदस्यीय मानवाधिकार परिषद में 15 सदस्यों का चुनाव पहले ही हो चुका था क्योंकि अन्य सभी क्षेत्रीय समूह के सदस्य निर्विरोध निर्वाचित हुये।

पिछले हफ्ते यूरोप, अमेरिका एवं कनाडा के मानवाधिकार समूहों के एक गठबंधन ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों से चीन, रूस, सऊदी अरब, क्यूबा, पाकिस्तान एवं उज्बेकिस्तान के निर्वाचन का विरोध करने का आह्वान किया था और कहा था कि इन देशों का मानवाधिकार रिकॉर्ड उन्हें इसके लिये अयोग्य करार देता है ।

रूस और क्यूबा पहले ही निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं।

पाकिस्तान फिलहाल एक जनवरी 2018 से मानवाधिकार परिषद का सदस्य है। फिर से चुने जाने पर उसे परिषद के सदस्य के तौर पर तीन साल का एक दूसरा कार्यकाल मिल गया है जो एक जनवरी 2021 से शुरू होगा ।

मानवाधिकार परिषद की स्थापना 2006 में हुयी थी, इसके बाद से यह पांचवा मौका है जब पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के सर्वोच्च निकाय के लिये निर्वाचित हुआ है।

First Published on: October 14, 2020 4:53 PM
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